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Nagaland firing : कांग्रेस सांसद ने AFSPA हटाने और निष्पक्ष जांच की मांग की

बीते दिनों नगालैंड के मोन जिले में सेना के अभियान के दौरान 14 आम नागरिकों की मौत के बाद से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) 1958 को निरस्त करने की मांग तेज हो गई है. यह कानून सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है.

Repeal AFSPA nagaland firing incident
कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक नगालैंड फायरिंग
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Published : Dec 9, 2021, 2:09 PM IST

नई दिल्ली : असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक (Congress MP Abdul Khalek) ने नगालैंड गोलीबारी की घटना (Nagaland firing incident) को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कांग्रेस सांसद ने कहा, 'यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और मैं मामले की निष्पक्ष व उचित जांच का आग्रह करता हूं क्योंकि यह सुरक्षा बलों की ओर से गंभीर सुरक्षा चूक का मामला है. मेरा मानना है कि अफस्पा (AFSPA) को निरस्त किया जाना चाहिए, क्योंकि सरकार ने दावा किया है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है. अगर कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है, तो अफस्पा को क्यों नहीं हटाया गया?'

बीते दिनों नगालैंड के मोन जिले में सेना के अभियान के दौरान 14 आम नागरिकों की मौत के बाद से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) 1958 को निरस्त करने की मांग तेज हो गई है, जो सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है.

कांग्रेस सांसद खालिक ने कहा कि जहां तक AFSPA या पूर्वोत्तर में सशस्त्र बलों को नियंत्रित करने वाले किसी अन्य कानून का सवाल है तो उसे रद्द कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए, AFSPA या अन्य कानून सुरक्षा मुद्दों को हल नहीं कर सकते.

साथ ही, कांग्रेस सांसद ने नगालैंड की घटना को लेकर संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को 'निराधार' करार दिया और कहा कि शाह के इस तरह के बयान को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए हम चाहते हैं कि तत्काल निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले.

सोमवार को, लोकसभा और राज्यसभा में दिए बयान में शाह ने कहा था कि चार दिसंबर को नगालैंड के मौन जिले में भारतीय सेना को उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली और उसके 21वें पैरा कमांडो ने इंतजार किया. शाम को एक वाहन उस स्थान पर पहुंचा और सशस्त्र बलों ने उसे रोकने का संकेत दिया लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा. इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह में इस पर गोलियां चलाई गईं जिसमें वाहन पर सवार आठ में से छह लोग मारे गए. बाद में इसे गलत पहचान का मामला पाया गया.

यह भी पढ़ें- नगालैंड फायरिंग : मोन जा रहे कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को जोरहाट हवाईअड्डे पर रोका गया

अमित शाह के इस बयान पर अब्दुल खालिक ने कहा कि सुरक्षा बलों को हमेशा सतर्क और जिम्मेदार रहना चाहिए. सुरक्षा बलों को किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए और दुश्मनों से लड़ना चाहिए, लेकिन हमारे निर्दोष नागरिकों को बिना किसी कारण के मारना अस्वीकार्य और अत्यधिक निंदनीय है.

नगालैंड गोलीबारी की घटना के बाद पूर्वोत्तर के कई छात्र संघों, राजनीतिक दलों ने क्षेत्र से अफस्पा को तत्काल हटाने की मांग की है.

नई दिल्ली : असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक (Congress MP Abdul Khalek) ने नगालैंड गोलीबारी की घटना (Nagaland firing incident) को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कांग्रेस सांसद ने कहा, 'यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और मैं मामले की निष्पक्ष व उचित जांच का आग्रह करता हूं क्योंकि यह सुरक्षा बलों की ओर से गंभीर सुरक्षा चूक का मामला है. मेरा मानना है कि अफस्पा (AFSPA) को निरस्त किया जाना चाहिए, क्योंकि सरकार ने दावा किया है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है. अगर कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है, तो अफस्पा को क्यों नहीं हटाया गया?'

बीते दिनों नगालैंड के मोन जिले में सेना के अभियान के दौरान 14 आम नागरिकों की मौत के बाद से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) 1958 को निरस्त करने की मांग तेज हो गई है, जो सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है.

कांग्रेस सांसद खालिक ने कहा कि जहां तक AFSPA या पूर्वोत्तर में सशस्त्र बलों को नियंत्रित करने वाले किसी अन्य कानून का सवाल है तो उसे रद्द कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए, AFSPA या अन्य कानून सुरक्षा मुद्दों को हल नहीं कर सकते.

साथ ही, कांग्रेस सांसद ने नगालैंड की घटना को लेकर संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को 'निराधार' करार दिया और कहा कि शाह के इस तरह के बयान को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए हम चाहते हैं कि तत्काल निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले.

सोमवार को, लोकसभा और राज्यसभा में दिए बयान में शाह ने कहा था कि चार दिसंबर को नगालैंड के मौन जिले में भारतीय सेना को उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली और उसके 21वें पैरा कमांडो ने इंतजार किया. शाम को एक वाहन उस स्थान पर पहुंचा और सशस्त्र बलों ने उसे रोकने का संकेत दिया लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा. इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह में इस पर गोलियां चलाई गईं जिसमें वाहन पर सवार आठ में से छह लोग मारे गए. बाद में इसे गलत पहचान का मामला पाया गया.

यह भी पढ़ें- नगालैंड फायरिंग : मोन जा रहे कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को जोरहाट हवाईअड्डे पर रोका गया

अमित शाह के इस बयान पर अब्दुल खालिक ने कहा कि सुरक्षा बलों को हमेशा सतर्क और जिम्मेदार रहना चाहिए. सुरक्षा बलों को किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए और दुश्मनों से लड़ना चाहिए, लेकिन हमारे निर्दोष नागरिकों को बिना किसी कारण के मारना अस्वीकार्य और अत्यधिक निंदनीय है.

नगालैंड गोलीबारी की घटना के बाद पूर्वोत्तर के कई छात्र संघों, राजनीतिक दलों ने क्षेत्र से अफस्पा को तत्काल हटाने की मांग की है.

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