नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि संसद को ऐसे मुद्दों पर बाधित करने का क्या मतलब है जो 'तथ्यों पर आधारित ही नहीं हैं.' संसद में चर्चा के मुद्दों को लेकर राज्य सभा में सदन के उपनेता नकवी ने कहा कि सरकार लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा में सभापति के फैसले के आधार पर सभी मुद्दों पर चर्चा और बहस के लिए तैयार है. गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल पेगासस जासूसी के आरोपों को फिर से संसद में उठा सकते हैं.
नकवी ने कहा कि विपक्ष को आगामी शीतकालीन सत्र को विधानसभा चुनावों से जोड़ने से बचना चाहिए. एक साक्षात्कार में, नकवी ने पिछले संसदीय सत्रों में हुए व्यवधान को लेकर कांग्रेस पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थापित किया है कि 'लोकतंत्र बचाता है' (democracy delivers) और 'वंशवाद परेशान करता है.' (dynasty disturbs)
विपक्ष के चौधरी बनने की होड़
संसद के पिछले सत्र के दौरान विपक्षी एकता के बारे में पूछे जाने पर, नकवी ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि नेतृत्व करने के लिए विपक्ष 'मजबूर (असहाय)' नहीं, 'मजबूत (मजबूत)' होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष का चौधरी बनने के चक्कर में कुछ लोगों की पार्टी की चौधराहट खतरे में है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और कुछ और पार्टियां कहती हैं हम विपक्ष के चौधरी हैं. इसी होड़ के कारण इनके भीतर असमंजस है.
नकवी ने कहा कि दुर्भाग्य से ऐसे दलों का प्रभाव कम होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को मुद्दों पर एकजुट होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछली बार विपक्षी पार्टियां सिर्फ बाधित करने के लिए एकजुट हुए थे.
गौरतलब है कि सूत्रों के मुताबिक संसद मामलों की कैबिनेट कमेटी ने संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक कराने की सिफारिश की है.
कांग्रेस के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि वह पेगासस जासूसी के आरोपों को फिर से संसद में उठाएगी, नकवी ने कहा कि उन्होंने जो फैसला किया है वह महत्वपूर्ण नहीं है, जो कुछ भी सर्वसम्मति से तय किया जाता है, सरकार उस पर कायम रहेगी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कब तक जासूसी के बारे में अपनी कहानियों को खींचेंगी. इसे उठाने का कोई मतलब नहीं है. ये ऐसे मुद्दे हैं जो तथ्यों या तर्क पर आधारित नहीं हैं. इसलिए, यदि आप अतार्किक मुद्दों पर सदन को बाधित करना चाहते हैं.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नकवी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, हम पिछली बार कीमतों पर चर्चा के लिए तैयार थे, हमने समय भी तय किया था. पेगासस पर कई बार चर्चा हुई है और हर बार उनका पर्दाफाश हुआ है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है और अन्य एजेंसियों ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, लेकिन कांग्रेस के साथ समस्या यह है कि वह 'जासूसी का जेम्स बॉन्ड' है.
नकवी ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस विपक्ष में होती है तो जासूसी को लेकर 'हल्लाबालू' (hullabaloo) करती है. सत्ता में होने पर कांग्रेस 'निगरानी का जाल' फैलाती है. नकवी ने दावा किया कि कांग्रेस का इतिहास ऐसा है कि उन्होंने अपने गृह मंत्री और वित्त मंत्री की भी जासूसी कराई है. उन्होंने कहा, जासूसी के आरोप फर्जी और मनगढ़ंत हैं, लेकिन इसके बावजूद संसद में सभापति और स्पीकर जो भी फैसला करेंगे, उस पर चर्चा की जाएगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या सत्र से पहले विपक्षी दलों के साथ बातचीत हो रही है तो नकवी ने कहा, 'हम लोगों का विपक्ष के साथियों के साथ संपर्क और संवाद बना रहता है. उनसे बातचीत होती रहती है. हमारी कोशिश होती है कि विपक्ष के मुद्दों का निदान करें और सबको साथ लेकर चलें.'
उनके मुताबिक, 'अब तक यही परंपरा रही है कि विपक्ष मुद्दों को उठाता है तो उस पर सर्वदलीय बैठक और कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में फैसला होता है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. अगर चुनाव और संसद की कार्यवाही को एकसाथ जोड़ेंगे तो फिर न्याय नहीं कर पाएंगे. शीतकालीन सत्र में ज्यादा उत्पादकता हो, यही हमारा प्रयास होगा.'
पिछले सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में हुए हंगामे पर नकवी ने कहा, 'ये मामला आसन के पास है. विपक्ष के साथियों से यही अपील है कि दुनिया में सबसे ज्यादा मजबूत और अच्छा संसदीय लोकतंत्र हमारा है. हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे इसे नुकसान पहुंचे.'
सत्र के दौरान संसद मार्च करने की किसान नेताओं की घोषणा पर केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा कि किसानों के लिए सरकार ने 'नो एंट्री और नो टॉक' का कोई बोर्ड नहीं लगाया है, लेकिन किसान नेताओं को उनका शोषण कर रही पार्टियों से सचेत हो जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें- बाबरी विध्वंस के बाद मंत्रिमंडल से बोले थे नरसिम्हा राव, सहानुभूति नहीं चाहिए : खुर्शीद
उन्होंने कहा, 'सरकार ने हजार बार एमएसपी की गारंटी की बात की है. संसद के भीतर और बाहर भी इस बारे में कहा है. आज न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, अधिकतम समर्थन मूल्य मिल रहा है. मंडियां सुरक्षित थीं और सुरक्षित रहेंगी. किसानों की जमीन की गारंटी कानून में दी गई. ये तीन मुद्दे किसानों के थे जिनका समाधान हो गया. लेकिन कुछ लोग भ्रम और भय का माहौल पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं.' पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पुस्तक में हिंदुत्व को लेकर की गई टिप्पणी पर नकवी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का 'हिंदू विरोधी मंतर' उसे 'छूमंतर' कर रहा है.
गौरतलब है कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का प्रयोग कर हुई कथित जासूसी के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का गठन किया है. समिति कई बिंदुओं पर शीर्ष अदालत को जानकारी देगी. समिति गठन का आदेश देते समय सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां कीं. एक टिप्पणी अखबार की रिपोर्ट पर भी की. अदालत ने कहा कि कोर्ट में खबरों पर आधारित अपूर्ण याचिकाएं दायर करने से बचा जाना चाहिए. कोर्ट ने लगभग 37 साल पहले कही गई एक बात का भी उल्लेख किया. अंग्रेजी उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल के कथन का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग करने वाली याचिकाएं 'ऑरवेलियन चिंता' पैदा करती हैं.
यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट की नसीहत, उतावलेपन में आकर न करें याचिकाएं दाखिल
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि लोगों को उतावलेपन में केवल कुछ अखबारी खबरों के आधार पर आधी-अधूरी याचिकाएं (newspaper report based plea) दायर करने से बचना चाहिए. न्यायालय ने इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन करने के अपने फैसले में यह टिप्पणी की. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं याचिका दायर करने वाले व्यक्ति द्वारा समर्थित मुद्दे में मदद नहीं करती हैं बल्कि मकसद का नुकसान पहुंचाती हैं.
(पीटीआई)