हैदराबाद : प्रत्येक उपभोक्ता के अपने अधिकार के साथ जिम्मेदारियां हैं. उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर 24 दिसंबर को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 लागू किया गया था. इसी के साथ उपभोक्ताओं को संवैधानिक अधिकार मिल गया. अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के शोषण-जैसे दोषपूर्ण सामान, सेवाओं में कमी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा उपाय प्रदान करना है. इसी का जश्न मनाने के लिए इस दिन उपभोक्ता संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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Department of Consumer Affairs, Government of India celebrates 'National Consumer Day' wvery year on December 24th to raise awareness about consumer rights. #NationalConsumerDay #NCH #ConsumerRights #jagograhakjago pic.twitter.com/W0buxENGJe
— Consumer Affairs (@jagograhakjago) December 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019: संसद के द्वारा 2019 में यह पारित किया गया, जो जुलाई 2020 में लागू हुआ. बाद में इसी कानून ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का स्थान ले लिया. उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें लागू कराने के लिए अधिनियम में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापित करने का प्रावधान है.
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Prior to making a purchase on an e-commerce platform, do check and confirm the contact information of the grievance officer.#NationalConsumerDay #24thDecember #jagograhakjago pic.twitter.com/mGhf2mXCOG
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उपभोक्ता की परिभाषा: उपभोक्ता को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो कोई वस्तु खरीदता है या किसी सेवा का लाभ उठाता है. इसमें वह व्यक्ति शामिल नहीं है जो पुनर्विक्रय के लिए कोई वस्तु या कोई वस्तु या सेवा प्राप्त करता है. इसमें ऑफलाइन और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से ऑनलाइन, टेलीशॉपिंग, मल्टी-लेवल मार्केटिंग या डायरेक्ट सेलिंग सहित सभी तरीकों से लेनदेन शामिल है.
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These are several deceptive dark patterns that utilize UI/UX interactions to mislead consumers into taking actions they didn't initially intend.#NationalConsumerDay #24thDecember #jagograhakjago pic.twitter.com/Y3ejV4idLs
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भ्रामक विज्ञापन के लिए दंड:
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण किसी निर्माता या कंपनी पर जुर्माना लगा सकता है. झूठे या भ्रामक विज्ञापन के लिए समर्थनकर्ता को 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और दो साल तक की कैद. बाद में अपराध करने पर जुर्माना 50 लाख रुपये तक और पांच साल तक की कैद हो सकती है. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण किसी भ्रामक विज्ञापन के समर्थनकर्ता को उस विशेष उत्पाद का समर्थन करने से भी रोक सकता है. इसके अलावा एक साल की अवधि के लिए विज्ञापन को बैन कर सकता है. प्रत्येक आगामी अपराध के लिए प्रतिबंध अवधि तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है. हालांकि कुछ अपवाद हैं, जब कुछ विज्ञापन के लिए इस तरह के दंड के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया गया है.
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#NationalConsumerDay is celebrated every year on 24th December to raise awareness about the rights of consumers and the importance of protecting their rights.#NationalConsumerDay #24thDecember #jagograhakjago pic.twitter.com/YkesfJ7YS0
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ग्राहक राजा : आज के समय में प्रतिष्ठित ब्रांड सभी देशों में आसानी से उपलब्ध हैं. ऑनलाइन शॉपिंग विकल्प की सुविधा के साथ ही बड़े-छोटे ब्रांड एक क्लिक पर ग्राहकों के घर पर उपलब्ध हैं. बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण आज के समय में ग्राहक सचमुच ग्राहक राजा बन गया हैं. ऐसे में उपभोक्ता अधिकार संरक्षण प्रणाली मजबूत होनी चाहिए ताकि उपभोक्ता 'राजा' को धोखा न मिले. बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का कुछ हद तक फायदा उपभोक्ताओं को हो रहा है, लेकिन जगह-जगह उन्हें धोखा भी दिया जा रहा है.
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Every e-commerce entity must provide the above-mentioned information to its consumers in a clear and accessible manner on its platform, prominently displayed to their users.#NationalConsumerDay #24thDecember #jagograhakjago #ConsumerAwareness pic.twitter.com/4vh1wf27pH
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उपभोक्ताओं के अधिकार:
- भारत में प्रत्येक उपभोक्ता को उन उत्पादों और सेवाओं से सुरक्षित रहने का अधिकार है जिससे उनके जीवन या संपत्ति को नुकसान की संभावना है.
- भारत में सभी उपभोक्ताओं को गुणवत्ता, मात्रा, प्रभावशीलता शुद्धता, के बारे में जानने का अधिकार है.
- उत्पादों और सेवाओं के मानक और मूल्य को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाया जाए, ताकि उपभोक्ता हितों से संरक्षित किया जा सके.
- सभी उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं तक प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर पाने का अधिकार है.
- उचित मंचों पर उचित प्रतिनिधित्व के साथ उपभोक्ताओं को सुने जाने और उपभोक्ता हितों को प्राप्त होने वाले आश्वासन का अधिकार है.
- उपभोक्ताओं का शोषण, अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं या अनैतिक के खिलाफ सुनवाई का अधिकार है.
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार