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मैसूर कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को नोटिस जारी किया - मेनका गांधी को 1 मार्च को अदालत में पेश होने का नोटिस

डॉ. एसके मिथल ने मेनका गांधी को एक पत्र लिखा था और आरोपों पर सफाई दी थी. हालांकि, उनके सफाई देने के बाद भी मेनका गांधी उन पर लगातार आरोप लगाती रहीं.

notice to ex union minister maneka gandhi
मैसूर कोर्ट ने जारी किया नोटिस
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Published : Feb 8, 2021, 4:41 PM IST

मैसूर : कर्नाटक की मैसूर जिला और सत्र न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को 1 मार्च को अदालत में पेश होने का नोटिस जारी किया है.

बता दें, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड में कर्नाटक और केरल के प्रभारी के रूप में काम करने वाले मैसूर निवासी डॉ. एसके मिथल पर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कई आरोप लगाए थे. आरोप में मेनका गांधी ने कहा था कि डॉ. मिथल कई कार्यक्रमों में शामिल नहीं थे, जिसमें बूचड़खाने के दौरे भी शामिल थे. उन्होंने तत्कालीन पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को इस संबंध में एक लेटर भी लिखा था, जिसमें उन्होंने पशु और खेती-किसानी के बोर्ड के सदस्यों के बारे में नाराजगी व्यक्त की थी.

इन घटनाओं के बाद एसके मिथल ने मेनका गांधी को एक पत्र लिखा था और आरोपों पर सफाई दी थी. हालांकि, उनके सफाई देने के बाद भी मेनका गांधी उन पर लगातार आरोप लगाती रहीं. कई आरोपों का सामना करने के बाद डॉ. मिथल इससे निराश हो गए और उन्होंने मैसूर के जिला और सत्र न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया, लेकिन अदालत ने समय रहते उनके आवेदन को खारिज कर दिया.

पढ़ें: उत्तराखंड : मेनका गांधी ने CM रावत से की भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ जांच की मांग

बाद में उन्होंने मैसूर के जिला और सत्र न्यायालय प्रथम का रुख किया और उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया. जिस अदालत ने मामला दर्ज किया है, उसने अब मेनका गांधी को अदालत में पेश होने का नोटिस जारी किया है.

मैसूर : कर्नाटक की मैसूर जिला और सत्र न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को 1 मार्च को अदालत में पेश होने का नोटिस जारी किया है.

बता दें, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड में कर्नाटक और केरल के प्रभारी के रूप में काम करने वाले मैसूर निवासी डॉ. एसके मिथल पर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कई आरोप लगाए थे. आरोप में मेनका गांधी ने कहा था कि डॉ. मिथल कई कार्यक्रमों में शामिल नहीं थे, जिसमें बूचड़खाने के दौरे भी शामिल थे. उन्होंने तत्कालीन पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को इस संबंध में एक लेटर भी लिखा था, जिसमें उन्होंने पशु और खेती-किसानी के बोर्ड के सदस्यों के बारे में नाराजगी व्यक्त की थी.

इन घटनाओं के बाद एसके मिथल ने मेनका गांधी को एक पत्र लिखा था और आरोपों पर सफाई दी थी. हालांकि, उनके सफाई देने के बाद भी मेनका गांधी उन पर लगातार आरोप लगाती रहीं. कई आरोपों का सामना करने के बाद डॉ. मिथल इससे निराश हो गए और उन्होंने मैसूर के जिला और सत्र न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया, लेकिन अदालत ने समय रहते उनके आवेदन को खारिज कर दिया.

पढ़ें: उत्तराखंड : मेनका गांधी ने CM रावत से की भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ जांच की मांग

बाद में उन्होंने मैसूर के जिला और सत्र न्यायालय प्रथम का रुख किया और उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया. जिस अदालत ने मामला दर्ज किया है, उसने अब मेनका गांधी को अदालत में पेश होने का नोटिस जारी किया है.

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