मुजफ्फरपुरः बिहार के मुजफ्फरपुर के गायघाट के मधुरपट्टी में 14 सितंबर को 30 लोगों से भरी नाव बागमती नदी में पलट गई थी. 4 दिनों के सर्च ऑपरेशन में एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने 6 लोगों के शव की खोज कर ली है, हालांकि अभी भी कई लोग लापता है, जिनकी तालाश में टीम लगी हुई है. वहीं अपनों को खो चुके कई लोग उनके मिलने की आस में नदी के तट पर टकटकी लगाए मायूस बैठे हैं.
पांचवें दिन भी सर्च ऑपरेशन जारीः आज सोमवार को पांचवें दिन भी एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम के साथ आस-पास के सैकड़ों लोग नदी तट पर मौजूद हैं. जैसे ही कोई शव नदी से बरामद होता है, पीड़ित परिवार के लोग इसकी पहचान में जुट जाते हैं. इस उम्मीद में कि शायद उनके परिवार के डूबे हुए सदस्य की लाश हो.
नाव के सहारे गुजरती है जिंदगीः दरअसल गायघाय प्रखंड के मधुरपट्टी गांव के ग्रामीणों की आंखों के सामने एक और नाव हादसे ने कई लोगों को खोया, लेकिन बागमती तट पर बसे इस गांव के रहने वालों की जिंदगी कटाव, बहाव और नाव के सहारे ही गुजरती है. बलौर निधि पंचायत में बागमती नदी के एक तरफ मधुरपट्टी और दूसरी तरफ बलौर भटगामा गांव है. दोनों गांव में ग्रामीण सड़क की बजाय नदी के रास्ते ही आना-जाना करते हैं.

500 परिवारों के आवागमन का नाव है सहाराः ग्रामीण बताते हैं कि हाई स्कूल हो या पंचायत भवन, वहां जाने के लिए सड़क से करीब 8 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. नदी के रास्ते नाव से जाने में यह दूरी कम पड़ती है, जिस कारण लोग नाव के ही सहारे जाते हैं. 500 परिवारों वाले इस गांव के रहने वाले अजीत अपना दर्द बयां करते हुए कहते हैं कि इस गांव में जन्म लेने के बाद नाव से ही जिंदगी की शुरुआत होती है. वे कहते हैं कि जब बच्चा गर्भ में पलता है तो मां भी नाव से नदी पार कर अस्पताल तक पहुंचती है.
"बाजार हो या स्कूल, वहां तक जाने के लिए ग्रामीणों का नाव ही एकमात्र सहारा है. यह कोई पहली बार नाव हादसा नहीं हुआ है. हर साल नाव हादसा होता है"- शुभम पासवान, ग्रामीण
'चुनाव के बाद नेता भूल जाते हैं वादे': स्थानीय शुभम पासवान ने बताया कि वर्षों से इस क्षेत्र के लोग पुल बनाने की मांग करते रहे हैं. वे रुआंसे भाव से कहते हैं कि हर हादसे के बाद प्रशासनिक अमला गांव आता है, प्रत्येक चुनाव में नेता लोग भी गांव आते हैं, सभी पुल बनाने का वादा करते हैं, फिर वादों को भूल जाते हैं.

विपक्षी पार्टी ने साधा सरकार पर निशानाः इस हादसे ने मुख्य विपक्षी पार्टी को भी सत्ता पक्ष पर हमला करने का मौका दे दिया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहते हैं कि 17 साल नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री रहने के बावजूद आज भी ऐसी स्थिति है कि बच्चों को शिक्षा के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.
"इससे बड़ी बदहाली की तस्वीर क्या हो सकती है. यह हाल केवल मुजफ्फरपुर का नहीं है, उत्तर बिहार के कई गांवों के बच्चों को इस स्थिति से गुजरना पड़ता है"- सम्राट चौधरी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
सरकार के दावे की खुल गई कलईः बहरहाल, मुख्यमंत्री भले ही सड़क की व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा करते हुए प्रदेश के किसी भी क्षेत्र से राजधानी पहुंचने के लिए छह घंटे का समय लगने का दावा कर रहे हों लेकिन इस नाव हादसे ने सरकार के दावे की कलई खोल दी.