ETV Bharat / bharat

Birth Anniversary : जामिया कुलपति के आग्रह पर मुंशी प्रेमचंद ने की 'कफन' की रचना, जानें उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

मुंशी प्रेमचंद का दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से गहरा नाता रहा है. जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन के आग्रह पर प्रेमचंद ने अपनी कालजयी रचना 'कफन' जामिया में ही लिखी थी. जो सबसे पहले जामिया की पत्रिका में ही दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. प्रेमचंद्र की यादों को जामिया के अभिलेखागार में आज भी संजो कर रखा गया है.

munshi
munshi
author img

By

Published : Jul 31, 2021, 7:31 AM IST

नई दिल्ली : मानवीय संवेदनाओं और जीवन मूल्यों को बड़ी बारीकी से उकेरने की प्रतिभा रखने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की आज 141 वीं जयंती है. मुंशी प्रेमचंद्र का दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से गहरा नाता रहा है.

जामिया के पीआरओ अहमद अजीम की मानें तो जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन से मुंशी प्रेमचंद का गहरा संबंध था और उन्हीं के आग्रह पर प्रेमचंद ने अपनी कालजयी रचना 'कफन' जामिया में ही लिखी थी. जो सबसे पहले जामिया की पत्रिका में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. साथ ही जामिया में 2006 में प्रेमचंद अभिलेखागार भी बनाया गया है, जिसमें उनकी सभी रचनाओं को संजो कर रखा गया है.

जीवन की जमीनी सच्चाई और पारिवारिक संबंधों को कलमबद्ध कर शब्दों में पिरोने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं. इन्हीं मुंशी प्रेमचंद का जामिया मिल्लिया इस्लामिया के साथ घनिष्ठ रिश्ता था.

जामिया के PRO अहमद अजीम ने बताया कि जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन की मुंशी प्रेमचंद से गहरी दोस्ती थी. वहीं मुंशी प्रेमचंद जब दिल्ली आए तो वह जामिया में रुके जिस दौरान डॉ. जाकिर हुसैन ने उनसे कुछ लिखने के लिए गुजारिश की थी.

उनकी इस गुजारिश पर मुंशी प्रेमचंद ने 'कफन' कहानी लिखी थी, जो मानवीय संवेदना मूल्य और छटपटाहट से परिपूर्ण थी. यह कहानी सबसे पहले विश्वविद्यालय की पत्रिका जामिया में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. वहीं जितनी पकड़ मुंशी प्रेमचंद की हिंदी भाषा पर थी, उर्दू भी वह उतनी ही बखूबी लिखा करते थे. उनकी उर्दू की भी कई रचनाएं हैं, जिसे जामिया ने संभाल कर रखा है.

वहीं अहमद अजीम ने बताया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 2006 में जामिया परिसर में प्रेमचंद अभिलेखागार स्थापित किया जिसमें मुंशी प्रेमचंद से जुड़ी सारी यादें संजोकर रखी हुई हैं. जिसमें उनकी जन्मपत्री, उनपर किए गए शोध आदि शामिल हैं. इस अभिलेखागार में साहित्य में रुचि रखने वाले, शोध करने वाले और अन्य साहित्य प्रेमियों को प्रेमचंद के जीवन से और उनके साहित्य से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है.

अजीम अहमद ने बताया कि प्रेमचंद की करीब 100 कहानियों का 61 अनुवादकों द्वारा अनुवाद किया गया, जिनमें 3 कहानियां ऐसी पाई गईं, जो अभी तक कहीं उपलब्ध नहीं थीं. जामिया प्रशासन ने प्रेमचंद की लिखी करीब 300 से अधिक रचनाओं को आज भी संजो कर रखा है और इनका अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है. साथ ही कहा कि मुंशी प्रेमचंद और पूर्व कुलपति जाकिर हुसैन की इस्तेमाल की गई, सभी चीजें भी आज तक संजो कर रखी गई हैं, जो जामिया के लिए बहुत मायने रखती हैं.

यह भी पढ़ें-प्रशांत किशोर ने कांग्रेस आलाकमान को सुझाया यह 'मास्टर प्लान', पार्टी की बैठकों में मंथन जारी

वहीं केंद्र के निदेशक प्रोफेसर साहिबा जैदी बताती हैं कि इस अभिलेखागार का मकसद प्रेमचंद की विरासत और उनकी रचनाओं को एकत्र करना और संरक्षित करना है. इनमें उनकी प्रकाशित अप्रकाशित पांडुलिपि या तस्वीरें आदि शामिल हैं. यह पूरे देश में अपनी तरह का अकेला केंद्र है और अपने मकसद को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है.

