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महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामले में नया मोड़, शिकायतकर्ता अमर गिरि ने कहा, नहीं लड़ेंगे केस

करीब एक साल पहले बाघंबरी मठ में महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामला अब उलझ गया है. इस केस में शिकायत करने वाले अमर गिरि ने हाई कोर्ट कोर्ट को ऐफिडेविट देकर मुख्य आरोपी आनंद गिरि के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की इच्छा जताई है.

महंत नरेंद्र गिरि
महंत नरेंद्र गिरि
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Published : Aug 11, 2022, 6:28 PM IST

प्रयागराज : अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि आत्महत्या के मामले में एक नया मोड़ आया है. इस मामले में पुलिस को शिकायत देने वाले अमर गिरि ने मुकदमा वापस लेने के लिए ऐफिडेविट दिया है. अगर हाईकोर्ट अमर गिरि को मुकदमा वापस लेने की इजाजत देता है तो इस केस के आरोपी आनंद गिरी समेत सभी आरोपियों को जेल से रिहाई मिल जाएगी. अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी ने इसकी पुष्टि की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट को दिए गए अपने हलफनामे में अमर गिरि ने कहा है कि उन्होंने एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया था. उन्होंने सिर्फ थाने पर सूचना मात्र दी थी. बता दें कि बाघम्बरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद अमर गिरि और पवन महाराज ने पुलिस को शिकायत दी थी.

हलफनामे में अमर गिरि ने साफ किया है कि अपनी एफआईआर में उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ केस दर्ज नहीं करवाया था. पुलिस को दी गई शिकायत पर हलफनामे में सफाई भी दी गई है. हलफनामे के हवाले से वकील नीरज तिवारी ने बताया कि 20 सितंबर को घटना वाले दिन अमर गिरी और पवन महाराज हनुमान मंदिर में थे. हनुमान मंदिर में ही उन्हें नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के बारे में सूचना मिली. अमर गिरि ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया है कि पुलिस अफसरों और दूसरे लोगों के कहने पर उन्होंने नरेंद्र गिरि की मौत के बारे में लिखित सूचना जार्ज टाउन थाने को दी थी. बाद में उन्हें जानकारी मिली कि उस एफआईआर में आनंद गिरी और दो पुजारियों को नामजद किया गया है.

अमर गिरि के ऐफिडेविट की कॉपी
अमर गिरि के ऐफिडेविट की कॉपी

हलफनामे में अमर गिरि ने कहा है कि चूंकि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे और उन्होंने अपने एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया है. उन्होंने किसी को कुछ करते हुए नहीं देखा है, इसलिए वह नहीं चाहते हैं कि उनकी वजह से कोई व्यक्ति परेशान हो.इसलिए ही वह हाईकोर्ट को लिखित जानकारी दे रहे हैं. उनके एफिडेविट में लिखी बातों को हाईकोर्ट के साथ ही लोवर कोर्ट में भी यही माना जाए.

महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि
महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि

बता दें कि पिछले साल बीस सितंबर को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव बाघंबरी मठ में उनके कमरे में नाईलोन की रस्सी के फंदे पर लटकता म‍िला था इस मामले में यूपी पुलिस ने केस दर्ज कर तफ्तीश शुरू की थी, लेकिन दो दिन बाद नरेंद्र गिरि की आत्महत्या का मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बताया था कि नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की है. आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद और उनके बेटे संदीप को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. अभी भी सभी आरोपी जेल में हैं.

पढ़ें : बलवीर गिरि बने बाघंबरी मठ और लेटे हनुमान मंदिर के महंत, संतों ने की चादरपोशी

प्रयागराज : अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि आत्महत्या के मामले में एक नया मोड़ आया है. इस मामले में पुलिस को शिकायत देने वाले अमर गिरि ने मुकदमा वापस लेने के लिए ऐफिडेविट दिया है. अगर हाईकोर्ट अमर गिरि को मुकदमा वापस लेने की इजाजत देता है तो इस केस के आरोपी आनंद गिरी समेत सभी आरोपियों को जेल से रिहाई मिल जाएगी. अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी ने इसकी पुष्टि की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट को दिए गए अपने हलफनामे में अमर गिरि ने कहा है कि उन्होंने एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया था. उन्होंने सिर्फ थाने पर सूचना मात्र दी थी. बता दें कि बाघम्बरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद अमर गिरि और पवन महाराज ने पुलिस को शिकायत दी थी.

हलफनामे में अमर गिरि ने साफ किया है कि अपनी एफआईआर में उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ केस दर्ज नहीं करवाया था. पुलिस को दी गई शिकायत पर हलफनामे में सफाई भी दी गई है. हलफनामे के हवाले से वकील नीरज तिवारी ने बताया कि 20 सितंबर को घटना वाले दिन अमर गिरी और पवन महाराज हनुमान मंदिर में थे. हनुमान मंदिर में ही उन्हें नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के बारे में सूचना मिली. अमर गिरि ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया है कि पुलिस अफसरों और दूसरे लोगों के कहने पर उन्होंने नरेंद्र गिरि की मौत के बारे में लिखित सूचना जार्ज टाउन थाने को दी थी. बाद में उन्हें जानकारी मिली कि उस एफआईआर में आनंद गिरी और दो पुजारियों को नामजद किया गया है.

अमर गिरि के ऐफिडेविट की कॉपी
अमर गिरि के ऐफिडेविट की कॉपी

हलफनामे में अमर गिरि ने कहा है कि चूंकि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे और उन्होंने अपने एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया है. उन्होंने किसी को कुछ करते हुए नहीं देखा है, इसलिए वह नहीं चाहते हैं कि उनकी वजह से कोई व्यक्ति परेशान हो.इसलिए ही वह हाईकोर्ट को लिखित जानकारी दे रहे हैं. उनके एफिडेविट में लिखी बातों को हाईकोर्ट के साथ ही लोवर कोर्ट में भी यही माना जाए.

महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि
महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि

बता दें कि पिछले साल बीस सितंबर को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव बाघंबरी मठ में उनके कमरे में नाईलोन की रस्सी के फंदे पर लटकता म‍िला था इस मामले में यूपी पुलिस ने केस दर्ज कर तफ्तीश शुरू की थी, लेकिन दो दिन बाद नरेंद्र गिरि की आत्महत्या का मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बताया था कि नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की है. आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद और उनके बेटे संदीप को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. अभी भी सभी आरोपी जेल में हैं.

पढ़ें : बलवीर गिरि बने बाघंबरी मठ और लेटे हनुमान मंदिर के महंत, संतों ने की चादरपोशी

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