नई दिल्ली : दिल्ली के जिमखाना क्लब का विवादों से पुराना नाता है. चुनाव में कथित रूप से कदाचार की जांच के लिए बनाई गई समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है फिर भी कार्रवाई नहीं हो रही है.
दरअसल राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने 15 फरवरी को कहा था कि क्लब भाई-भतीजावाद से प्रभावित है.
ट्रिब्यूनल ने सामान्य समिति (जीसी) को भंग कर और केंद्र को दिन-प्रतिदिन के मामलों को चलाने और कुप्रबंधन की जांच करने के लिए एक प्रशासक को नामित करने का निर्देश दिया था.
इस फैसले के बाद क्लब की गवर्निग काउंसिल को भंग कर दिया गया और दिन-प्रतिदिन के मामलों को चलाने और कुप्रबंधन की जांच के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया गया. हालांकि, क्लब के जीसी के लिए एक उम्मीदवार के खिलाफ कथित चुनावी कदाचार के संबंध में जांच समिति की सिफारिशों पर पिछले साल दिसंबर में फिर से चुनाव की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक इस पर कुछ नहीं हुआ.
दो फरवरी को क्लब ने तीन सदस्यों- ए बी शुक्ला (पीठासीन सदस्य), जय भट्टाचार्जी और कमोडोर अनिल जेल सिंह (सेवानिवृत्त) वाली एक जांच समिति गठित की गई थी. इस समिति का कार्य मुख्य चुनाव आयुक्त को मनदीप कपूर के खिलाफ मिली चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों की जांच करना था. ये शिकायतें क्लब के तीन लोगों द्वारा की गई थीं. क्लब के जीसी का चुनाव पिछले साल दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हुआ था.
जांच समिति ने कहा, 'गवाहों के बयान से पता चला है कि मंदीप कपूर कार्यालय के भीतर और आसपास मौजूद थे. कपूर जीसी के लगातार सदस्य और फिर से चुनाव की उम्मीदवारी के बावजूद चुनाव प्रक्रिया में सीधे हस्तक्षेप कर रहे थे.'
सूत्रों का कहना है कि जांच समिति की रिपोर्ट वर्तमान प्रशासक विनोद कुमार यादव के साथ साझा की गई है. जिसमें क्लब की जीसी को भंग कर दिया गया और वर्तमान में यह एक सरकार नामित प्रशासक के अधीन है. सरकार ने कहा था कि जीसी के सदस्य क्लब के कुछ चुने हुए सदस्यों के लाभ के लिए निरंकुश रूप से कार्य कर रहे हैं. लेकिन रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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जांच समिति ने कहा कि 'वह मंदीप कपूर की चुनावी आचार संहिता की घोर अवहेलना से खफा है. मुख्य चुनाव आयुक्त मेजर जनरल अशोक मेहता ने निष्क्रियता दिखाते हुए दो सदस्यों द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर ध्यान नहीं दिया, न ही जांच कराई. जबकि उनमें से एक खुद चुनाव का उम्मीदवार था और सीधे तौर पर चुनाव के संचालन में हो रहे कदाचार प्रभावित था. दूसरा शिकायतकर्ता उस समय जनरल कमेटी का सदस्य था.'