नई दिल्ली : मानवीय संवेदनाओं और जीवन मूल्यों को बड़ी बारीकी से उकेरने की प्रतिभा रखने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की आज 141 वीं जयंती है. मुंशी प्रेमचंद्र का दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से गहरा नाता रहा है.

जामिया के पीआरओ अहमद अजीम की मानें तो जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन से मुंशी प्रेमचंद का गहरा संबंध था और उन्हीं के आग्रह पर प्रेमचंद ने अपनी कालजयी रचना 'कफन' जामिया में ही लिखी थी. जो सबसे पहले जामिया की पत्रिका में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. साथ ही जामिया में 2006 में प्रेमचंद अभिलेखागार भी बनाया गया है, जिसमें उनकी सभी रचनाओं को संजो कर रखा गया है.

जीवन की जमीनी सच्चाई और पारिवारिक संबंधों को कलमबद्ध कर शब्दों में पिरोने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं. इन्हीं मुंशी प्रेमचंद का जामिया मिल्लिया इस्लामिया के साथ घनिष्ठ रिश्ता था.

जामिया के PRO अहमद अजीम ने बताया कि जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. जाकिर हुसैन की मुंशी प्रेमचंद से गहरी दोस्ती थी. वहीं मुंशी प्रेमचंद जब दिल्ली आए तो वह जामिया में रुके जिस दौरान डॉ. जाकिर हुसैन ने उनसे कुछ लिखने के लिए गुजारिश की थी.

उनकी इस गुजारिश पर मुंशी प्रेमचंद ने 'कफन' कहानी लिखी थी, जो मानवीय संवेदना मूल्य और छटपटाहट से परिपूर्ण थी. यह कहानी सबसे पहले विश्वविद्यालय की पत्रिका जामिया में दिसंबर 1935 में प्रकाशित हुई थी. वहीं जितनी पकड़ मुंशी प्रेमचंद की हिंदी भाषा पर थी, उर्दू भी वह उतनी ही बखूबी लिखा करते थे. उनकी उर्दू की भी कई रचनाएं हैं, जिसे जामिया ने संभाल कर रखा है.

वहीं अहमद अजीम ने बताया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 2006 में जामिया परिसर में प्रेमचंद अभिलेखागार स्थापित किया जिसमें मुंशी प्रेमचंद से जुड़ी सारी यादें संजोकर रखी हुई हैं. जिसमें उनकी जन्मपत्री, उनपर किए गए शोध आदि शामिल हैं. इस अभिलेखागार में साहित्य में रुचि रखने वाले, शोध करने वाले और अन्य साहित्य प्रेमियों को प्रेमचंद के जीवन से और उनके साहित्य से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है.

अजीम अहमद ने बताया कि प्रेमचंद की करीब 100 कहानियों का 61 अनुवादकों द्वारा अनुवाद किया गया, जिनमें 3 कहानियां ऐसी पाई गईं, जो अभी तक कहीं उपलब्ध नहीं थीं. जामिया प्रशासन ने प्रेमचंद की लिखी करीब 300 से अधिक रचनाओं को आज भी संजो कर रखा है और इनका अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है. साथ ही कहा कि मुंशी प्रेमचंद और पूर्व कुलपति जाकिर हुसैन की इस्तेमाल की गई, सभी चीजें भी आज तक संजो कर रखी गई हैं, जो जामिया के लिए बहुत मायने रखती हैं.

यह भी पढ़ें-प्रशांत किशोर ने कांग्रेस आलाकमान को सुझाया यह 'मास्टर प्लान', पार्टी की बैठकों में मंथन जारी

वहीं केंद्र के निदेशक प्रोफेसर साहिबा जैदी बताती हैं कि इस अभिलेखागार का मकसद प्रेमचंद की विरासत और उनकी रचनाओं को एकत्र करना और संरक्षित करना है. इनमें उनकी प्रकाशित अप्रकाशित पांडुलिपि या तस्वीरें आदि शामिल हैं. यह पूरे देश में अपनी तरह का अकेला केंद्र है और अपने मकसद को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.