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आपराधिक मामलों में सांसदों को कोई विशेषाधिकार नहीं: सभापति नायडू

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि आपराधिक मामलों में सांसदों को कोई विशेषाधिकार नहीं मिला हुआ है. उच्च सदन के सदस्यों को सिविल मामलों में जरूर कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं.

MPs have no privilege in criminal matters: Speaker Naidu
आपराधिक मामलों में सांसदों को कोई विशेषाधिकार नहीं: सभापति नायडू
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Published : Aug 5, 2022, 2:02 PM IST

Updated : Aug 5, 2022, 3:18 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधी दल के नेताओं को निशाना बनाए जाने के विपक्ष के आरोपों के मद्देनजर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि उच्च सदन के सदस्यों को सिविल मामलों में जरूर कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं लेकिन आपराधिक मामलों में उनके पास ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं है.

ज्ञात हो कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बृहस्पतिवार को सदन में आरोप लगाया था कि संसद का सत्र जारी रहने के बावजूद उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा समन भेजा गया है. शिवसेना के सदस्य अपने नेता संजय राउत को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने का मुद्दा भी पिछले कुछ दिनों से उठा रहे हैं. शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी यह मामला उठाया था कि संसद का सत्र चल रहा है और राउत को ईडी ने गिरफ्तार किया है.

आज सुबह भी 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर हंगामा कर रहे कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि सत्र के दौरान खड़गे को ईडी का समन भेज कर उन्हें अपमानित किया गया.
विपक्षी नेताओं की इन बातों का संज्ञान लेते हुए नायडू ने सदन में ऐसे मामलों में कानूनी स्थिति और सदन में पूर्व में दी गई व्यवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सदस्यों में एक गलत धारणा है कि एजेंसियों की कार्रवाई के खिलाफ उनके पास कोई विशेषाधिकार है.

उन्होंने कहा, ‘संविधान के 105वें अनुच्छेद के मुताबिक संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार हैं. इनमें एक विशेषाधिकार यह है कि सत्र के आरंभ होने या समिति की बैठकों में शामिल होने के 40 दिन पहले और इसके समाप्त होने के 40 दिनों के भीतर किसी भी संसद सदस्य को सिविल मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 135 के सेक्शन ‘ए’ में इसका उल्लेख भी है.

सभापति ने कहा, ‘हालांकि आपराधिक मामलों में सांसद किसी आम नागरिक से अलग नहीं हैं. इसका मतलब यह है सत्र के दौरान या वैसे भी, सांसदों के पास गिरफ्तार होने से बचने का कोई विशेषाधिकार नहीं है.’ उन्होंने इस बारे में आसन की ओर से पूर्व में दी गई कुछ व्यवस्थाओं का भी उल्लेख किया. ऐसे ही एक मामले में वर्ष 1966 में तत्कालीन सभापति जाकिर हुसैन द्वारा दी गई एक व्यवस्था का जिक्र करते हुए सभापति नायडू ने कहा कि संसद सदस्यों के कुछ विशेषाधिकार हैं ताकि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें.

ये भी पढ़ें- महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन, हिरासत में लिए गए राहुल और प्रियंका, किंग्सवे कैंप लाए गए कांग्रेसी नेता

पूर्व उपराष्ट्रपति हुसैन द्वारा दी गई व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा ही एक विशेषाधिकार है कि जब सत्र चल रहा हो तो सदस्यों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता लेकिन यह स्वतंत्रता सिर्फ सिविल मामलों में है, आपराधिक कार्रवाइयों में नहीं है. नायडू ने कहा कि उन्होंने भी एक बार सदन में व्यवस्था दी है कि जांच एजेंसियां अगर किसी को बुलाती हैं तो सदस्यों को उसमें शामिल होना चाहिए ना कि सदन चलने को कारण बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कानून का पालन करना सभी का कर्तव्य है.
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक शुक्रवार को शुरू होने के कुछ ही देर बाद साढ़े ग्यारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी.

नई दिल्ली: केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधी दल के नेताओं को निशाना बनाए जाने के विपक्ष के आरोपों के मद्देनजर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि उच्च सदन के सदस्यों को सिविल मामलों में जरूर कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं लेकिन आपराधिक मामलों में उनके पास ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं है.

ज्ञात हो कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बृहस्पतिवार को सदन में आरोप लगाया था कि संसद का सत्र जारी रहने के बावजूद उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा समन भेजा गया है. शिवसेना के सदस्य अपने नेता संजय राउत को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने का मुद्दा भी पिछले कुछ दिनों से उठा रहे हैं. शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी यह मामला उठाया था कि संसद का सत्र चल रहा है और राउत को ईडी ने गिरफ्तार किया है.

आज सुबह भी 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर हंगामा कर रहे कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि सत्र के दौरान खड़गे को ईडी का समन भेज कर उन्हें अपमानित किया गया.
विपक्षी नेताओं की इन बातों का संज्ञान लेते हुए नायडू ने सदन में ऐसे मामलों में कानूनी स्थिति और सदन में पूर्व में दी गई व्यवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सदस्यों में एक गलत धारणा है कि एजेंसियों की कार्रवाई के खिलाफ उनके पास कोई विशेषाधिकार है.

उन्होंने कहा, ‘संविधान के 105वें अनुच्छेद के मुताबिक संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार हैं. इनमें एक विशेषाधिकार यह है कि सत्र के आरंभ होने या समिति की बैठकों में शामिल होने के 40 दिन पहले और इसके समाप्त होने के 40 दिनों के भीतर किसी भी संसद सदस्य को सिविल मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 135 के सेक्शन ‘ए’ में इसका उल्लेख भी है.

सभापति ने कहा, ‘हालांकि आपराधिक मामलों में सांसद किसी आम नागरिक से अलग नहीं हैं. इसका मतलब यह है सत्र के दौरान या वैसे भी, सांसदों के पास गिरफ्तार होने से बचने का कोई विशेषाधिकार नहीं है.’ उन्होंने इस बारे में आसन की ओर से पूर्व में दी गई कुछ व्यवस्थाओं का भी उल्लेख किया. ऐसे ही एक मामले में वर्ष 1966 में तत्कालीन सभापति जाकिर हुसैन द्वारा दी गई एक व्यवस्था का जिक्र करते हुए सभापति नायडू ने कहा कि संसद सदस्यों के कुछ विशेषाधिकार हैं ताकि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें.

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पूर्व उपराष्ट्रपति हुसैन द्वारा दी गई व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा ही एक विशेषाधिकार है कि जब सत्र चल रहा हो तो सदस्यों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता लेकिन यह स्वतंत्रता सिर्फ सिविल मामलों में है, आपराधिक कार्रवाइयों में नहीं है. नायडू ने कहा कि उन्होंने भी एक बार सदन में व्यवस्था दी है कि जांच एजेंसियां अगर किसी को बुलाती हैं तो सदस्यों को उसमें शामिल होना चाहिए ना कि सदन चलने को कारण बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कानून का पालन करना सभी का कर्तव्य है.
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक शुक्रवार को शुरू होने के कुछ ही देर बाद साढ़े ग्यारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी.

Last Updated : Aug 5, 2022, 3:18 PM IST
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