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मुल्लापेरियार बांध: शीर्ष अदालत ने सुझाया कि ढांचागत सुरक्षा का मामला पर्यवेक्षी समिति सुलझा सकेगी - न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने तमिलनाडु और केरल को सुझाव दिया कि मुल्लापेरियार बांध के ढांचागत सुरक्षा से जुड़े मामले को सुलझाने का काम पर्यवेक्षी समिति (सुपरवाइजरी कमेटी) पर छोड़ा जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने दोनों राज्यों से इस पर 28 मार्च तक जवाब देने के लिए कहा है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : Mar 24, 2022, 8:11 PM IST

नई दिल्ली : शीर्ष अदालत (supreme court) ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु और केरल को सुझाव दिया कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के ढांचागत सुरक्षा से जुड़े मामले को सुलझाने का काम पर्यवेक्षी समिति (सुपरवाइजरी कमेटी) पर छोड़ा जा सकता है. न्यायालय ने कहा कि इस समिति को और ताकतवर बनाया जा सकता है. केरल ने कहा कि नए बांध के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. इस पर शीर्ष अदालत ने पाया कि केरल द्वारा उठाये गए मामले पर चर्चा की जा सकती है. इस ममाले का समाधान पर्यवेक्षी समिति कर सकती है, जो इस मामले में सिफारिश भी कर सकती है. साथ ही शीर्ष अदालत ने 29 मार्च तक इस पर राज्यों से जवाब मांगा है.

केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर वर्ष 1895 में बने मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मुद्दों को उठाने वाली दलीलों पर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की. पीठ ने कहा कि व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक 'समग्र दृष्टिकोण' अपनाया जाना चाहिए और एक व्यापक उपाय किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, 'अभी तक के अनुभव यही बताते हैं कि अब भी मतभेद है, पार्टियों के बीच अब भी गलत संचार है और हर जगह सुरक्षा के मुद्दे को लेकर आशंका है. तो क्यों न पर्यवेक्षी समिति को ही वह काम करने दें, जिसे आपसे करने की अपेक्षा की जाती है.'

पीठ में न्यायमूर्ति एएस ओका (Justices A.S. Oka) और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार (Justice CT Ravikumar) भी शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह यह पर्यवेक्षी समिति को आउटसोर्सिंग करने जैसा है, ताकि यह समिति अंतिम रूप से उन सब चीजों को करने के लिए जवाबदेह रहे, जिन्हें करने की जरूरत है.' तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने कहा कि समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं. नफड़े ने कहा कि तमिलनाडु की रुचि बांध को बरकरार रखने में है. नया बांध बनाने संबंधित केरल की दलीलों पर पीठ ने कहा कि यदि पर्यवेक्षी समिति को लगता है कि स्थिरता मामले का समाधान एक और बांध बनाने से हो सकता है, जैसे कि छोटे बांध बनाए गए हैं, तो समिति सिफारिश कर सकती है जो दोनों राज्यों के लिए बाध्यकारी होगी.

ये भी पढ़ें - Mullaperiyar dam: केरल सरकार की SC से मांग, स्वतंत्र समिति से कराएं समीक्षा

पर्यवेक्षी समिति की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि इस मामले में समिति का नेतृत्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कर रहे हैं. शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 29 मार्च तक के लिए स्थगित करते हुए दोनों पक्षों से ऐसा खाका प्रदान करने को कहा जिसे स्वीकार करते हुए अदालत के फैसले का हिस्सा बनाया जा सके.

नई दिल्ली : शीर्ष अदालत (supreme court) ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु और केरल को सुझाव दिया कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के ढांचागत सुरक्षा से जुड़े मामले को सुलझाने का काम पर्यवेक्षी समिति (सुपरवाइजरी कमेटी) पर छोड़ा जा सकता है. न्यायालय ने कहा कि इस समिति को और ताकतवर बनाया जा सकता है. केरल ने कहा कि नए बांध के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. इस पर शीर्ष अदालत ने पाया कि केरल द्वारा उठाये गए मामले पर चर्चा की जा सकती है. इस ममाले का समाधान पर्यवेक्षी समिति कर सकती है, जो इस मामले में सिफारिश भी कर सकती है. साथ ही शीर्ष अदालत ने 29 मार्च तक इस पर राज्यों से जवाब मांगा है.

केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर वर्ष 1895 में बने मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मुद्दों को उठाने वाली दलीलों पर न्यायमूर्ति एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की. पीठ ने कहा कि व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक 'समग्र दृष्टिकोण' अपनाया जाना चाहिए और एक व्यापक उपाय किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, 'अभी तक के अनुभव यही बताते हैं कि अब भी मतभेद है, पार्टियों के बीच अब भी गलत संचार है और हर जगह सुरक्षा के मुद्दे को लेकर आशंका है. तो क्यों न पर्यवेक्षी समिति को ही वह काम करने दें, जिसे आपसे करने की अपेक्षा की जाती है.'

पीठ में न्यायमूर्ति एएस ओका (Justices A.S. Oka) और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार (Justice CT Ravikumar) भी शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह यह पर्यवेक्षी समिति को आउटसोर्सिंग करने जैसा है, ताकि यह समिति अंतिम रूप से उन सब चीजों को करने के लिए जवाबदेह रहे, जिन्हें करने की जरूरत है.' तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने कहा कि समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं. नफड़े ने कहा कि तमिलनाडु की रुचि बांध को बरकरार रखने में है. नया बांध बनाने संबंधित केरल की दलीलों पर पीठ ने कहा कि यदि पर्यवेक्षी समिति को लगता है कि स्थिरता मामले का समाधान एक और बांध बनाने से हो सकता है, जैसे कि छोटे बांध बनाए गए हैं, तो समिति सिफारिश कर सकती है जो दोनों राज्यों के लिए बाध्यकारी होगी.

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पर्यवेक्षी समिति की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि इस मामले में समिति का नेतृत्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कर रहे हैं. शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 29 मार्च तक के लिए स्थगित करते हुए दोनों पक्षों से ऐसा खाका प्रदान करने को कहा जिसे स्वीकार करते हुए अदालत के फैसले का हिस्सा बनाया जा सके.

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