भिंड। मध्यप्रदेश के छोटे से जिले भिड में रहने वाले राज नारायण राजौरिया पेशे से शासकीय शिक्षक थे, लेकिन गणित के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित कर रहे हैं. पहले तो शिक्षक और फिर गणित के विशेषज्ञ और जब दोनों कॉम्बिनेशन किसी व्यक्ति के रगों में दौड़ रहा हो तो उसके जुनून का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं. कहने को राजनारायण राजौरिया अब रिटायर हो चुके हैं, लेकिन गणित के प्रति समर्पण कई विज्ञान मेला और साइंस एक्सपो में नजर आता है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी उन्हें महाराष्ट्र में आयोजित विज्ञान मेला में सम्मानित किया है. राजनारायण राजौरिया ने गणित को सरल भाषा में समझाने के लिए कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स भी बनाये हैं. जिनकी तारीफ राष्ट्रीय स्तर पर होती है.
बचपन से गणित समझने के जुनून ने दिलायी पहचान: रिटायर शिक्षक राजनारायण राजौरिया कहते हैं कि गणित की समस्या का अंकुरण उनके बचपन में ही हो गया था. जब स्कूल में ज्योमेट्री की थियोरम पढ़ाई जाती थी, तो कई बार समझ नहीं आता था. उस समय शिक्षक इन थ्योरिम्स और फार्मूले को रट्टा मारकर याद करने की सलाह देते थे. उस समय ज्यादातर प्रमेय शिक्षकों के कहने पर बच्चे याद करके ही परीक्षा देते थे. तब समझ नहीं आता था की गणित में रटने से क्या हासिल होगा, क्योंकि मैथ में सभी फार्मूले इक्वेशन हम हाल करते हैं, लेकिन जब प्रमेय की बात आती है तो उन्हें रट कर याद करना अच्छा नहीं लगता था इसलिए जब शिक्षक बने तो इस ओर कुछ करने का विचार किया.
एक्टिविटी एक्सपेरिमेंट से बच्चों के लिए आसान बनाया मैथ: राजौरिया सर ने बताया कि शिक्षक बनने के बाद शुरू में ही उनकी मुलाकात सुरेश अग्रवाल से हुई. जिन्होंने 'हैंड्स ऑन साइंस' एक्टिविटी बनायी थी. उन्हें देखकर विचार आया कि जब विज्ञान को समझने के लिए एक्टिविटी और एक्सपेरिमेंट बनाये जा सकते हैं तो गणित के लिये क्यों नहीं. कोशिश की पहले एक एक्टिविटी ऑन मैथ बनाई, फिर दूसरी फिर इस तरह हौसला मिला और आज 100 से ज्यादा एक्सपेरिमेंटल एक्टिविटी बनाकर तैयार कर चुके हैं.
जिनसे बच्चे पहले के मैथमेटिशियन की तरह ही थियोरम सॉल्व कर सकते हैं. बिना किताब के उन्हें ड्राइव कर सोल्यूशन निकाल सकते हैं, उन्हें रटने की ज़रूरत नहीं होती वे खुद इन्हें हल कर समझ सकते हैं. इस तरह गणित को खेल खेल में समझा जा सकता है. इनमें कुछ एक्टिविटी बनाने के लिए जापानी टेक्निक ओरेगामी का सहारा लिया है. इसके अलावा-अलग अलग मैटेरियल से इन्हें तैयार किया है.
गणित के प्रति समर्पण ने दिलाया सम्मान: गणित के क्षेत्र में राजनारायण राजौरिया सर का योगदान केंद्र और राज्य सरकारों ने भी सराहा है. उन्हें साल 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था. इसके बाद 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्सीलेंस मैथ टीचर अवार्ड दिया. इसके बाद राज्यपाल अवार्ड दिया गया. वहीं 2017 में राष्ट्रीय रामानुजन अवार्ड से समानित किया गया. हाल ही में 2023 में भी उन्हें महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी उनके काम की सराहना करते हुए विज्ञान मेले में उन्हें प्रशस्तिपत्र दे कर सम्मानित किया है.
रिटायरमेंट के बाद भी नहीं थमा जुनून: पिछले साल राजनारायण राजौरिया शासकीय शिक्षक के पद से सेवानिवृत हो गये हैं, लेकिन गणित को लेकर उनका काम आज भी नहीं रुका है. राजनरायण राजौरिया सर ने बताया कि उन्हें इस बात का अहसास होता ही नहीं है कि वे रिटायर हो चुके हैं. बल्कि जब शासकीय सेवा में थे, तो स्कूल का बंधन था, लेकिन अब पूरी तरह खुलकर अपने काम पर ध्यान दे पा रहे हैं.
आज भी लगातार उन्हें देश के कोने कोने से बुलाया जाता है. जम्मू कश्मीर, पंजाब हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, गुजरात, गोवा महाराष्ट्र और कर्नाटक तक में राज्य सरकारों के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग और केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी की ओर से उन्हें समय समय पर काम करने के लिए अलग अलग कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है. उन्होंने दिल्ली समेत कई संस्थानों के लिए मैथ लैब भी तैयार की है. जिनसे वहां सीखने वाले बच्चों के लिए गणित की परिभाषा आसान बन रही है.