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नग्गर कैसल किला: हिमाचल का एक ऐसा किला जिसमें एक भी कील का नहीं हुआ इस्तेमाल

हिमाचल के पर्यटन स्थल (tourist destination of himachal) दूनिया भर में मशहूर हैं. देश-विदेश से हर साल लाखों सैलानी यहां पहुंचते हैं. कुल्लू की पर्यटन नगरी मनाली से 20 किमी. दूर पर मौजूद नग्गर कैसल किला (naggar kaisal fort) भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. 16वीं शताब्दी में बने इस किले में एक भी लोहे की कील का इस्तेमाल नहीं हुआ है. इतना ही नहीं, साल 1905 में आए विनाशकारी भूकंप भी इस किले को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका. यहां आने वाले सैलानी इसकी निर्माण शैली के दीवाने हैं.

tourist destination of himachal
नग्गर कैसल किला हिमाचल का एक ऐसा किला जिसमें एक भी कील का नहीं हुआ इस्तेमाल
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Published : Jan 30, 2022, 7:01 AM IST

कुल्लू : यूं तो छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल अपनी खूबसूरत वादियों और शांत वातावरण के लिए दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन यहां पर बनी सैंकड़ों साल पुरानी इमारतें भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती हैं. इन्हीं इमारतों में से एक कुल्लू जिले भी मौजूद है. जिसके निर्माण में एक भी लोहे की कील का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ये नायाब इमारत है नग्गर कैसल किला (naggar kaisal fort). जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था. इस किले के दीदार के लिए देश विदेश से सैलानी यहां पहुंचते हैं.

कुल्लू की पुरातन राजधानी नग्गर (Naggar ancient capital of Kullu) में देवदार के जंगलों के साथ सटा नग्गर कैसल किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इसकी खूबसूरती अपने आप में अनौखी है. यहां आने वाले सैलानी इसकी बनावट और निर्माण शैली को देख दंग रह जाते हैं. नग्गर कैसल किला पर्यटन नगरी मनाली (tourist city manali) से महज 20 किमी की दूरी पर है. जिसका इतिहास सदियों पुराना है.

नग्गर कैसल किला

16वीं शताब्दी में निर्माण- मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस किले का निर्माण राजा सिद्वि सिंह ने 16वीं शताब्दी में किया था. 17वीं शताब्दी के मध्य तक राजा महाराजा इसे शाही महल और शाही मुख्यालय के तौर पर प्रयोग करते थे. बाद में इसे कुल्लू के राजा जगत सिंह ने इसे अपनी राजधानी बनाया.

किले में नहीं हुआ कील का इस्तेमाल- नग्गर कैसल आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वहीं इस राष्ट्रीय धरोहर का निर्माण देवदार के पेड़ों और पत्थरों से किया गया है. राष्ट्रीय धरोहर नग्गर कैसल के दीदार के लिए रोजाना देश और विदेश से सैंकड़ों पर्यटक यहां पहुंचते हैं. इस कि खास बात यह है कि इस भवन में कहीं भी लोहे की कीलों का प्रयोग नहीं हुआ है.

नग्गर कैसल किला.
नग्गर कैसल किला.

किले को भूकंप भी नहीं हिला सका- नग्गर कैसल का यह किला 1905 में आए भयंकर भूकंप में भी खड़ा रहा और इस किले को कोई नुकसान नहीं हुआ है. यहां का इतिहास किले की दीवारों पर दर्शाया गया है. यहां घूमने आने वाले पर्यटकों का भी कहना है कि कैसल की निर्माण शैली काफी पसंद आई है. आज तक उन्होंने सिर्फ कुल्लू-मनाली की खूबसूरती के बारे में सुना था, लेकिन आज कुछ अलग देखने को मिलता है.

एक बंदूक के लिए बेच दिया किला- सन् 1846 तक इस घराने के वंशज किले का प्रयोग ग्रीष्मकालीन महल के रूप में करते थे, लेकिन जब अंग्रेजों ने सारा कुल्लू सिक्खों के अधिकार से छुड़ा कर अपने कब्जे में ले लिया, तब राजा ज्ञान सिंह ने मात्र एक बंदूक के लिए इसे मेजर को बेच दिया था. इसके बाद इसे रहने के लिए यूरोपियन रहन-सहन के अनुरूप परिवर्तित कर दिया गया. कुछ समय बाद मेजर ने इसे सरकार को बेच दिया और इसका प्रयोग ग्रीष्मकालीन न्यायालय के रूप में होता रहा. अब यह किला सरकार के अधीन है.

किले से जुड़ी कुछ जानकारियां.
किले से जुड़ी कुछ जानकारियां.

फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद- यह किला ब्यास नदी के तट पर बना हुआ है. इस किले के परिसर में देखने के लिए अन्य आकर्षक और दर्शनीय स्थल भी है. जैसे मंदिर, आर्ट गैलरी. इसके अलावा यहां दर्जनों बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. नग्गर कैसल बॉलीवुड निर्माता-निर्देशकों की पसंदीदा जगहों में से एक है. उधर, इतिहासकारों का कहना है कि यह इमारत अपने आप में एक अजूबा है. इस इमारत की खूबसूरती के साथ-साथ मजबूती सबको चौंकाती हैं.

