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दिल्ली में जुटे किसान संगठन, कहा-न्यूनतम मजदूरी हो सकती है तो MSP गारंटी क्यों नहीं? - MSP guarantee kisan morcha

एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर किसान संगठन दिल्ली में जुटे हैं. तीन दिन तक अधिवेशन कर ये अपनी आवाज सरकार के सामने बुलंद करेंगे. ईटीवी भारत संवाददाता अभिजीत ठाकुर की रिपोर्ट.

Farmers Convention
दिल्ली में जुटे किसान संगठन
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Published : Oct 6, 2022, 9:18 PM IST

नई दिल्ली : न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसल की अनिवार्य खरीद हो, इसके लिए एमएसपी गारंटी कानून (MSP Guarantee law) की मांग कर रहे देश भर के किसान संगठन एक बार फिर दिल्ली पहुंचे हैं. इस बार वह किसी प्रदर्शन या आंदोलन के लिए नहीं बल्कि एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा (MSP guarantee kisan morcha) के बैनर तले तीन दिवसीय अधिवेशन में हिस्सा लेने आए हैं (Farmers Convention in delhi). इस अधिवेशन की विशेष बात यह है कि इस बार नई दिल्ली की बजाय इसके लिए बाहरी दिल्ली देहात का गांव पंजाब खोड़ चुना गया है. यहां खेतों में टेंट लगाकर इस कार्यक्रम को आयोजित किया जा रहा है.

देखिए वीडियो

किसान नेता सरदार वीएम सिंह की अगुवाई में इस अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए देश के 25 राज्यों से किसान प्रतिनिधि दिल्ली पहुंचे हैं. ये तीन दिन तक खेत में ही रहेंगे और यहीं से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का काम करेंगे. इनकी एक और सबसे प्राथमिक मांग है एमएसपी गारंटी कानून. संयोजक वीएम सिंह ने अधिवेशन के पहले दिन 'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में बताया कि लगभग तीन हजार किसान प्रतिनिधि पहुंच चुके हैं. दो सौ के आस पास किसान संगठन हैं जो एक बार फिर लामबंद होकर एक साथ इस मांग को उठाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव से पहले सरकार को इस कानून को ले आना चाहिए क्योंकि यह बहुत पुरानी मांग है. देश के सभी किसान यही चाहते हैं कि उन्हें उनके फसल का वाजिब दाम मिले. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्रियों की कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष ये मांग लिखित में रखी थी कि एमएसपी को अनिवार्य कर देना चाहिए. आज जब वह स्वयं प्रधानमंत्री के पद पर हैं तो वह इस काम को कर सकते हैं लेकिन नहीं कर रहे.

वीएम सिंह ने कहा कि सितंबर 2020 में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ उनकी बैठक हुई थी तब भी उन्होने यही मांग रखी थी. लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी नहीं सुनी, अब समय आ गया है कि किसान एक बार फिर अपनी मांग के लिए एकजुट होकर प्रयास करें.

किसान नेता और महाराष्ट्र से पूर्व सांसद राजू शेट्टी भी इस मुहिम में वीएम सिंह के साथ जुड़े रहे हैं. बता दें कि राजू शेट्टी सांसद रहते हुए एमएसपी गारंटी कानून के लिए संसद में प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश कर चुके हैं जिसे 21 राजनीतिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त था लेकिन इसके बावजूद यह कानून नहीं बन सका.

ईटीवी भारत से बातचीत में राजू शेट्टी ने कहा कि आज सरकार द्वारा फसल का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा ही खरीदा जाता है, बाकी हिस्सा बजार में ही बिकता है. यदि एमएसपी पर खरीद अनिवार्य हो जाए तो किसानों की बड़ी समस्या दूर हो जाएगी. उसके बाद उनकी फसल को कोई भी खरीदे उन्हें फर्क नहीं पड़ता. आज यदि देश में न्यूनतम मजदूरी दर अनिवार्य हो सकता है तो एमएसपी गारंटी कानून भी संभव है, बशर्ते कि सरकार इच्छाशक्ति दिखाए.

पढ़ें- किसान आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच MSP पर बनी समिति ने की बैठक, बनाए चार महत्वपूर्ण ग्रुप

वहीं केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी और किसानों के अन्य मुद्दे पर गठित कमेटी को एक बार फिर किसान नेताओं ने नकार दिया है. उन्होंने कहा है कि ये कमेटी सिर्फ मुद्दे को खत्म करने के लिए गठित की गई है. उन्हें बिल्कुल भरोसा नहीं है कि इस कमेटी का कुछ निष्कर्ष निकलेगा. किसान प्रतिनिधियों का यह अधिवेशन दिल्ली देहात में 8 अक्टूबर तक चलेगा जिसमें एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने के लिए किसान नेता नए सिरे से आंदोलन की रूप रेखा एक बार फिर तय करेंगे.

