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MRNA की वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी : अध्ययन

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Published : Jun 14, 2021, 7:58 PM IST

अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका नेचर द्वारा संकलित एक नवीनतम अध्ययन में कहा गया है कि mRNA वैक्सीन डेल्टा संस्करण से बचाती है. टीके ने कोविड -19 के खिलाफ 95 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई.

कोले
कोले

नई दिल्ली : सार्स कोव 2 संक्रमण के डेल्टा (B.1.617.2) संस्करण को लेकर अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका नेचर द्वारा संकलित एक नवीनतम अध्ययन में कहा गया है कि mRNA वैक्सीन घातक डेल्टा संस्करण से बचाव करती है, जिसे पहली बार भारत में खोजा गया था. अध्ययन में कहा गया है कि BNT162b2, एक mRNA वैक्सीन जो SARS-CoV-2 के पूर्ण प्रीफ्यूजन स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन (Full prefusion spike glycoprotein ) को व्यक्त करता है. उसने कोविड -19 के खिलाफ 95 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई.

'डेल्टा प्लस' प्रकार, वायरस के डेल्टा या 'B.1.617.2' प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है, जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था. हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है, डेल्टा प्लस उस 'मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल' उपचार का रोधी है, जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है.

रिपोर्ट के मुताबिक BNT162b2 वैक्सीन द्वारा वेरिएंट के कवरेज पर चल रहे कार्य में हमने गोल्ड स्टैंडर्ड PRNT50 परख का उपयोग करते हुए वैरिएंट स्पाइक जीन (variant spike genes) को इंजीनियर किया है, हमने BTN162b2-प्रतिरक्षित मानव सेरा (immunized human sera) के एक पैनल द्वारा परिणामी वायरस के न्यूट्रलाइजेशन (neutralization ) का परीक्षण दो या चार सप्ताह बाद किया है. इसमें BNT162b2 की दो खुराक तीन सप्ताह के अंतराल पर दी गई.

सभी परीक्षण किए गए वायरसों में, B.1.3514 और B.1.617.1 से स्पाइक प्रोटीन वाले लोगों ने सीरा द्वारा न्यूट्रलाइजेशन में सबसे बड़ी कमी प्रदर्शित की प्रकृति द्वारा संकलित अध्ययन में कहा गया है.

नेचर ने अपने अध्ययन में कहा कि BNT162b2 की दो खुराक प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों में हाल ही में एक वास्तविक दुनिया के अध्ययन ने किसी भी प्रलेखित संक्रमण (documented infection ) के खिलाफ 75 प्रतिशत की प्रभावशीलता और बी.1.617.1 के रूप में न्यूट्रलाइजेशन टाइटर्स (neutralization titers) ने वैरिएंट B.1.35125 के कारण होने वाली गंभीर, या घातक बीमारी के खिलाफ 100 प्रतिशत की प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया.

गौरतलब है कि दोनों प्रकार B.1.617.1 (कप्पा) और B.1.617.2 (डेल्टा) पहली बार भारत में पाए गए थे. डेल्टा वैरिएंट कोविड के मामलों की स्पाइक और दूसरी लहर में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण था.

BNT162b2-एलिसिटेड सेरा (elicited sera) द्वारा B.1.617.2 वेरिएंट के न्यूट्रलाइज़ेशन में मामूली कमी के अनुरूप, यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom ) में किए गए एक टेस्ट नेगेटिव कंट्रोल ( test negative case ) अध्ययन में पाया गया कि B.1.617.2 के खिलाफ BNT162b2 की दो खुराक की वास्तविक दुनिया की प्रभावशीलता वायरस केवल मामूली रूप से घटकर 87.9 प्रतिशत रह गया, जबकि B.1.1.7 लाइनएज वायरस (lineage virus) के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावशीलता की तुलना में BNT162b2 न केवल एंटीबॉडी (antibodies) को बेअसर करता है, बल्कि स्पाइक-विशिष्ट कोशिकाओं (spike-specific cells) और गैर-निष्प्रभावी एंटीबॉडी (and non-neutralizing antibody-)-निर्भर साइटोटोक्सिसिटी (cytotoxicity) को भी प्रभावित करता है, जो इम्मयूनेशन प्रभावकारक के रूप में भी काम कर सकता है.

अध्ययन में कहा गया है कि जैसे-जैसे महामारी आगे बढ़ेगी, नए संस्करण सामने आते रहेंगे. आज तक, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वायरस वेरिएंट कोविड -19 से BNT162b2-मध्यस्थता सुरक्षा से बच गए हैं.

नेचर ने अपने अध्ययन में कहा कि वर्तमान सुरक्षित और प्रभावी अधिकृत टीकों के साथ प्रतिरक्षित आबादी (population immunized ) के अनुपात में वृद्धि नए रूपों के प्रभाव को कम करने और कोविड -19 महामारी को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति बने हुए हैं.

