मुंबई (महाराष्ट्र): एक जिला उपभोक्ता आयोग ने रेल मंत्रालय, मध्य रेलवे और भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम लिमिटेड (आईआरसीटीसी) को एक वरिष्ठ नागरिक को कुल 50,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. वरिष्ठ नागरिक की शिकायत थी कि इलाहाबाद-मुंबई दुरंतो ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में एसी काम नहीं करने के कारण उसे 42 डिग्री तापमान में यात्रा करनी पड़ी. आयोग ने कहा, "शिकायतकर्ता को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ा, साथ ही ताजी हवा के लिए कोई वैकल्पिक सुविधा नहीं थी, जिससे उसे घुटन का सामना करना पड़ा और पूरी यात्रा के दौरान असुविधा हुई, जो शिकायतकर्ता की सेवा में घोर कमी है. जबकि उसने आरामदायक और सुरक्षित यात्रा के लिए प्रथम श्रेणी का टिकट महंगा टिकट खरीदा था.
आयोग ने आगे कहा कि यह तथ्य कि रेलवे ने शिकायतकर्ता शिवशंकर शुक्ला को एसी के काम न करने के कारण 1,190 रुपये का टिकट किराया वापस कर दिया था से साबित होता है कि उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली है. शिकायत कर्ता शिवशंकर शुक्ला 2017 में घटना के समय 60 वर्ष के थे. उन्होंने मई 2019 में दक्षिण मुंबई जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी.
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शिकातय के मुताबिक, तीन जून, 2017 की शाम को मुंबई से अपनी वापसी यात्रा के दैरान इलाहाबाद जंक्शन पर एसी काम नहीं कर रहा था. उन्होंने टीटी से इसकी शिकायत भी की. एक तकनीशियन एसी सिस्टम की मरम्मत के लिए आया. उसने गैस भरकर एसी को ठीक करने का प्रयास कियाय उस समय रेलवे के अधिकारियों ने शुक्ला को यह आश्नासन दिया कि बोगी का तापमान 23.25 डिग्री के मानक स्तर पर रहेगा. लेकिन एसी में कोई सुधार नहीं हुआ.
शुक्ला ने अपनी शिकायत में कहा कि एसी को ठीक करने आये तकनीशियन ने कहा था कि एसी सिस्टम में भरी गैस लीक हो गई है इसलिए एसी काम नहीं कर रहा. उन्होंने आगे कहा कि ट्रेन को बाद में इटारसी जंक्शन (निर्धारित स्टॉप नहीं) पर चेन खींचने वाले यात्रियों द्वारा रोका गया, जहां कुछ कॉस्मेटिक कदम उठाए गए लेकिन एसी सिस्टम के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. शिकायत में कहा गया है कि एसी के काम नहीं करने के कारण जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, कोच की हालत और खराब होती गई और यह अगले दोपहर एलटीटी टर्मिनस पर ट्रेन के आने तक स्थिति वैसी ही बनी रही.
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रेल मंत्रालय और मध्य रेलवे ने प्रस्तुत किया था कि गैस रिसाव के कारण एसी में खराबी सेवा में कमी के दायरे में नहीं आती क्योंकि यात्रा की अवधि के दौरान यह मानव के नियंत्रण में नहीं होता है. उन्होंने आगे कहा कि शुक्ला को पहले ही रिफंड दे दिया गया था लेकिन मानसिक और शारीरिक आघात, यातना, उत्पीड़न, अपमान, असुविधा, हताशा और कठिनाई का दावा उचित नहीं है. हालांकि, आयोग ने शुक्ला के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि रेलवे के लिए यह जांचना अनिवार्य है कि सभी आवश्यक प्रणालियां ठीक से काम कर रही हैं या नहीं.