नई दिल्ली : न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसल की अनिवार्य खरीद हो, इसके लिए एमएसपी गारंटी कानून (MSP Guarantee law) की मांग कर रहे देश भर के किसान संगठन एक बार फिर दिल्ली पहुंचे हैं. इस बार वह किसी प्रदर्शन या आंदोलन के लिए नहीं बल्कि एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा (MSP guarantee kisan morcha) के बैनर तले तीन दिवसीय अधिवेशन में हिस्सा लेने आए हैं (Farmers Convention in delhi). इस अधिवेशन की विशेष बात यह है कि इस बार नई दिल्ली की बजाय इसके लिए बाहरी दिल्ली देहात का गांव पंजाब खोड़ चुना गया है. यहां खेतों में टेंट लगाकर इस कार्यक्रम को आयोजित किया जा रहा है.

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किसान नेता सरदार वीएम सिंह की अगुवाई में इस अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए देश के 25 राज्यों से किसान प्रतिनिधि दिल्ली पहुंचे हैं. ये तीन दिन तक खेत में ही रहेंगे और यहीं से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का काम करेंगे. इनकी एक और सबसे प्राथमिक मांग है एमएसपी गारंटी कानून. संयोजक वीएम सिंह ने अधिवेशन के पहले दिन 'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में बताया कि लगभग तीन हजार किसान प्रतिनिधि पहुंच चुके हैं. दो सौ के आस पास किसान संगठन हैं जो एक बार फिर लामबंद होकर एक साथ इस मांग को उठाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव से पहले सरकार को इस कानून को ले आना चाहिए क्योंकि यह बहुत पुरानी मांग है. देश के सभी किसान यही चाहते हैं कि उन्हें उनके फसल का वाजिब दाम मिले. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्रियों की कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष ये मांग लिखित में रखी थी कि एमएसपी को अनिवार्य कर देना चाहिए. आज जब वह स्वयं प्रधानमंत्री के पद पर हैं तो वह इस काम को कर सकते हैं लेकिन नहीं कर रहे.

वीएम सिंह ने कहा कि सितंबर 2020 में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ उनकी बैठक हुई थी तब भी उन्होने यही मांग रखी थी. लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी नहीं सुनी, अब समय आ गया है कि किसान एक बार फिर अपनी मांग के लिए एकजुट होकर प्रयास करें.

किसान नेता और महाराष्ट्र से पूर्व सांसद राजू शेट्टी भी इस मुहिम में वीएम सिंह के साथ जुड़े रहे हैं. बता दें कि राजू शेट्टी सांसद रहते हुए एमएसपी गारंटी कानून के लिए संसद में प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश कर चुके हैं जिसे 21 राजनीतिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त था लेकिन इसके बावजूद यह कानून नहीं बन सका.

ईटीवी भारत से बातचीत में राजू शेट्टी ने कहा कि आज सरकार द्वारा फसल का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा ही खरीदा जाता है, बाकी हिस्सा बजार में ही बिकता है. यदि एमएसपी पर खरीद अनिवार्य हो जाए तो किसानों की बड़ी समस्या दूर हो जाएगी. उसके बाद उनकी फसल को कोई भी खरीदे उन्हें फर्क नहीं पड़ता. आज यदि देश में न्यूनतम मजदूरी दर अनिवार्य हो सकता है तो एमएसपी गारंटी कानून भी संभव है, बशर्ते कि सरकार इच्छाशक्ति दिखाए.

पढ़ें- किसान आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच MSP पर बनी समिति ने की बैठक, बनाए चार महत्वपूर्ण ग्रुप

वहीं केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी और किसानों के अन्य मुद्दे पर गठित कमेटी को एक बार फिर किसान नेताओं ने नकार दिया है. उन्होंने कहा है कि ये कमेटी सिर्फ मुद्दे को खत्म करने के लिए गठित की गई है. उन्हें बिल्कुल भरोसा नहीं है कि इस कमेटी का कुछ निष्कर्ष निकलेगा. किसान प्रतिनिधियों का यह अधिवेशन दिल्ली देहात में 8 अक्टूबर तक चलेगा जिसमें एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने के लिए किसान नेता नए सिरे से आंदोलन की रूप रेखा एक बार फिर तय करेंगे.

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