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National Security Act: क्या डिब्रूगढ़ जेल बन जाएगी अमृतपाल और उसके साथियों का आखिरी ठिकाना? - मृतपाल और उसके साथी गिरफ्तार

कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह और उसके साथियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया है. इसे लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने कानूनी विशेषज्ञ से इस बारे में चर्चा की है जानिए इस मामले में उनकी राय क्या है. सवाल ये भी है कि क्या डिब्रूगढ़ की जेल अमृतपाल सिंह और उसके साथियों का आखिरी ठिकाना बन जाएगी. पढ़ें पूरी खबर.

Amritpal and other
अमृतपाल और उसके साथी
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Published : Apr 24, 2023, 7:54 PM IST

सुनिए कानून के जानकार की राय

चंडीगढ़: 36 दिनों के बाद 'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि अमृतपाल सिंह के कई साथियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. ये सभी असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं. अमृतपाल सिंह से पहले उसके 9 साथी पकड़े जा चुके हैं. अब अमृतपाल सिंह को भी एनएसए के तहत गिरफ्तार कर उनके पास भेज दिया गया है.

दरअसल, इस मामले में अमृतपाल सिंह का साथी पपलप्रीत सिंह मास्टरमाइंड बताया जाता है. साथ ही अमृतपाल को आर्थिक मदद देने के मामले में दलजीत कलसी का पक्षधर माना जा रहा है. वहीं अमृतपाल के गनमैन बसंत सिंह और गुरमीत सिंह भुखनवाला थे. इस लिस्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री बाजेक नाम का शख्स अमृतपाल का कट्टर समर्थक है और उसके सोशल मीडिया पर भी नजर थी. हरजीत सिंह अमृतपाल सिंह का चाचा है. वरिंदर जोहल, कुलवंत धालीवाल, गुरविंदर पाल सिंह अमृतपाल सिंह के सुरक्षाकर्मी हैं.

फिलहाल ये सभी असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं. अब पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां ​​उनसे डिब्रूगढ़ जेल में पूछताछ करेंगी. हालांकि, पंजाब में तूफान लाने वाला शख्स तूफान सिंह अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.

तूफान सिंह अभी भी पकड़ से बाहर : अब बात करते हैं उस शख्स की, जिसकी वजह से अमृतपाल ने पूरे पंजाब में कहर बरपाया था. ये तूफान सिंह है, जो अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है. दरअसल, तूफान सिंह को अजनाला पुलिस ने एक मामले में थाने में बंद कर दिया था. अमृतपाल और उसके समर्थकों ने रिहाई के लिए थाने पर हंगामा किया था.

इस हमले में एसपी जुगराज घायल हो गए थे. इस मामले में पंजाब पुलिस ने अमृतपाल और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इस मामले में एफआईआर अजनाला थाने में दर्ज की गई थी, जिसके बाद ऑपरेशन अमृतपाल सिंह चलाया गया. 36 दिनों तक चले इस ऑपरेशन के बाद आखिरकार अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस मामले में अब तक तूफान सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.

NSA के तहत गिरफ्तारी, आगे क्या?: जिन 10 लोगों को डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है, अब लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसमें बड़ा सवाल यह है कि एनएसए के तहत गिरफ्तारियों के बाद क्या इन लोगों को कभी पंजाब लाया जा सकेगा? क्या पंजाब में उनकी सुनवाई होगी या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी होगी? या मामले की सुनवाई एनआईए कोर्ट में होगी? या मामला संबंधित कोर्ट या स्पेशल कोर्ट में जाएगा?

क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?: एनएसए के तहत की गई इन गिरफ्तारियों के बारे में कानूनी विशेषज्ञ और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस बैंस का कहना है कि यह प्रिवेंटिव डिटेंशन का एक तरीका है. मतलब आपके खिलाफ कोई मामला नहीं होगा, आपके खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किया जाएगा, आपके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा, आपके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलेगा, आपको मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया जाएगा.

इतना ही नहीं, सरकार जब तक चाहे आपको जेल में रख सकती है. यानी ऐसे आरोपी किसी भी न्यायिक हिरासत में नहीं हैं. सरकार के पास एकमात्र बचाव यह है कि आपको अपराधी नहीं बनाया गया है. उन्हें जेल में रखने का एकमात्र आधार यह है कि उनके कारण देश की शांति और स्थिरता को खतरा है. जब तक उसके खिलाफ सबूत नहीं जुटा लिए जाते सरकार उसे जेल में रख सकती है. सरकार जब तक चाहे उन्हें जेल में रख सकती है, जिसे एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया है.