पढ़ें - 2-6 वर्ष के बच्चाें पर कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का पंजीकरण कल से

इस मामले में एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society of Emergency Medicine) के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत को बताया कि अधिकांश पारंपरिक टीकों में वायरस या जीवाणु या तो मार देते हैं या कमजोर, यह एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (जीवाणु) को उत्तेजित करते हैं, जो शरीर को बाद में वास्तविक रोग जनक से लड़ने की अनुमति देते है.

दूसरी ओर mRNA के टीके आनुवंशिक ( genetic) जानकारी प्रदान करते हैं, जो शरीर की अपनी कोशिकाओं को एक वायरल प्रोटीन (viral protein) का उत्पादन करने की अनुमति देता है, जो बदले में संक्रमण के किसी भी रिस्क के बिना प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को प्रतिक्रिया देने के लिए उत्तेजित करता है.

उन्होंने कहा कि SARS-CoV-2 वायरस के कई प्रकार के चिंता का विषय हैं, जो विश्व स्तर पर उभर रहे हैं और फैल रहे हैं और वायरस के मूल रूप का उपयोग करके तैयार किए गए टीकों की प्रभावकारिता चिंता का कारण बनी हुई है.

इस साल मई में लैंसेट और न्यू इंग्लैंड (Lancet and New England ) जर्नल ऑफ मेडिसिन (Journal of Medicine) में प्रकाशित दो अध्ययनों से पता चलता है कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन B.1.1.7 और B.1.351वेरिएंट के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी है.

डॉ कोले ने कहा कि मॉडर्ना (Moderna) ने हाल ही में एक बयान भी जारी किया है, जो बताता है कि बूस्टर शॉट (booster shot) के चल रहे अध्ययन के शुरुआती परिणाम B.1.351 और P.1 वेरिएंट के संबंध में उत्साहजनक हैं.

अपने वैश्विक समकक्षों की तरह, भारत में अधिकृत दो टीके, कोवैक्सिन और कोविशील्ड भी वर्तमान वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं.

दिल्ली स्थित सीएसआईआर- जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) में वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने रविवार को ट्वीट किया, 'के417एन उत्परिवर्तन के कारण बी1.617.2 प्रकार बना है जिसे एवाई.1 के नाम से भी जाना जाता है.'

उन्होंने कहा कि यह उत्परिवर्तन सार्स कोव-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है जो वायरस को मानव कोशिकाओं के भीतर जाकर संक्रमित करने में सहायता करता है. स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, 'भारत में के417एन से उपजा प्रकार अभी बहुत ज्यादा नहीं है. यह सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका से सामने आए हैं.'

स्कारिया ने यह भी कहा कि उत्परिवर्तन, वायरस के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता से भी संबंधित हो सकता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता विशेषज्ञ विनीता बल ने कहा कि हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण 'एंटीबाडी कॉकटेल' के प्रयोग को झटका लगा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी.

नई दिल्ली : सार्स कोव 2 संक्रमण के डेल्टा (B.1.617.2) संस्करण को लेकर अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका नेचर द्वारा संकलित एक नवीनतम अध्ययन में कहा गया है कि mRNA वैक्सीन घातक डेल्टा संस्करण से बचाव करती है, जिसे पहली बार भारत में खोजा गया था. अध्ययन में कहा गया है कि BNT162b2, एक mRNA वैक्सीन जो SARS-CoV-2 के पूर्ण प्रीफ्यूजन स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन (Full prefusion spike glycoprotein ) को व्यक्त करता है. उसने कोविड -19 के खिलाफ 95 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई.

'डेल्टा प्लस' प्रकार, वायरस के डेल्टा या 'B.1.617.2' प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है, जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था. हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है, डेल्टा प्लस उस 'मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल' उपचार का रोधी है, जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है.

रिपोर्ट के मुताबिक BNT162b2 वैक्सीन द्वारा वेरिएंट के कवरेज पर चल रहे कार्य में हमने गोल्ड स्टैंडर्ड PRNT50 परख का उपयोग करते हुए वैरिएंट स्पाइक जीन (variant spike genes) को इंजीनियर किया है, हमने BTN162b2-प्रतिरक्षित मानव सेरा (immunized human sera) के एक पैनल द्वारा परिणामी वायरस के न्यूट्रलाइजेशन (neutralization ) का परीक्षण दो या चार सप्ताह बाद किया है. इसमें BNT162b2 की दो खुराक तीन सप्ताह के अंतराल पर दी गई.

सभी परीक्षण किए गए वायरसों में, B.1.3514 और B.1.617.1 से स्पाइक प्रोटीन वाले लोगों ने सीरा द्वारा न्यूट्रलाइजेशन में सबसे बड़ी कमी प्रदर्शित की प्रकृति द्वारा संकलित अध्ययन में कहा गया है.

नेचर ने अपने अध्ययन में कहा कि BNT162b2 की दो खुराक प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों में हाल ही में एक वास्तविक दुनिया के अध्ययन ने किसी भी प्रलेखित संक्रमण (documented infection ) के खिलाफ 75 प्रतिशत की प्रभावशीलता और बी.1.617.1 के रूप में न्यूट्रलाइजेशन टाइटर्स (neutralization titers) ने वैरिएंट B.1.35125 के कारण होने वाली गंभीर, या घातक बीमारी के खिलाफ 100 प्रतिशत की प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया.

