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नागालैंड में नहीं बचा विपक्षी दल, सभी विधायक सरकार के समर्थक !

नागालैंड विधानसभा जल्द ही बिना किसी विपक्षी विरोध के शुरू होने की तैयारी में है. प्रमुख विपक्षी दल एनपीएफ ने सत्तारूढ़ पीडीए में शामिल होने का फैसला किया है. 2015 में भी ऐसी स्थिति आ गई थी.

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Published : Jul 20, 2021, 9:22 PM IST

कोहिमा : नागालैंड की राजनीति में एक नाटकीय घटनाक्रम हुआ है. राज्य विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल नगा पीपुल्स फ्रंट (Naga Peoples Front- NPF) ने नगा राजनीतिक मुद्दे पर नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (Nationalist Democratic Progressive Party- NDPP) के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (Peoples Democratic Alliance-PDA) में शामिल होने की तैयारी कर ली है.

बता दें कि नगा राजनीतिक मुद्दे (Naga political issue) के हित में विपक्षी एनपीएफ (NPF) के 25 निर्वाचित सदस्य जल्द ही सरकार में शामिल होने जा रहे हैं

एनपीएफ के महासचिव (Secretary General of the NPF) और पार्टी प्रवक्ता ए किकॉन (party spokesperson A Kikon) ने कहा, नगा राजनीतिक मुद्दे पर एनपीएफ का रुख काफी सकारात्मक रहा है. नगा राजनीतिक समाधान के मुद्दे पर हम पहले भी और अभी भी सरकार के साथ हैं.

उन्होंने कहा कि हाल ही में एनपीएफ विधायक दल की बैठक (NPF legislature party meeting ) हुई थी, जिसमें सभी विधायकों ने विपक्ष कम सरकार बनाने और बिना किसी पूर्व शर्त के नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के कदम का समर्थन किया है.

पढ़ें- लक्षद्वीप की समस्याओं का पता लगाना एक सतत प्रक्रिया : सरकार

किकॉन ने कहा, हम इस मुद्दे पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं. एक सप्ताह के भीतर अंतिम रूप मिलने की संभावना है. हालांकि, बीजेपी (BJP) ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. अगर भगवा पार्टी अपना समर्थन वापस ले लेती है, तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि एनपीएफ सदन में 25 सदस्यों के साथ सरकार में शामिल (25 members in the House) होने के लिए तैयार है. 60 सदस्यीय सदन की वर्तमान ताकत 59 है, क्योंकि एक सीट खाली है.

अगर एनपीएफ (NPF) एनडीपीपी (NDPP) के नेतृत्व वाली सरकार में आती है, तो यह दूसरी बार होगा जब राज्य में विपक्ष के नेतृत्व वाली सरकार होगी. 2015 में नागालैंड विधानसभा शून्य विपक्ष बन गई, क्योंकि आठ कांग्रेस विधायक तत्कालीन एनपीएफ में शामिल हो गए थे. हालांकि, कांग्रेस ने विकास की आलोचना की और कहा कि इस कदम से नगा राजनीतिक मुद्दे को मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि शांति प्रक्रिया में विधायकों की कोई सीधी भूमिका नहीं है. नगा शांति वार्ता के लिए केंद्र के वार्ताकार ने पहले ही कहा है कि सभी वार्ता 31 अक्टूबर, 2019 को हो चुकी है.

बता दें कि कांग्रेस की नगालैंड इकाई ने लंबे समय से चल रहे नगा विद्रोह के राजनीतिक समाधान का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राज्य विधानसभा के सभी 60 विधायकों से इस्तीफा देने का अनुरोध किया है.

पढ़ें- IAF बेस अटैक में सीमा पार आयुध कारखाने की संलिप्तता : जम्मू-कश्मीर डीजीपी

नगालैंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (NPCC) की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) ने कांग्रेस भवन में 16 जुलाई को हुयी बैठक में इस संबंध में अपील जारी करने का फैसला किया. इसके बाद रविवार को यहां जारी एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह अपील की गयी.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और असम-नगालैंड सीमा पर गड़बड़ी पर काफी चर्चा और विचार-विमर्श के बाद पीएसी ने सर्वसम्मति से तीन सूत्री प्रस्ताव पारित किया.

एनपीसीसी ने सभी 60 विधायकों से इस्तीफा देने और राजनीतिक समाधान के तत्काल क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह किया, क्योंकि भारत सरकार के वार्ताकार और नागालैंड के राज्यपाल के अनुसार बात करने के लिए और कुछ नहीं है. यह सलाह नगालैंड विधानसभा द्वारा हाल ही में नगा राजनीतिक मुद्दे पर एक कोर कमेटी के गठन के बाद आई है.

राज्यपाल आर एन रवि ने राज्य विधानसभा में संबोधन सहित विभिन्न मौकों पर कहा था कि केंद्र और नगा राजनीतिक समूहों के बीच नगा राजनीतिक वार्ता सफलतापूर्वक संपन्न हो गई है और अब अंतिम समाधान के लिए तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है.