आरोपी समीक्षा बोर्ड को अभ्यावेदन दे सकता है: वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस बैंस के मुताबिक दूसरी ओर गिरफ्तार लोगों के पास दो ही विकल्प होते हैं, एक है गिरफ्तारी का आधार तैयार करना. उसे नजरबंदी का आदेश मिलना चाहिए. ऐसे में वह अभ्यावेदन दे सकते हैं. एक समीक्षा बोर्ड उस प्रतिनिधित्व को देखेगा. इसके सदस्यों में से एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं, जो 3 महीने में समीक्षा करेंगे कि एनएसए का आदेश सही है या गलत.

अगर उस बोर्ड को एनएसए गलत लगता है तो आरोपी को छोड़ दिया जाएगा. अगर उन पर एनएसए सही पाया जाता है तो उन्हें 1 साल तक जेल में रहना होगा. लेकिन यह समय और भी बढ़ सकता है. सरकार चाहे तो पहले भी छोड़ सकती है, अगर उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है.

न जमानत न सजा : ऐसे मामले में न तो आप जमानत मांग सकते हैं और न ही आपको सजा मिलेगी. न ही आपके खिलाफ कोई सजा होगी. इस सरकार के पास संविधान द्वारा दी गई एक विशेष शक्ति है, जिसे निवारक निरोध कहा जाता है. यह एक ऐसी शक्ति है जिसमें सरकार के पास कोई सबूत नहीं है और आपके खिलाफ मामला दर्ज करने की कोई शक्ति नहीं है. न ही इसमें कोई गवाही है. ऐसे में आपका बाहर रहना देश के लिए खतरे का आधार माना जाता है. केवल उन्हीं परिस्थितियों में आपको गिरफ्तार किया जाता है.

एनएसए के दौरान और क्या होगा: इसी तरह अजनाला थाने की पुलिस पर हमला करने के आरोप में अमृतपाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. ऐसे में क्या अमृतपाल सिंह को पंजाब में पेश किया जाएगा या कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी? इस बारे में कानूनी मामलों के विशेषज्ञ आरएस बैंस का कहना है कि अमृतपाल के खिलाफ दर्ज मामला चलेगा. जब तक वह एनएसए के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद है, तब तक मामला आगे नहीं बढ़ सकता है. हालांकि उनका कहना है कि आजकल आरोपियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी कोर्ट में पेश किया जाता है. ऐसे में संभव है कि उसे इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया जा सकता है.

पढ़ें- Amritpal Singh's Arrest : डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रहेगा अमृतपाल, ब्लैक पैंथर कमांडो करेंगे निगरानी

सुनिए कानून के जानकार की राय

चंडीगढ़: 36 दिनों के बाद 'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि अमृतपाल सिंह के कई साथियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. ये सभी असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं. अमृतपाल सिंह से पहले उसके 9 साथी पकड़े जा चुके हैं. अब अमृतपाल सिंह को भी एनएसए के तहत गिरफ्तार कर उनके पास भेज दिया गया है.

दरअसल, इस मामले में अमृतपाल सिंह का साथी पपलप्रीत सिंह मास्टरमाइंड बताया जाता है. साथ ही अमृतपाल को आर्थिक मदद देने के मामले में दलजीत कलसी का पक्षधर माना जा रहा है. वहीं अमृतपाल के गनमैन बसंत सिंह और गुरमीत सिंह भुखनवाला थे. इस लिस्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री बाजेक नाम का शख्स अमृतपाल का कट्टर समर्थक है और उसके सोशल मीडिया पर भी नजर थी. हरजीत सिंह अमृतपाल सिंह का चाचा है. वरिंदर जोहल, कुलवंत धालीवाल, गुरविंदर पाल सिंह अमृतपाल सिंह के सुरक्षाकर्मी हैं.

फिलहाल ये सभी असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं. अब पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां ​​उनसे डिब्रूगढ़ जेल में पूछताछ करेंगी. हालांकि, पंजाब में तूफान लाने वाला शख्स तूफान सिंह अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.

तूफान सिंह अभी भी पकड़ से बाहर : अब बात करते हैं उस शख्स की, जिसकी वजह से अमृतपाल ने पूरे पंजाब में कहर बरपाया था. ये तूफान सिंह है, जो अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है. दरअसल, तूफान सिंह को अजनाला पुलिस ने एक मामले में थाने में बंद कर दिया था. अमृतपाल और उसके समर्थकों ने रिहाई के लिए थाने पर हंगामा किया था.

