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जानिए, क्यों कांग्रेस सांसद से 'भिड़' गईं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर

संसद के मानसून सत्र में विपक्षी सांसदों का हंगामा और सरकार की नीतियों के विरोध में नारेबाजी जारी है. इससे इतर संसद के बाहर कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर के बीच जुबानी तकरार देखने को मिली. दोनों ने एक दूसरे पर कृषि कानूनों को लेकर सरकार का समर्थन करने का आरोप लगाया. देखिए वीडियो

रवनीत बिट्टू हरसिमरत कौर
रवनीत बिट्टू हरसिमरत कौर
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Published : Aug 4, 2021, 11:37 AM IST

Updated : Aug 4, 2021, 2:34 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ गत 8 महीनों से अधिक समय से किसान संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इन्हीं कानूनों के खिलाफ मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी दे दिया था. कांग्रेस भी इन कानूनों का विरोध कर रही है. ताजा घटनाक्रम में आज संसद के बाहर हरसिमरत कौर बादल और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (Congress MP Ravneet Singh Bittu) के बीच 'भिड़ंत' हो गई. दोनों के बीच जमकर जुबानी तकरार हुई.

कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने हरसिमरत कौर पर हमला बोला और कहा कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे ये लोग नकली हैं. उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने संसद में कृषि कानूनों को पेश किया उस समय हरसिमरत केंद्रीय मंत्रिमंडल में थीं. उन्होंने विधेयकों का विरोध नहीं किया. बाद में विधेयकों के पारित होने के बाद दिखावा करने के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया.

कांग्रेस सांसद से 'भिड़' गईं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर

इसके जवाब में हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कृषि कानूनों को मूर्त रूप देने में केंद्र सरकार की परोक्ष मदद की है. उन्होंने सवाल किया कि जब विधेयकों पर चर्चा की जा रही थी, उस समय कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सदन में क्यों मौजूद नहीं थे. हरसिमरत ने कहा कि कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया जिससे सरकार को विधेयकों को पारित कराने में कोई परेशानी नहीं हुई.

बता दें कि हरसिमरत कौर बादल शिरोमणी अकाली दल की सांसद (Shiromani Akali Dal MP Harsimrat Kaur Badal) हैं. उन्होंने विधेयकों के पारित होने के बाद 17 सितंबर, 2020 को इस्तीफा दे दिया था. अपने ट्विटर हैंडल पर इस्तीफे की जानकारी देते हुए हरसिमरत कौर ने लिखा था, 'मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है.'

यह भी पढ़ें- कृषि विधेयकों के विरोध में हरसिमरत कौर ने दिया केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा

शिरोमणी अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने लोक सभा में कृषि कानूनों पर चर्चा के दौरान भी कांग्रेस के किसान विरोधी सरकार का समर्थन करने के आरोपों को खारिज किया था. उन्होंने कहा, 'शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया.'

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, 'शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है.'

क्या हैं तीनों कृषि कानून और सरकार के दावे
दिलचस्प है कि किसानों का हितैषी होने का दावा करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कई कृषि संगठनों में आक्रोश देखा जा रहा है. यह गुस्सा कृषि सुधार विधेयकों को लेकर है. पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे. लोक सभा में विधेयक पारित होने के बाद खुद पीएम मोदी ने इसे ऐतिहासिक करार दिया था.

कौन से हैं तीन विधेयक-

  1. आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल -2020
  2. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
  3. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

कृषि कानून में बदलाव का घटनाक्रम

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 जून को विधेयकों से जुड़े अध्यादेश स्वीकृत किए
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में 15 सितंबर को इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पेश करने का प्रस्ताव रखा
  • विधेयकों पर चर्चा के बाद संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन 17 सितंबर को लोक सभा में दो विधेयकों को मंजूरी मिली.

1. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक के कानून बनने पर होने वाले बदलाव

  • कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्‍यापारियों को 'अवसर की स्‍वतंत्रता'
  • लेन-देन की लागत में कमी
  • मंडियों के अतिरिक्‍त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्‍करण यूनिटों पर व्‍यापार के लिए अतिरिक्‍त चैनलों का सृजन
  • किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्‍स्‍थता में कमी आएं
  • देश में प्रतिस्‍पर्धी डिजिटल व्‍यापार का माध्‍यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम
  • अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें

2. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक के कानून बनने पर प्रमुख लाभ

  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन
  • उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट
  • अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद
  • अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति
  • क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति
  • शीघ्र वितरण/प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद
  • अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान
  • सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव

यह भी पढ़ें- किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

कानून में बदलाव के समर्थन में केंद्र का कहना है कि किसानों के हितों का संरक्षण करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. सरकार का कहना है कि देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें अपनी कम मात्रा की उपज को बाजारों में ले जाने और उसका अच्छा मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है. सरकार का कहना है कि प्रावधान में बदलाव के बाद किसानों को कई बंधनों से आजादी मिलेगी.

