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चारधाम यात्रा पर बंदिशें खत्म, बेरोकटोक दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु, हाईकोर्ट ने हटाई रोक - चारधाम

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सभी श्रद्धालुओं को चारधाम के दर्शन की अनुमति दे दी है. यात्रियों को कोविड नियमों का पालन करना होगा. इससे पहले हाईकोर्ट ने चारधाम के लिए श्रद्धालुओं के प्रतिदिन दर्शन के लिए संख्या तय की थी. अब चारधाम जाने के लिए तय श्रद्धालुओं का बैरियर हटा दिया गया है. अब जो भी श्रद्धालु चारधाम जाना चाहते हैं, वो जा सकते हैं. उन्हें बस राज्य में लागू कोविड नियमों और गाइडलाइन का पालन करना होगा.

सबके लिए खुले चारधाम
सबके लिए खुले चारधाम
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Published : Oct 5, 2021, 12:51 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में आज चारधाम यात्रा को लेकर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद सभी श्रद्धालुओं को चारधाम के दर्शन की अनुमति प्रदान की. साथ में कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी श्रद्धालु कोविड के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करेंगे.

अगली सुनवाई 17 नवम्बर को होगी

कोविड के नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. डीएलएसए इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि चारधाम में मेडिकल की सुविधा और बढ़ाई जाए. सीरियस केसों के लिए चॉपर की व्यवस्था की जाये. उसकी जानकारी के लिए मोबाइल नम्बर वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाए. मामले की अगली सुनवाई 17 नवम्बर को होगी.

सरकार नेकी थी श्रद्धालुओं की लिमिट हटाने की मांग

वहीं, राज्य सरकार की तरफ से शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए निर्णय में संशोधन किया जाये. महाअधिवक्ता द्वारा सरकार का पक्ष रखते हुए कहा गया कि चारधाम यात्रा करने के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी, लेकिन वर्तमान समय में प्रदेश में कोविड के केस ना के बराबर आ रहे हैं. इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाये.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर नहीं आ रहे थे श्रद्धालु

महा अधिवक्ता ने कोर्ट में यह भी कहा कि चारधाम यात्रा समाप्त होने में तीन सप्ताह से कम का समय बचा है. इसलिए जितने भी श्रद्धालु वहां दर्शन के लिए आ रहे हैं, उन सबको अनुमति दी जाये. जो श्रद्धालु ऑनलाइन दर्शन कर नेका रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, वे नहीं आ रहे हैं. इस कारण वहां के स्थानीय लोगों पर रोजी-रोटी का खतरा उत्पन्न हो रहा है.

सरकार ने तिरुपति बालाजी और सोमनाथ का उदाहरण दिया

सरकार ने कहा कि कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा. चारधाम यात्रा में सभी सुविधाओं को उपलब्ध करा दिया गया है. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या पर से रोक हटाई जाये. या फिर श्रद्धालुओं की संख्या तीन से चार हजार प्रतिदिन की जाये. सरकार की तरफ से आज यह भी कहा गया कि तिरुपति बालाजी व सोमनाथ में प्रतिदिन 28 हजार व 10 हजार श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. राज्य व केंद्र सरकार ने स्कूल मॉल, कॉलेज, सिनेमा सब खोल दिये हैं. इसलिए चारधाम में श्रद्धालुओं की संख्या को भी बढ़ाया जाए.

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि सरकार ने चारधाम में दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी पोर्टल में नहीं डाली है. उसको भी राज्य अपने वेबसाइट में अपलोड करे ताकि दर्शन करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.

पूर्व में कोर्ट ने चारधाम यात्रा करने के लिए प्रत्येक दिन केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में कुल 400 श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी थी.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में आज चारधाम यात्रा को लेकर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद सभी श्रद्धालुओं को चारधाम के दर्शन की अनुमति प्रदान की. साथ में कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी श्रद्धालु कोविड के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करेंगे.

अगली सुनवाई 17 नवम्बर को होगी

कोविड के नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. डीएलएसए इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि चारधाम में मेडिकल की सुविधा और बढ़ाई जाए. सीरियस केसों के लिए चॉपर की व्यवस्था की जाये. उसकी जानकारी के लिए मोबाइल नम्बर वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाए. मामले की अगली सुनवाई 17 नवम्बर को होगी.

सरकार नेकी थी श्रद्धालुओं की लिमिट हटाने की मांग

वहीं, राज्य सरकार की तरफ से शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए निर्णय में संशोधन किया जाये. महाअधिवक्ता द्वारा सरकार का पक्ष रखते हुए कहा गया कि चारधाम यात्रा करने के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी, लेकिन वर्तमान समय में प्रदेश में कोविड के केस ना के बराबर आ रहे हैं. इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाये.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर नहीं आ रहे थे श्रद्धालु

महा अधिवक्ता ने कोर्ट में यह भी कहा कि चारधाम यात्रा समाप्त होने में तीन सप्ताह से कम का समय बचा है. इसलिए जितने भी श्रद्धालु वहां दर्शन के लिए आ रहे हैं, उन सबको अनुमति दी जाये. जो श्रद्धालु ऑनलाइन दर्शन कर नेका रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, वे नहीं आ रहे हैं. इस कारण वहां के स्थानीय लोगों पर रोजी-रोटी का खतरा उत्पन्न हो रहा है.

सरकार ने तिरुपति बालाजी और सोमनाथ का उदाहरण दिया

सरकार ने कहा कि कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा. चारधाम यात्रा में सभी सुविधाओं को उपलब्ध करा दिया गया है. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या पर से रोक हटाई जाये. या फिर श्रद्धालुओं की संख्या तीन से चार हजार प्रतिदिन की जाये. सरकार की तरफ से आज यह भी कहा गया कि तिरुपति बालाजी व सोमनाथ में प्रतिदिन 28 हजार व 10 हजार श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. राज्य व केंद्र सरकार ने स्कूल मॉल, कॉलेज, सिनेमा सब खोल दिये हैं. इसलिए चारधाम में श्रद्धालुओं की संख्या को भी बढ़ाया जाए.

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि सरकार ने चारधाम में दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी पोर्टल में नहीं डाली है. उसको भी राज्य अपने वेबसाइट में अपलोड करे ताकि दर्शन करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.

पूर्व में कोर्ट ने चारधाम यात्रा करने के लिए प्रत्येक दिन केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में कुल 400 श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी थी.

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