ये भी पढ़ें- आजादी का अमृत महोत्सव : आज भी भाईचारे की मजबूत मिसाल है जामा मस्जिद

नग्गर कैसल ऐसे पहुंचे- दिल्ली और चंडीगढ़ से हवाई मार्ग से आने वाले सैलानियों के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भुतंर है. दोनों शहरों से यहां के लिए रोजाना उड़ान उपलब्ध हैं. वहीं, सड़क मार्ग के माध्यम से भी नग्गर तक पहुंचा जा सकता है. नग्गर बाजार से एक किमी की दूरी पर नग्गर कैसल किला है. पर्यटन निगम ने नग्गर कैसल के कुछ हिस्सों को होटल के रूप में परिवर्तित किया है. जहां सैलानियों के रहने व खाने-पीने की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके अलावा नग्गर कैसल के साथ भी कई होटल, गेस्ट हाउस व ढाबे भी मौजूद हैं और सैलानियों के लिए टैक्सियों की भी सुविधा उपलब्ध है.

कुल्लू : यूं तो छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल अपनी खूबसूरत वादियों और शांत वातावरण के लिए दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन यहां पर बनी सैंकड़ों साल पुरानी इमारतें भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती हैं. इन्हीं इमारतों में से एक कुल्लू जिले भी मौजूद है. जिसके निर्माण में एक भी लोहे की कील का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ये नायाब इमारत है नग्गर कैसल किला (naggar kaisal fort). जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था. इस किले के दीदार के लिए देश विदेश से सैलानी यहां पहुंचते हैं.

कुल्लू की पुरातन राजधानी नग्गर (Naggar ancient capital of Kullu) में देवदार के जंगलों के साथ सटा नग्गर कैसल किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इसकी खूबसूरती अपने आप में अनौखी है. यहां आने वाले सैलानी इसकी बनावट और निर्माण शैली को देख दंग रह जाते हैं. नग्गर कैसल किला पर्यटन नगरी मनाली (tourist city manali) से महज 20 किमी की दूरी पर है. जिसका इतिहास सदियों पुराना है.

नग्गर कैसल किला

16वीं शताब्दी में निर्माण- मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस किले का निर्माण राजा सिद्वि सिंह ने 16वीं शताब्दी में किया था. 17वीं शताब्दी के मध्य तक राजा महाराजा इसे शाही महल और शाही मुख्यालय के तौर पर प्रयोग करते थे. बाद में इसे कुल्लू के राजा जगत सिंह ने इसे अपनी राजधानी बनाया.

किले में नहीं हुआ कील का इस्तेमाल- नग्गर कैसल आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वहीं इस राष्ट्रीय धरोहर का निर्माण देवदार के पेड़ों और पत्थरों से किया गया है. राष्ट्रीय धरोहर नग्गर कैसल के दीदार के लिए रोजाना देश और विदेश से सैंकड़ों पर्यटक यहां पहुंचते हैं. इस कि खास बात यह है कि इस भवन में कहीं भी लोहे की कीलों का प्रयोग नहीं हुआ है.

नग्गर कैसल किला.
नग्गर कैसल किला.

किले को भूकंप भी नहीं हिला सका- नग्गर कैसल का यह किला 1905 में आए भयंकर भूकंप में भी खड़ा रहा और इस किले को कोई नुकसान नहीं हुआ है. यहां का इतिहास किले की दीवारों पर दर्शाया गया है. यहां घूमने आने वाले पर्यटकों का भी कहना है कि कैसल की निर्माण शैली काफी पसंद आई है. आज तक उन्होंने सिर्फ कुल्लू-मनाली की खूबसूरती के बारे में सुना था, लेकिन आज कुछ अलग देखने को मिलता है.

एक बंदूक के लिए बेच दिया किला- सन् 1846 तक इस घराने के वंशज किले का प्रयोग ग्रीष्मकालीन महल के रूप में करते थे, लेकिन जब अंग्रेजों ने सारा कुल्लू सिक्खों के अधिकार से छुड़ा कर अपने कब्जे में ले लिया, तब राजा ज्ञान सिंह ने मात्र एक बंदूक के लिए इसे मेजर को बेच दिया था. इसके बाद इसे रहने के लिए यूरोपियन रहन-सहन के अनुरूप परिवर्तित कर दिया गया. कुछ समय बाद मेजर ने इसे सरकार को बेच दिया और इसका प्रयोग ग्रीष्मकालीन न्यायालय के रूप में होता रहा. अब यह किला सरकार के अधीन है.

किले से जुड़ी कुछ जानकारियां.
किले से जुड़ी कुछ जानकारियां.

फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद- यह किला ब्यास नदी के तट पर बना हुआ है. इस किले के परिसर में देखने के लिए अन्य आकर्षक और दर्शनीय स्थल भी है. जैसे मंदिर, आर्ट गैलरी. इसके अलावा यहां दर्जनों बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. नग्गर कैसल बॉलीवुड निर्माता-निर्देशकों की पसंदीदा जगहों में से एक है. उधर, इतिहासकारों का कहना है कि यह इमारत अपने आप में एक अजूबा है. इस इमारत की खूबसूरती के साथ-साथ मजबूती सबको चौंकाती हैं.

ये भी पढ़ें- आजादी का अमृत महोत्सव : आज भी भाईचारे की मजबूत मिसाल है जामा मस्जिद

नग्गर कैसल ऐसे पहुंचे- दिल्ली और चंडीगढ़ से हवाई मार्ग से आने वाले सैलानियों के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भुतंर है. दोनों शहरों से यहां के लिए रोजाना उड़ान उपलब्ध हैं. वहीं, सड़क मार्ग के माध्यम से भी नग्गर तक पहुंचा जा सकता है. नग्गर बाजार से एक किमी की दूरी पर नग्गर कैसल किला है. पर्यटन निगम ने नग्गर कैसल के कुछ हिस्सों को होटल के रूप में परिवर्तित किया है. जहां सैलानियों के रहने व खाने-पीने की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके अलावा नग्गर कैसल के साथ भी कई होटल, गेस्ट हाउस व ढाबे भी मौजूद हैं और सैलानियों के लिए टैक्सियों की भी सुविधा उपलब्ध है.

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