गौरतलब है कि दोनों प्रकार B.1.617.1 (कप्पा) और B.1.617.2 (डेल्टा) पहली बार भारत में पाए गए थे. डेल्टा वैरिएंट कोविड के मामलों की स्पाइक और दूसरी लहर में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण था.

BNT162b2-एलिसिटेड सेरा (elicited sera) द्वारा B.1.617.2 वेरिएंट के न्यूट्रलाइज़ेशन में मामूली कमी के अनुरूप, यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom ) में किए गए एक टेस्ट नेगेटिव कंट्रोल ( test negative case ) अध्ययन में पाया गया कि B.1.617.2 के खिलाफ BNT162b2 की दो खुराक की वास्तविक दुनिया की प्रभावशीलता वायरस केवल मामूली रूप से घटकर 87.9 प्रतिशत रह गया, जबकि B.1.1.7 लाइनएज वायरस (lineage virus) के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावशीलता की तुलना में BNT162b2 न केवल एंटीबॉडी (antibodies) को बेअसर करता है, बल्कि स्पाइक-विशिष्ट कोशिकाओं (spike-specific cells) और गैर-निष्प्रभावी एंटीबॉडी (and non-neutralizing antibody-)-निर्भर साइटोटोक्सिसिटी (cytotoxicity) को भी प्रभावित करता है, जो इम्मयूनेशन प्रभावकारक के रूप में भी काम कर सकता है.

अध्ययन में कहा गया है कि जैसे-जैसे महामारी आगे बढ़ेगी, नए संस्करण सामने आते रहेंगे. आज तक, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वायरस वेरिएंट कोविड -19 से BNT162b2-मध्यस्थता सुरक्षा से बच गए हैं.

नेचर ने अपने अध्ययन में कहा कि वर्तमान सुरक्षित और प्रभावी अधिकृत टीकों के साथ प्रतिरक्षित आबादी (population immunized ) के अनुपात में वृद्धि नए रूपों के प्रभाव को कम करने और कोविड -19 महामारी को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति बने हुए हैं.

पढ़ें - 2-6 वर्ष के बच्चाें पर कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का पंजीकरण कल से

इस मामले में एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society of Emergency Medicine) के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत को बताया कि अधिकांश पारंपरिक टीकों में वायरस या जीवाणु या तो मार देते हैं या कमजोर, यह एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (जीवाणु) को उत्तेजित करते हैं, जो शरीर को बाद में वास्तविक रोग जनक से लड़ने की अनुमति देते है.

दूसरी ओर mRNA के टीके आनुवंशिक ( genetic) जानकारी प्रदान करते हैं, जो शरीर की अपनी कोशिकाओं को एक वायरल प्रोटीन (viral protein) का उत्पादन करने की अनुमति देता है, जो बदले में संक्रमण के किसी भी रिस्क के बिना प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को प्रतिक्रिया देने के लिए उत्तेजित करता है.

उन्होंने कहा कि SARS-CoV-2 वायरस के कई प्रकार के चिंता का विषय हैं, जो विश्व स्तर पर उभर रहे हैं और फैल रहे हैं और वायरस के मूल रूप का उपयोग करके तैयार किए गए टीकों की प्रभावकारिता चिंता का कारण बनी हुई है.

इस साल मई में लैंसेट और न्यू इंग्लैंड (Lancet and New England ) जर्नल ऑफ मेडिसिन (Journal of Medicine) में प्रकाशित दो अध्ययनों से पता चलता है कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन B.1.1.7 और B.1.351वेरिएंट के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी है.

डॉ कोले ने कहा कि मॉडर्ना (Moderna) ने हाल ही में एक बयान भी जारी किया है, जो बताता है कि बूस्टर शॉट (booster shot) के चल रहे अध्ययन के शुरुआती परिणाम B.1.351 और P.1 वेरिएंट के संबंध में उत्साहजनक हैं.

अपने वैश्विक समकक्षों की तरह, भारत में अधिकृत दो टीके, कोवैक्सिन और कोविशील्ड भी वर्तमान वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं.

दिल्ली स्थित सीएसआईआर- जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) में वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने रविवार को ट्वीट किया, 'के417एन उत्परिवर्तन के कारण बी1.617.2 प्रकार बना है जिसे एवाई.1 के नाम से भी जाना जाता है.'

उन्होंने कहा कि यह उत्परिवर्तन सार्स कोव-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है जो वायरस को मानव कोशिकाओं के भीतर जाकर संक्रमित करने में सहायता करता है. स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, 'भारत में के417एन से उपजा प्रकार अभी बहुत ज्यादा नहीं है. यह सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका से सामने आए हैं.'

स्कारिया ने यह भी कहा कि उत्परिवर्तन, वायरस के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता से भी संबंधित हो सकता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता विशेषज्ञ विनीता बल ने कहा कि हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण 'एंटीबाडी कॉकटेल' के प्रयोग को झटका लगा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी.

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