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यहां शराबियों को मिल रही अनोखी सजा, जुर्माना 1200 रूपये और रात गुजरती है 'पिंजरे' में

गुजरात के 24 गांवों में स्थानीय नट समुदाय शराब छुड़ाने के लिए एक तरह का सामाजिक प्रयोग कर रहा है. यहां शराब के नशे में पकड़े गए सदस्यों को पिंजरे में बंद करके उन पर जुर्माना लगाया जाता है. पढ़ें यह दिलचस्प रिपोर्ट.

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Published : Oct 20, 2021, 3:38 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 4:02 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात राज्य में नट समुदाय का शराब छुड़ाने के लिए यह अनोखा प्रयोग कर रहा है. जिसमें शराब के नशे में धुत्त व्यक्ति को पिंजरे में कैद कर दिया जाता है और जुर्माने के तौर पर 500 रूपये वसूले जाते हैं. समुदाय का यह दावा है कि इस कदम से लाभ मिल रहा है और लोग शराब पीना बंद कर रहे हैं. इस सजा के डर से अधिक से अधिक सदस्य शराब के सेवन से दूर हो रहे हैं.

गांव के सरपंच बाबू नायक ने कहा कि अहमदाबाद जिले के मोतीपुरा गांव में नट समुदाय ने 2019 में रात में शराब के नशे में पकड़े गए लोगों को कैद करने और उन पर 1200 रुपये का जुर्माना लगाने के लिए एक अस्थायी पिंजरा तैयार करने का विचार रखा था. हालांकि गुजरात में शराबबंदी लेकिन लोग कहीं न कहीं से व्यवस्था कर लेते हैं.

नट समुदाय के लोगों की मानें तो समुदाय में शराब की खपत का खतरा अधिक है इसलिए यह प्रयोग जल्द ही 24 गांवों में दोहराया जाने लगा. जिनमें समुदाय के सदस्यों की एक बड़ी संख्या रहती है. उन्होंने कहा कि 2017 में हमने पहली बार फैसला किया शराबियों पर 1200 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. लेकिन समुदाय के सदस्यों को बाद में एहसास हुआ कि यह पर्याप्त नहीं है इसलिए ऐसे लोगों को एक रात के लिए पिंजरे में बंद करने का नियम बनाया गया.

ग्रामीणों ने एक अस्थायी पिंजरा स्थापित किया है जहां गलती करने वाले सदस्यों को एक रात बितानी पड़ती है. उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को केवल पानी की एक बोतल और खुद को राहत देने के लिए एक कंटेनर दिया जाता है. नायक ने कहा कि यह प्रयोग प्रभावी साबित हुआ है. हर साल कई लोग पकड़े जा रहे हैं. इसके अलावा घरेलू हिंसा की घटनाओं में भी कमी आई है.

उन्होंने कहा कि यह विचार लोगों को नशे से दूर रखने और इस आदत के कारण होने वाली कानूनी और वित्तीय परेशानियों से दूर रखने के लिए है. नायक ने कहा कि एक टीम लोगों पर नजर रखती है और गांव वालों, ज्यादातर महिलाएं, जो अपने परिवार के पुरुष सदस्यों के शराब पीने की आदत से नाखुश हैं, से मिली सूचना पर भी कार्रवाई करती है.

यह प्रथा जिसे पहली बार मोतीपुरा में अपनाया गया था, धीरे-धीरे जामनगर, अमरेली, भावनगर और सुरेंद्रनगर जिलों के लगभग 24 गांवों में फैल गया. जहां नट समुदाय के सदस्यों की एक बड़ी संख्या है. समुदाय के एक अन्य सदस्य राजेश नायक ने कहा हर तीन से चार महीने में कम से कम एक आदमी पकड़ा जाता है.

उन्होंने कहा कि समुदाय द्वारा लगाया गया जुर्माना धार्मिक और सामाजिक कार्यों पर खर्च किया जाता है. हम विधवाओं और गरीबों को उनकी बेटियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता के रूप में भी पैसा देते हैं.

यह भी पढ़ें-क्रूज ड्रग्स केस : जेल में ही रहेंगे आर्यन खान, कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

नायक ने कहा कि नट समुदाय के सदस्य ज्यादातर सामाजिक, राजनीतिक और ऐसे अन्य कार्यक्रमों में संगीत वाद्ययंत्र बजाकर अपना जीवन-यापन करते हैं. गुजरात में मादक पेय पदार्थों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और खपत को रोकने के लिए एक मजबूत कानून है. यह कानून 1 मई 1960 से लागू है, जब तत्कालीन बॉम्बे राज्य से विभाजन के बाद गुजरात एक अलग राज्य बन गया था.

अहमदाबाद : गुजरात राज्य में नट समुदाय का शराब छुड़ाने के लिए यह अनोखा प्रयोग कर रहा है. जिसमें शराब के नशे में धुत्त व्यक्ति को पिंजरे में कैद कर दिया जाता है और जुर्माने के तौर पर 500 रूपये वसूले जाते हैं. समुदाय का यह दावा है कि इस कदम से लाभ मिल रहा है और लोग शराब पीना बंद कर रहे हैं. इस सजा के डर से अधिक से अधिक सदस्य शराब के सेवन से दूर हो रहे हैं.

गांव के सरपंच बाबू नायक ने कहा कि अहमदाबाद जिले के मोतीपुरा गांव में नट समुदाय ने 2019 में रात में शराब के नशे में पकड़े गए लोगों को कैद करने और उन पर 1200 रुपये का जुर्माना लगाने के लिए एक अस्थायी पिंजरा तैयार करने का विचार रखा था. हालांकि गुजरात में शराबबंदी लेकिन लोग कहीं न कहीं से व्यवस्था कर लेते हैं.

नट समुदाय के लोगों की मानें तो समुदाय में शराब की खपत का खतरा अधिक है इसलिए यह प्रयोग जल्द ही 24 गांवों में दोहराया जाने लगा. जिनमें समुदाय के सदस्यों की एक बड़ी संख्या रहती है. उन्होंने कहा कि 2017 में हमने पहली बार फैसला किया शराबियों पर 1200 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. लेकिन समुदाय के सदस्यों को बाद में एहसास हुआ कि यह पर्याप्त नहीं है इसलिए ऐसे लोगों को एक रात के लिए पिंजरे में बंद करने का नियम बनाया गया.

ग्रामीणों ने एक अस्थायी पिंजरा स्थापित किया है जहां गलती करने वाले सदस्यों को एक रात बितानी पड़ती है. उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को केवल पानी की एक बोतल और खुद को राहत देने के लिए एक कंटेनर दिया जाता है. नायक ने कहा कि यह प्रयोग प्रभावी साबित हुआ है. हर साल कई लोग पकड़े जा रहे हैं. इसके अलावा घरेलू हिंसा की घटनाओं में भी कमी आई है.

उन्होंने कहा कि यह विचार लोगों को नशे से दूर रखने और इस आदत के कारण होने वाली कानूनी और वित्तीय परेशानियों से दूर रखने के लिए है. नायक ने कहा कि एक टीम लोगों पर नजर रखती है और गांव वालों, ज्यादातर महिलाएं, जो अपने परिवार के पुरुष सदस्यों के शराब पीने की आदत से नाखुश हैं, से मिली सूचना पर भी कार्रवाई करती है.

यह प्रथा जिसे पहली बार मोतीपुरा में अपनाया गया था, धीरे-धीरे जामनगर, अमरेली, भावनगर और सुरेंद्रनगर जिलों के लगभग 24 गांवों में फैल गया. जहां नट समुदाय के सदस्यों की एक बड़ी संख्या है. समुदाय के एक अन्य सदस्य राजेश नायक ने कहा हर तीन से चार महीने में कम से कम एक आदमी पकड़ा जाता है.

उन्होंने कहा कि समुदाय द्वारा लगाया गया जुर्माना धार्मिक और सामाजिक कार्यों पर खर्च किया जाता है. हम विधवाओं और गरीबों को उनकी बेटियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता के रूप में भी पैसा देते हैं.

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नायक ने कहा कि नट समुदाय के सदस्य ज्यादातर सामाजिक, राजनीतिक और ऐसे अन्य कार्यक्रमों में संगीत वाद्ययंत्र बजाकर अपना जीवन-यापन करते हैं. गुजरात में मादक पेय पदार्थों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और खपत को रोकने के लिए एक मजबूत कानून है. यह कानून 1 मई 1960 से लागू है, जब तत्कालीन बॉम्बे राज्य से विभाजन के बाद गुजरात एक अलग राज्य बन गया था.

Last Updated : Oct 20, 2021, 4:02 PM IST
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