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साहब मैं जिंदा हूं, मुजफ्फरनगर का बुजुर्ग 6 साल से खुद को जिंदा साबित करने की कर रहा जद्दोजहद - UP Police

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक बुजुर्ग छह साल से अधिकारियों के पास जा रहा है और खुद के जिंदा होने का सुबूत दे रहा है. लेकिन, अभी तक वह जिंदा नहीं हो पाया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 20, 2023, 6:01 PM IST

मुजफ्फरनगर: दो साल पहले रिलीज हुई अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज तो सभी को याद होगी, जिसमें मुख्य किरदार जिंदा तो होता है लेकिन, कागजों में वह मृत घोषित होता है. फिर किस जद्दोजहद के साथ वह अपने आप को जिंदा साबित करता है, फिल्म में दिखाया गया है. ये तो थी रील की कहानी, लेकिन ऐसी ही कहानी रियल में भी फिल्माई जा रही है.

फिल्म का मुख्य किरदार के रूप में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले 82 वर्षीय रघुराज हैं, जो हरियाणा के पानीपत में रहते हैं. रघुराज मूल रूप से मुजफ्फरनगर जनपद के बुढ़ाना के गांव बिराल के रहने वाले हैं. वह छह साल से अधिकारियों को अपने जिंदा होने का सुबूत दिखा-दिखा कर थक चुके हैं. लेकिन, उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई है.

क्या है मुजफ्फरनगर के रघुराज की कहानी
क्या है मुजफ्फरनगर के रघुराज की कहानी

मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की दी चेतावनीः दरअसल, रघुराज के छोटे भाई ने डेढ़ बीघा जमीन हड़पने के लिए उनको कागजों में मृत घोषित करा दिया. इसके बाद जमीन अपने नाम करा ली. बुजुर्ग रघुराज ने छह साल से न्याय न मिलने पर लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह करने की चेतावनी दी है. रघुराज कहते हैं कि वह छह भाई थे. तीन भाइयों की मृत्यु हो चुकी है. अन्य तीन भाई जिंदा हैं. वह हरियाणा के पानीपत में किराए के मकान में रहता है और मजदूरी करता है. छोटा भाई अमन गांव में रहता है.

कागजों में मृत घोषित करके हड़प ली डेढ़ बीघा जमीनः रघुराज ने बताया कि उसके हिस्से में गांव में करीब डेढ़ बीघा जमीन आती है. अमन ने तत्कालीन महिला प्रधान से उसका मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाया और उसका असली वारिस बताकर उसकी डेढ़ बीघा जमीन अपने नाम करवा ली है. वह छह साल पहले गांव में आए तो उसे इसकी जानकारी मिली. तब से वह चकबंदी विभाग के उच्चाधिकारियों सहित जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं और खुद के जीवित होने का प्रमाण दिखा रहे हैं लेकिन, कोई नहीं सुन रहा.

छोटे भाई ने बनवाया फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्रः आरोप है कि उसके छोटे भाई अमन ने तत्कालीन चकबंदी अधिकारी को उनका फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र व सुविधा शुल्क देकर उसकी जमीन अपने नाम करवाई है. रघुराज का कहना है कि उसे न्याय नहीं मिल रहा है. इसके चलते अब वह लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से मिलेगा और अगर उसको वहां से भी न्याय न मिला तो वह मुख्यमंत्री आवास के सामने ही आत्मदाह कर लेगा.

क्या कहते हैं अधिकारीः इस मामले में चकबंदी अधिकारी बुढ़ाना अनुज सक्सेना ने बताया कि रघुराज के पिताजी की जब मृत्यु हुई तो उनमें से एक ने एप्लीकेशन दे दी कि मैं अकेला वारिस हूं. प्रधान ने भी अकेला वारिस होने का सर्टिफिकेट दे दिया था. 2018 में उनकी माताजी एक्सपायर हुईं. इसके बाद मामले में एसडीएम के यहां अपील हुई. इस मामले में अपर जिला अधिकारी प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह ने बुढ़ाना चकबंदी अधिकारी से पूरी जानकारी मांगी है.