कृषि मंत्री की दलीलें

  • विधेयकों के कानून के माध्यम से अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा
  • राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंगी
  • विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा
  • खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा
  • रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
  • कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ गत 8 महीनों से अधिक समय से किसान संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इन्हीं कानूनों के खिलाफ मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी दे दिया था. कांग्रेस भी इन कानूनों का विरोध कर रही है. ताजा घटनाक्रम में आज संसद के बाहर हरसिमरत कौर बादल और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (Congress MP Ravneet Singh Bittu) के बीच 'भिड़ंत' हो गई. दोनों के बीच जमकर जुबानी तकरार हुई.

कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने हरसिमरत कौर पर हमला बोला और कहा कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे ये लोग नकली हैं. उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने संसद में कृषि कानूनों को पेश किया उस समय हरसिमरत केंद्रीय मंत्रिमंडल में थीं. उन्होंने विधेयकों का विरोध नहीं किया. बाद में विधेयकों के पारित होने के बाद दिखावा करने के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया.

कांग्रेस सांसद से 'भिड़' गईं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर

इसके जवाब में हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कृषि कानूनों को मूर्त रूप देने में केंद्र सरकार की परोक्ष मदद की है. उन्होंने सवाल किया कि जब विधेयकों पर चर्चा की जा रही थी, उस समय कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सदन में क्यों मौजूद नहीं थे. हरसिमरत ने कहा कि कांग्रेस सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया जिससे सरकार को विधेयकों को पारित कराने में कोई परेशानी नहीं हुई.

बता दें कि हरसिमरत कौर बादल शिरोमणी अकाली दल की सांसद (Shiromani Akali Dal MP Harsimrat Kaur Badal) हैं. उन्होंने विधेयकों के पारित होने के बाद 17 सितंबर, 2020 को इस्तीफा दे दिया था. अपने ट्विटर हैंडल पर इस्तीफे की जानकारी देते हुए हरसिमरत कौर ने लिखा था, 'मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है.'

यह भी पढ़ें- कृषि विधेयकों के विरोध में हरसिमरत कौर ने दिया केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा

शिरोमणी अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने लोक सभा में कृषि कानूनों पर चर्चा के दौरान भी कांग्रेस के किसान विरोधी सरकार का समर्थन करने के आरोपों को खारिज किया था. उन्होंने कहा, 'शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया.'

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, 'शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है.'

क्या हैं तीनों कृषि कानून और सरकार के दावे
दिलचस्प है कि किसानों का हितैषी होने का दावा करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कई कृषि संगठनों में आक्रोश देखा जा रहा है. यह गुस्सा कृषि सुधार विधेयकों को लेकर है. पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे. लोक सभा में विधेयक पारित होने के बाद खुद पीएम मोदी ने इसे ऐतिहासिक करार दिया था.

कौन से हैं तीन विधेयक-

  1. आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल -2020
  2. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
  3. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

कृषि कानून में बदलाव का घटनाक्रम

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 जून को विधेयकों से जुड़े अध्यादेश स्वीकृत किए
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में 15 सितंबर को इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पेश करने का प्रस्ताव रखा
  • विधेयकों पर चर्चा के बाद संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन 17 सितंबर को लोक सभा में दो विधेयकों को मंजूरी मिली.

1. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक के कानून बनने पर होने वाले बदलाव

  • कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्‍यापारियों को 'अवसर की स्‍वतंत्रता'
  • लेन-देन की लागत में कमी
  • मंडियों के अतिरिक्‍त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्‍करण यूनिटों पर व्‍यापार के लिए अतिरिक्‍त चैनलों का सृजन
  • किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्‍स्‍थता में कमी आएं
  • देश में प्रतिस्‍पर्धी डिजिटल व्‍यापार का माध्‍यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम
  • अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें

2. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक के कानून बनने पर प्रमुख लाभ

  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन
  • उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट
  • अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद
  • अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति
  • क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति
  • शीघ्र वितरण/प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद
  • अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान
  • सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव

यह भी पढ़ें- किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

कानून में बदलाव के समर्थन में केंद्र का कहना है कि किसानों के हितों का संरक्षण करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. सरकार का कहना है कि देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें अपनी कम मात्रा की उपज को बाजारों में ले जाने और उसका अच्छा मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है. सरकार का कहना है कि प्रावधान में बदलाव के बाद किसानों को कई बंधनों से आजादी मिलेगी.

कृषि मंत्री की दलीलें

  • विधेयकों के कानून के माध्यम से अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा
  • राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंगी
  • विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा
  • खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा
  • रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
  • कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
Last Updated : Aug 4, 2021, 2:34 PM IST
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