इस हमले में एसपी जुगराज घायल हो गए थे. इस मामले में पंजाब पुलिस ने अमृतपाल और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इस मामले में एफआईआर अजनाला थाने में दर्ज की गई थी, जिसके बाद ऑपरेशन अमृतपाल सिंह चलाया गया. 36 दिनों तक चले इस ऑपरेशन के बाद आखिरकार अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस मामले में अब तक तूफान सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.

NSA के तहत गिरफ्तारी, आगे क्या?: जिन 10 लोगों को डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है, अब लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसमें बड़ा सवाल यह है कि एनएसए के तहत गिरफ्तारियों के बाद क्या इन लोगों को कभी पंजाब लाया जा सकेगा? क्या पंजाब में उनकी सुनवाई होगी या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी होगी? या मामले की सुनवाई एनआईए कोर्ट में होगी? या मामला संबंधित कोर्ट या स्पेशल कोर्ट में जाएगा?

क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?: एनएसए के तहत की गई इन गिरफ्तारियों के बारे में कानूनी विशेषज्ञ और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस बैंस का कहना है कि यह प्रिवेंटिव डिटेंशन का एक तरीका है. मतलब आपके खिलाफ कोई मामला नहीं होगा, आपके खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किया जाएगा, आपके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा, आपके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलेगा, आपको मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया जाएगा.

इतना ही नहीं, सरकार जब तक चाहे आपको जेल में रख सकती है. यानी ऐसे आरोपी किसी भी न्यायिक हिरासत में नहीं हैं. सरकार के पास एकमात्र बचाव यह है कि आपको अपराधी नहीं बनाया गया है. उन्हें जेल में रखने का एकमात्र आधार यह है कि उनके कारण देश की शांति और स्थिरता को खतरा है. जब तक उसके खिलाफ सबूत नहीं जुटा लिए जाते सरकार उसे जेल में रख सकती है. सरकार जब तक चाहे उन्हें जेल में रख सकती है, जिसे एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया है.

आरोपी समीक्षा बोर्ड को अभ्यावेदन दे सकता है: वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस बैंस के मुताबिक दूसरी ओर गिरफ्तार लोगों के पास दो ही विकल्प होते हैं, एक है गिरफ्तारी का आधार तैयार करना. उसे नजरबंदी का आदेश मिलना चाहिए. ऐसे में वह अभ्यावेदन दे सकते हैं. एक समीक्षा बोर्ड उस प्रतिनिधित्व को देखेगा. इसके सदस्यों में से एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं, जो 3 महीने में समीक्षा करेंगे कि एनएसए का आदेश सही है या गलत.

अगर उस बोर्ड को एनएसए गलत लगता है तो आरोपी को छोड़ दिया जाएगा. अगर उन पर एनएसए सही पाया जाता है तो उन्हें 1 साल तक जेल में रहना होगा. लेकिन यह समय और भी बढ़ सकता है. सरकार चाहे तो पहले भी छोड़ सकती है, अगर उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है.

न जमानत न सजा : ऐसे मामले में न तो आप जमानत मांग सकते हैं और न ही आपको सजा मिलेगी. न ही आपके खिलाफ कोई सजा होगी. इस सरकार के पास संविधान द्वारा दी गई एक विशेष शक्ति है, जिसे निवारक निरोध कहा जाता है. यह एक ऐसी शक्ति है जिसमें सरकार के पास कोई सबूत नहीं है और आपके खिलाफ मामला दर्ज करने की कोई शक्ति नहीं है. न ही इसमें कोई गवाही है. ऐसे में आपका बाहर रहना देश के लिए खतरे का आधार माना जाता है. केवल उन्हीं परिस्थितियों में आपको गिरफ्तार किया जाता है.

एनएसए के दौरान और क्या होगा: इसी तरह अजनाला थाने की पुलिस पर हमला करने के आरोप में अमृतपाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. ऐसे में क्या अमृतपाल सिंह को पंजाब में पेश किया जाएगा या कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी? इस बारे में कानूनी मामलों के विशेषज्ञ आरएस बैंस का कहना है कि अमृतपाल के खिलाफ दर्ज मामला चलेगा. जब तक वह एनएसए के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद है, तब तक मामला आगे नहीं बढ़ सकता है. हालांकि उनका कहना है कि आजकल आरोपियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी कोर्ट में पेश किया जाता है. ऐसे में संभव है कि उसे इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया जा सकता है.

पढ़ें- Amritpal Singh's Arrest : डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रहेगा अमृतपाल, ब्लैक पैंथर कमांडो करेंगे निगरानी

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