ये भी पढ़ेंः 11 साल पहले बिछड़े बेटे से मिली मां फूट-फूटकर रोई, जानिए पूरा मामला

मुजफ्फरनगर: दो साल पहले रिलीज हुई अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज तो सभी को याद होगी, जिसमें मुख्य किरदार जिंदा तो होता है लेकिन, कागजों में वह मृत घोषित होता है. फिर किस जद्दोजहद के साथ वह अपने आप को जिंदा साबित करता है, फिल्म में दिखाया गया है. ये तो थी रील की कहानी, लेकिन ऐसी ही कहानी रियल में भी फिल्माई जा रही है.

फिल्म का मुख्य किरदार के रूप में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले 82 वर्षीय रघुराज हैं, जो हरियाणा के पानीपत में रहते हैं. रघुराज मूल रूप से मुजफ्फरनगर जनपद के बुढ़ाना के गांव बिराल के रहने वाले हैं. वह छह साल से अधिकारियों को अपने जिंदा होने का सुबूत दिखा-दिखा कर थक चुके हैं. लेकिन, उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई है.

क्या है मुजफ्फरनगर के रघुराज की कहानी
क्या है मुजफ्फरनगर के रघुराज की कहानी

मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की दी चेतावनीः दरअसल, रघुराज के छोटे भाई ने डेढ़ बीघा जमीन हड़पने के लिए उनको कागजों में मृत घोषित करा दिया. इसके बाद जमीन अपने नाम करा ली. बुजुर्ग रघुराज ने छह साल से न्याय न मिलने पर लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह करने की चेतावनी दी है. रघुराज कहते हैं कि वह छह भाई थे. तीन भाइयों की मृत्यु हो चुकी है. अन्य तीन भाई जिंदा हैं. वह हरियाणा के पानीपत में किराए के मकान में रहता है और मजदूरी करता है. छोटा भाई अमन गांव में रहता है.

कागजों में मृत घोषित करके हड़प ली डेढ़ बीघा जमीनः रघुराज ने बताया कि उसके हिस्से में गांव में करीब डेढ़ बीघा जमीन आती है. अमन ने तत्कालीन महिला प्रधान से उसका मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाया और उसका असली वारिस बताकर उसकी डेढ़ बीघा जमीन अपने नाम करवा ली है. वह छह साल पहले गांव में आए तो उसे इसकी जानकारी मिली. तब से वह चकबंदी विभाग के उच्चाधिकारियों सहित जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं और खुद के जीवित होने का प्रमाण दिखा रहे हैं लेकिन, कोई नहीं सुन रहा.

छोटे भाई ने बनवाया फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्रः आरोप है कि उसके छोटे भाई अमन ने तत्कालीन चकबंदी अधिकारी को उनका फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र व सुविधा शुल्क देकर उसकी जमीन अपने नाम करवाई है. रघुराज का कहना है कि उसे न्याय नहीं मिल रहा है. इसके चलते अब वह लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से मिलेगा और अगर उसको वहां से भी न्याय न मिला तो वह मुख्यमंत्री आवास के सामने ही आत्मदाह कर लेगा.

क्या कहते हैं अधिकारीः इस मामले में चकबंदी अधिकारी बुढ़ाना अनुज सक्सेना ने बताया कि रघुराज के पिताजी की जब मृत्यु हुई तो उनमें से एक ने एप्लीकेशन दे दी कि मैं अकेला वारिस हूं. प्रधान ने भी अकेला वारिस होने का सर्टिफिकेट दे दिया था. 2018 में उनकी माताजी एक्सपायर हुईं. इसके बाद मामले में एसडीएम के यहां अपील हुई. इस मामले में अपर जिला अधिकारी प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह ने बुढ़ाना चकबंदी अधिकारी से पूरी जानकारी मांगी है.

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