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कोविड-19 से बेहतर सुरक्षा के लिए नेजल स्प्रे वैक्सीन सबसे अच्छा विकल्प

कोविड-19 से सुरक्षा के लिए जल्द ही नेजल स्प्रे वैक्सीन आने वाली है. इसे लेकर ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है, जिसके आधार पर उनका कहना है कि नेजल स्प्रे वैक्सीन कोविड-19 से सुरक्षा के लिए दूसरे विकल्पों से बेहतर है, बल्कि शोध में दावा किया गया है कि यह सबसे बेहतर है.

nasal spray corona vaccine
नेजल स्प्रे कोरोना वैक्सीन
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Published : Dec 26, 2022, 5:23 PM IST

Updated : Dec 26, 2022, 5:39 PM IST

लंदन : ब्रिटिश वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला है कि नेजल स्प्रे वैक्सीन कोविड-19 से बेहतर सुरक्षा के लिए सबसे बेहतर है. बताया गया है कि इस संक्रमण से उबरने वालों में 9 महीने बाद नाक में एंटीबॉडीज कम हो जाती हैं. वैज्ञानिकों ने समझाया कि खून में एंटीबॉडी कम से कम एक वर्ष तक जीवित रह सकते हैं. इस पृष्ठभूमि में, नाक में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए टीकों की आवश्यकता होती है.

ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज और लिवरपूल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया है. कोविड के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति प्रदान करने के लिए आईजीए नामक एंटीबॉडी नाक के तरल पदार्थ में मौजूद हैं. जैसे ही यह श्वसन प्रणाली में प्रवेश करते हैं, वे वायरस को ब्लॉक कर देते हैं. वे कोशिकाओं में वायरस के बिना कुशलता से काम करते हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोविड से ठीक होने के बाद कुछ समय के लिए उनमें नाक की एंटीबॉडी दिखाई दे रही है.

पढ़ें: देश में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले 200 से कम , दैनिक संक्रमण दर एक फीसदी से भी कम

हालांकि, शोध में यह भी पाया गया है कि यह कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ कम समय के लिए असरदार हैं. इस संदर्भ में, उनका सुझाव है कि अगली पीढ़ी के टीकों में नेजल स्प्रे और नाक से सांस लेने वाले टीके शामिल होने चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे नाक और फेफड़ों में स्थानीय एंटीबॉडीज बढ़ेंगे. बताया गया है कि कोरोना संक्रमण और प्रसार को अधिक प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है.

नेजल वैक्सीन बनाने में दुनिया की कई कंपनियां लगी हुईं हैं. अमेरिका, चीन समेत कई देशों में इस पर काम चल रहा है. भारत ने भी इसमें उल्लेखनीय प्रगति की है, बल्कि भारतीय कंपनी भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन, इंकोवैक, को सबसे अधिक प्रभावकारी भी बताया गया है. नेजल वैक्सीन सीधे नाक से लगाई जाती है. यह वैक्सीन श्वास नली से होते हुए सीधे फेफड़ों तक पहुंचेगी. यह एडिनोवायरस वैक्टर्ड नेजल वैक्सीन आईजीजी, म्यूकोसल आईजीए और टी-सेल की कार्यक्षमता को न्यूट्रलाइज करती है.

यहां यह जानना जरूरी है कि आपके नाक की म्यूकोसा लेयर की प्रतिरक्षा प्रणाली जितनी मजबूत होती, उतनी ही प्रतिबद्धता के साथ यह कोरोना वायरस को फैलने से रोकेगा. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का दावा है कि उसकी वैक्सीन, इंकोवैक, लेने के बाद कोरोना संक्रमण होने का खतरा नहीं के बराबर होगा. यानी आप यह भी कह सकते हैं कि यह सबसे अधिक प्रभावकारी है. आप इंकोवैक को बूस्टर डोज के तौर पर प्राप्त कर सकते हैं. इसकी आठ बूंद आपको नाक से दी जाएगी.

लंदन : ब्रिटिश वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला है कि नेजल स्प्रे वैक्सीन कोविड-19 से बेहतर सुरक्षा के लिए सबसे बेहतर है. बताया गया है कि इस संक्रमण से उबरने वालों में 9 महीने बाद नाक में एंटीबॉडीज कम हो जाती हैं. वैज्ञानिकों ने समझाया कि खून में एंटीबॉडी कम से कम एक वर्ष तक जीवित रह सकते हैं. इस पृष्ठभूमि में, नाक में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए टीकों की आवश्यकता होती है.

ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज और लिवरपूल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया है. कोविड के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति प्रदान करने के लिए आईजीए नामक एंटीबॉडी नाक के तरल पदार्थ में मौजूद हैं. जैसे ही यह श्वसन प्रणाली में प्रवेश करते हैं, वे वायरस को ब्लॉक कर देते हैं. वे कोशिकाओं में वायरस के बिना कुशलता से काम करते हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोविड से ठीक होने के बाद कुछ समय के लिए उनमें नाक की एंटीबॉडी दिखाई दे रही है.

पढ़ें: देश में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले 200 से कम , दैनिक संक्रमण दर एक फीसदी से भी कम

हालांकि, शोध में यह भी पाया गया है कि यह कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ कम समय के लिए असरदार हैं. इस संदर्भ में, उनका सुझाव है कि अगली पीढ़ी के टीकों में नेजल स्प्रे और नाक से सांस लेने वाले टीके शामिल होने चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे नाक और फेफड़ों में स्थानीय एंटीबॉडीज बढ़ेंगे. बताया गया है कि कोरोना संक्रमण और प्रसार को अधिक प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है.

नेजल वैक्सीन बनाने में दुनिया की कई कंपनियां लगी हुईं हैं. अमेरिका, चीन समेत कई देशों में इस पर काम चल रहा है. भारत ने भी इसमें उल्लेखनीय प्रगति की है, बल्कि भारतीय कंपनी भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन, इंकोवैक, को सबसे अधिक प्रभावकारी भी बताया गया है. नेजल वैक्सीन सीधे नाक से लगाई जाती है. यह वैक्सीन श्वास नली से होते हुए सीधे फेफड़ों तक पहुंचेगी. यह एडिनोवायरस वैक्टर्ड नेजल वैक्सीन आईजीजी, म्यूकोसल आईजीए और टी-सेल की कार्यक्षमता को न्यूट्रलाइज करती है.

यहां यह जानना जरूरी है कि आपके नाक की म्यूकोसा लेयर की प्रतिरक्षा प्रणाली जितनी मजबूत होती, उतनी ही प्रतिबद्धता के साथ यह कोरोना वायरस को फैलने से रोकेगा. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का दावा है कि उसकी वैक्सीन, इंकोवैक, लेने के बाद कोरोना संक्रमण होने का खतरा नहीं के बराबर होगा. यानी आप यह भी कह सकते हैं कि यह सबसे अधिक प्रभावकारी है. आप इंकोवैक को बूस्टर डोज के तौर पर प्राप्त कर सकते हैं. इसकी आठ बूंद आपको नाक से दी जाएगी.

Last Updated : Dec 26, 2022, 5:39 PM IST
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