नई दिल्ली: केंद्र सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए किसान संगठनों ने एक बार फिर आंदोलन शुरु करने के लिए बैठकों का दौर शुरु कर दिया है. आज दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में राष्ट्रीय किसान महासंघ की बैठक हुई जिसमें आंदोलन स्थगित होने के बाद से अब तक सरकार की तरफ से दिए गए आश्वासन पर कोई कार्रवाई न होना प्रमुख विषय था. बता दें कि राष्ट्रीय किसान महासंघ 80 किसान संगठनों का साझा मंच है जिसका नेतृत्व शिव कुमार शर्मा 'कक्का जी' और जगजीत सिंह दल्लेवाल सरीखे नेता करते हैं. शिव कुमार 'कक्काजी' संयुक्त किसान मोर्चा के कोर कमिटि का भी हिस्सा रहे हैं.
बैठक के बाद ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए किसान नेता 'कक्का जी' ने कहा कि लंबे समय तक आंदोलन चलने के बाद जब स्थगित किया गया तब सरकार ने आश्वासन दिया था कि एमएसपी पर कमिटि गठित की जाएगी और अन्य मांगों पर भी सहमती बनी थी, लेकिन अब तक सरकार ने बहुत धीमी रफ्तार मे काम किया है. एमएसपी पर कमेटी बनाने के लिए सरकार ने तीन नाम मांगे हैं उस पर भी बैठक में विचार किया जा रहा है. इसके अलावा संगठन की आगामी कार्य विस्तार योजना क्या हो उस पर भी बात हुई है. सरकार और किसान संगठनों के बीच पाँच बिन्दुओं पर समझौता हुआ था जिसके बाद आंदोलन वापस लिया गया लेकिन उन बिन्दुओं पर कितना काम हुआ है इसकी समीक्षा भी बैठक में की गई है. इसके बाद दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक होगी जिसमें और भी निर्णय लिए जायेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार सुबह सिंघू बॉर्डर से लखीमपुर खेरी के लिए भी रवाना हो रहा है. किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन वापसी के पाँच महीने बाद भी उनकी तमाम मांगें लंबित ही हैं. ऐसे में सरकार के रवैये को देखते हुए उन्हें फिर से किसानों को एकजुट कर नए सिरे से आंदोलन शुरु करना होगा. शिव कुमार 'कक्काजी' ने बताया कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे वापसी की प्रक्रिया अब तक शुरु नहीं हुई है.
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इस बाबत उनकी मध्यप्रदेश के गृहमंत्री से भी बात हुई थी लेकिन उन्होंने बताया कि केंद्र की तरफ से उन्हें पत्र नहीं आया है जिसके कारण अब तक प्रक्रिया शुरु नहीं हुई. संयुक्त किसान मोर्चा में आंतरिक कलह के सवाल पर किसान नेता ने कहा कि संगठन के निर्णय के खिलाफ जा कर जो किसान जत्थेबंदी पंजाब चुनाव में गए उन्हें 15 मई तक के लिए निलंबित किया गया था. अब एक सप्ताह के भीतर जब संयुक्त किसान मोर्चा के नेता एक बार फिर बैठक करेंगे तब इस बात का निर्णय लिया जाएगा कि निलंबित नेताओं को दोबारा संगठन में शामिल किया जाए या नहीं. आपस में किसी तरह के मतभेद से बहरहाल किसान नेता कक्का जी ने इनकार किया है.