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नायडू ने राज्यसभा सदस्यों से किया टीबी उन्मूलन में सहयोग करने का आह्वान

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन के सदस्यों से अपने-अपने राज्यों में टीबी नियंत्रण प्रयासों में सहयोग करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम समुदायों के साथ मिलकर काम करें ताकि व्यवहार में जरूरी परिवर्तन आ सके.

टीबी उन्मूलन
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Published : Mar 16, 2021, 8:15 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को उच्च सदन के सदस्यों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने राज्यों में टीबी नियंत्रण प्रयासों में सहयोग करें तथा बीमारी के खिलाफ लड़ाई में सहायक प्रणालियों को मजबूत बनाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करें, ताकि 2025 तक इसे देश से मिटाया जा सके.

नायडू ने सदन में कहा कि 2030 के वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले, 2025 तक देश से तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लिए भारत ने एक महत्वाकांक्षी प्रयास शुरू किया है.

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पहले ही टीबी से निपटने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें नैदानिक ​​सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार, नई दवाओं की शुरुआत, पोषण के लिए वित्तीय सहायता, निजी क्षेत्र की भागीदारी आदि शामिल हैं.

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि टीबी नियंत्रण ग्रामीण क्षेत्रों में भी गति प्राप्त कर रहा है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने आम लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए टीबी पर जन आंदोलन का आह्वान किया है.

पढ़ें- दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित 30 शहरों में से 22 भारत में : रिपोर्ट

नायडू ने कहा, 'कानून निर्माता और जन प्रतिनिधियों के रूप में हमारी लोगों के प्रति बड़ी भूमिका होती है. यह हमारा कर्तव्य है कि हम समुदायों के साथ मिलकर काम करें ताकि व्यवहार में जरूरी परिवर्तन आ सके.'

नई दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को उच्च सदन के सदस्यों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने राज्यों में टीबी नियंत्रण प्रयासों में सहयोग करें तथा बीमारी के खिलाफ लड़ाई में सहायक प्रणालियों को मजबूत बनाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करें, ताकि 2025 तक इसे देश से मिटाया जा सके.

नायडू ने सदन में कहा कि 2030 के वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले, 2025 तक देश से तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लिए भारत ने एक महत्वाकांक्षी प्रयास शुरू किया है.

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पहले ही टीबी से निपटने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें नैदानिक ​​सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार, नई दवाओं की शुरुआत, पोषण के लिए वित्तीय सहायता, निजी क्षेत्र की भागीदारी आदि शामिल हैं.

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि टीबी नियंत्रण ग्रामीण क्षेत्रों में भी गति प्राप्त कर रहा है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने आम लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए टीबी पर जन आंदोलन का आह्वान किया है.

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नायडू ने कहा, 'कानून निर्माता और जन प्रतिनिधियों के रूप में हमारी लोगों के प्रति बड़ी भूमिका होती है. यह हमारा कर्तव्य है कि हम समुदायों के साथ मिलकर काम करें ताकि व्यवहार में जरूरी परिवर्तन आ सके.'

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