हैदराबाद : कर्नाटक के रहने वाले एक युवक ने अपनी मां को देश के विभिन्न स्थानों पर दर्शन कराने के लिए स्कूटर से सफर करने की ठानी और और निकल पड़े तीर्थाटन पर. कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले 44 वर्षीय कृष्ण कुमार बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे. उनकी 73 वर्षीय मां चूड़ारत्नम्मा हमेशा घर में रहने की वजह से बाहरी दुनिया को नहीं जानती थीं. इस पर कृष्ण कुमार अपनी मां को प्रसिद्ध मंदिरों को दिखाने के लिए स्कूटर से ही निकल पड़े. उन्हें लोग कलियुग के श्रवण कुमार के नाम से भी पुकारते हैं.
कृष्ण कुमार ने ऐसा अपनी माता का ऋण चुकाने के उद्देश्य से किया. इतना ही नहीं कृष्ण कुमार ने अपने पिता के द्वारा दक्षिणामूर्ति के द्वारा खरीदे गए स्कूटर से सफर करने का फैसला किया. हालांकि उनके पिता का कई साल पहले ही निधन हो चुका है. बुधवार को पलामुरु परिमलागिरी श्री राघवेंद्र स्वामी मठ का दौरा करने के दौरान उन्होंने बताया कि उनकी मां पिता के निधन के बाद एकदम अकेली हो गईं थीं. साथ ही वह उदास भी रहने लगी थीं. इस पर कृष्ण कुमार ने मां का अकेलापन दूर करने के लिए उन्हें यह निर्णय लिया.
अविवाहित कृष्ण कुमार के मुताबिक उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद 16 जनवरी 2018 से तीर्थ यात्रा शुरू की. अब तक वो कन्याकुमारी, मदुरै, रामेश्वरम, तिरुपति और कश्मीर के मंदिरों के साथ-साथ नेपाल, म्यांमार और भूटान के मंदिरों के दर्शन कर 65,025 किलोमीटर का सफर कर चुके हैं. धार्मिक यात्रा के साथ-साथ वो अपनी मां को विभिन्न क्षेत्र की संस्कृति और विशिष्टताओं से भी रूबरू कराते हैं. उनका मानना है कि माता-पिता को जीवित रहते हुए उनकी सेवा से संतुष्ट होना चाहिए न कि उनके फोटो पर माल्यार्पण कर उनके निधन के बाद ऐसा करना चाहिए. कृष्ण कुमार ने युवाओं को अपनी मां के साथ दिन में कम से कम एक घंटा बिताने की सलाद दी. उन्होंने कहा कि वह अपने पिता द्वारा दिए गए स्कूटर से यात्रा कर रहा है, तो ऐसा लगता है कि उसके माता-पिता भी उसके साथ हैं.
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