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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: केंद्र का 2026 तक प्रदूषणकारी कणों को 40 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य - केंद्र का 2026 तक का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने एनसीएपी के तहत वर्ष 2026 तक वायुमंडल में प्रदूषणकारी कणों के स्तर में 40 प्रतिशत तक कमी लाने का नया लक्ष्य तय किया है.

National Clean Air Programme Center aims to reduce polluting particles by 40 percent by 2026
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: केंद्र का 2026 तक प्रदूषणकारी कणों को 40 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य
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Published : Sep 27, 2022, 2:08 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी)के तहत वर्ष 2026 तक वायुमंडल में प्रदूषणकारी कणों (पार्टिकुलेट मैटर या पीएम) के स्तर में 40 प्रतिशत तक कमी लाने का नया लक्ष्य तय किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सरकार ने इससे पहले वर्ष 2024 तक वायुमंडल से इन कणों के प्रदूषण को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा था.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक एनसीएपी के तहत लक्ष्य प्राप्ति से दूर या नॉन-अटैनमेंट वाले 132 शहरों में से 95 में पीएम-10 के स्तर में वर्ष 2017 के मुकाबले 2021 में कुल मिलाकर सुधार देखने को मिला. एनसीएपी के तहत आने वाले ये 132 शहर लगातार पांच साल (वर्ष 2011 से 2015 तक) तय राष्ट्रीय मानक को प्राप्त करने में असफल रहे इसलिए इन्हें नॉन-अटैनमेंट की श्रेणी में रखा गया है.

मंत्रालय के मुताबिक चेन्नई, मदुरै और नासिक सहित 20 शहरों में वायु में पीएम-10 का स्तर राष्ट्रीय मानक (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर)के अनुरूप है. वहीं, पीएम-2.5 का वार्षिक स्वीकार्य मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है. पीएम-2.5 बहुत बारीक कण होते हें जिनका व्यास आमतौर पर 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है और सांस के जरिये शरीर में जाने की वजह से ये खतरा उत्पन्न करते हैं.

पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, '2024 तक हवा में पीएम के स्तर में 20 से 30 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य हासिल करना है. एनसीएपी के तहत अब तक नतीजे अच्छे रहे हैं. इसलिए हमने वर्ष 2026 तक इसके स्तर में 40 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य तय किया है.' गौरतलब है कि एनसीएपी के तहत वायु प्रदूषण को कम करने के लिए शहर आधारित कार्ययोजना तैयार की जाती है, जिनमें वायु गुणवत्ता को मजबूत करना, वाहनों और उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना तथा जन जागरूकता पैदा करने का कार्यक्रम शामिल है.

ये भी पढ़ें- क्रूरता: हिजाब को लेकर 20 साल की लड़की को मारी गईं 6 गोलियां

उन्होंने बताया कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, देहरादून, पटना, नागपुर ,पुणे, आगरा, प्रयागराज (इलाहाबाद), बरेली, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, कानपुर, वाराणसी, जालंधर, लुधियाना, जयपुर, जोधपुर, जमशेदपुर, रांची और रायपुर उन शहरों में शामिल हैं जहां पर वर्ष 2017 के बाद से पीएम-10 के स्तर में सुधार हुआ है. दिल्ली में वर्ष 2017 में जहां पीएम-10 का स्तर 241 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो वर्ष 2021 में घटकर 196 पर आ गया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी)के तहत वर्ष 2026 तक वायुमंडल में प्रदूषणकारी कणों (पार्टिकुलेट मैटर या पीएम) के स्तर में 40 प्रतिशत तक कमी लाने का नया लक्ष्य तय किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सरकार ने इससे पहले वर्ष 2024 तक वायुमंडल से इन कणों के प्रदूषण को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा था.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक एनसीएपी के तहत लक्ष्य प्राप्ति से दूर या नॉन-अटैनमेंट वाले 132 शहरों में से 95 में पीएम-10 के स्तर में वर्ष 2017 के मुकाबले 2021 में कुल मिलाकर सुधार देखने को मिला. एनसीएपी के तहत आने वाले ये 132 शहर लगातार पांच साल (वर्ष 2011 से 2015 तक) तय राष्ट्रीय मानक को प्राप्त करने में असफल रहे इसलिए इन्हें नॉन-अटैनमेंट की श्रेणी में रखा गया है.

मंत्रालय के मुताबिक चेन्नई, मदुरै और नासिक सहित 20 शहरों में वायु में पीएम-10 का स्तर राष्ट्रीय मानक (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर)के अनुरूप है. वहीं, पीएम-2.5 का वार्षिक स्वीकार्य मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है. पीएम-2.5 बहुत बारीक कण होते हें जिनका व्यास आमतौर पर 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है और सांस के जरिये शरीर में जाने की वजह से ये खतरा उत्पन्न करते हैं.

पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, '2024 तक हवा में पीएम के स्तर में 20 से 30 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य हासिल करना है. एनसीएपी के तहत अब तक नतीजे अच्छे रहे हैं. इसलिए हमने वर्ष 2026 तक इसके स्तर में 40 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य तय किया है.' गौरतलब है कि एनसीएपी के तहत वायु प्रदूषण को कम करने के लिए शहर आधारित कार्ययोजना तैयार की जाती है, जिनमें वायु गुणवत्ता को मजबूत करना, वाहनों और उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना तथा जन जागरूकता पैदा करने का कार्यक्रम शामिल है.

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उन्होंने बताया कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, देहरादून, पटना, नागपुर ,पुणे, आगरा, प्रयागराज (इलाहाबाद), बरेली, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, कानपुर, वाराणसी, जालंधर, लुधियाना, जयपुर, जोधपुर, जमशेदपुर, रांची और रायपुर उन शहरों में शामिल हैं जहां पर वर्ष 2017 के बाद से पीएम-10 के स्तर में सुधार हुआ है. दिल्ली में वर्ष 2017 में जहां पीएम-10 का स्तर 241 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो वर्ष 2021 में घटकर 196 पर आ गया.

(पीटीआई-भाषा)

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