एनपीसीसी की विज्ञप्ति में कहा गया है, उनका इस्तीफा केवल राजनीतिक समाधान के क्रियान्वयन के प्रति उनकी ईमानदारी को प्रदर्शित करेगा.

(इनपुट-भाषा)

कोहिमा : नागालैंड की राजनीति में एक नाटकीय घटनाक्रम हुआ है. राज्य विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल नगा पीपुल्स फ्रंट (Naga Peoples Front- NPF) ने नगा राजनीतिक मुद्दे पर नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (Nationalist Democratic Progressive Party- NDPP) के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (Peoples Democratic Alliance-PDA) में शामिल होने की तैयारी कर ली है.

बता दें कि नगा राजनीतिक मुद्दे (Naga political issue) के हित में विपक्षी एनपीएफ (NPF) के 25 निर्वाचित सदस्य जल्द ही सरकार में शामिल होने जा रहे हैं

एनपीएफ के महासचिव (Secretary General of the NPF) और पार्टी प्रवक्ता ए किकॉन (party spokesperson A Kikon) ने कहा, नगा राजनीतिक मुद्दे पर एनपीएफ का रुख काफी सकारात्मक रहा है. नगा राजनीतिक समाधान के मुद्दे पर हम पहले भी और अभी भी सरकार के साथ हैं.

उन्होंने कहा कि हाल ही में एनपीएफ विधायक दल की बैठक (NPF legislature party meeting ) हुई थी, जिसमें सभी विधायकों ने विपक्ष कम सरकार बनाने और बिना किसी पूर्व शर्त के नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के कदम का समर्थन किया है.

पढ़ें- लक्षद्वीप की समस्याओं का पता लगाना एक सतत प्रक्रिया : सरकार

किकॉन ने कहा, हम इस मुद्दे पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं. एक सप्ताह के भीतर अंतिम रूप मिलने की संभावना है. हालांकि, बीजेपी (BJP) ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. अगर भगवा पार्टी अपना समर्थन वापस ले लेती है, तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि एनपीएफ सदन में 25 सदस्यों के साथ सरकार में शामिल (25 members in the House) होने के लिए तैयार है. 60 सदस्यीय सदन की वर्तमान ताकत 59 है, क्योंकि एक सीट खाली है.

अगर एनपीएफ (NPF) एनडीपीपी (NDPP) के नेतृत्व वाली सरकार में आती है, तो यह दूसरी बार होगा जब राज्य में विपक्ष के नेतृत्व वाली सरकार होगी. 2015 में नागालैंड विधानसभा शून्य विपक्ष बन गई, क्योंकि आठ कांग्रेस विधायक तत्कालीन एनपीएफ में शामिल हो गए थे. हालांकि, कांग्रेस ने विकास की आलोचना की और कहा कि इस कदम से नगा राजनीतिक मुद्दे को मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि शांति प्रक्रिया में विधायकों की कोई सीधी भूमिका नहीं है. नगा शांति वार्ता के लिए केंद्र के वार्ताकार ने पहले ही कहा है कि सभी वार्ता 31 अक्टूबर, 2019 को हो चुकी है.

बता दें कि कांग्रेस की नगालैंड इकाई ने लंबे समय से चल रहे नगा विद्रोह के राजनीतिक समाधान का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राज्य विधानसभा के सभी 60 विधायकों से इस्तीफा देने का अनुरोध किया है.

पढ़ें- IAF बेस अटैक में सीमा पार आयुध कारखाने की संलिप्तता : जम्मू-कश्मीर डीजीपी

नगालैंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (NPCC) की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) ने कांग्रेस भवन में 16 जुलाई को हुयी बैठक में इस संबंध में अपील जारी करने का फैसला किया. इसके बाद रविवार को यहां जारी एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह अपील की गयी.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और असम-नगालैंड सीमा पर गड़बड़ी पर काफी चर्चा और विचार-विमर्श के बाद पीएसी ने सर्वसम्मति से तीन सूत्री प्रस्ताव पारित किया.

एनपीसीसी ने सभी 60 विधायकों से इस्तीफा देने और राजनीतिक समाधान के तत्काल क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह किया, क्योंकि भारत सरकार के वार्ताकार और नागालैंड के राज्यपाल के अनुसार बात करने के लिए और कुछ नहीं है. यह सलाह नगालैंड विधानसभा द्वारा हाल ही में नगा राजनीतिक मुद्दे पर एक कोर कमेटी के गठन के बाद आई है.

राज्यपाल आर एन रवि ने राज्य विधानसभा में संबोधन सहित विभिन्न मौकों पर कहा था कि केंद्र और नगा राजनीतिक समूहों के बीच नगा राजनीतिक वार्ता सफलतापूर्वक संपन्न हो गई है और अब अंतिम समाधान के लिए तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है.

एनपीसीसी की विज्ञप्ति में कहा गया है, उनका इस्तीफा केवल राजनीतिक समाधान के क्रियान्वयन के प्रति उनकी ईमानदारी को प्रदर्शित करेगा.

(इनपुट-भाषा)

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