सागर। पर्यावरण संरक्षण में रुचि रखने वालों के लिए ये खबर चिंताजनक हो सकती है, लेकिन कई बार धर्म और आस्था के सामने पर्यावरण संरक्षण जैसे तर्क बोने साबित हो जाते हैं. सागर शहर में सावन महीने के विशेष अवसर पर नाग पंचमी के दिन भगवान शिव का अभिषेक 2 लाख 17 हजार बेलपत्र से अभिषेक किया गया. भगवान शिव के भक्तों ने जिले भर से 21 ट्राली बेलपत्र इकट्ठा किये. खास बात ये है कि 21 ट्राली बेलपत्रों से चार दिनों तक खंडित बेलपत्रों को अलग किया गया. तब जाकर आज 2 लाख 17 हजार बेलपत्र से भगवान शिव का अभिषेक नागपंचमी के अवसर पर किया गया.
राम दरबार में बेलपत्र से शिव अभिषेक: शहर के मकरोनिया उपनगर में स्थित राम दरबार मंदिर में सोमवार सुबह से विशेष आयोजन किया गया है. राम दरबार मंदिर में सावन सोमवार के अवसर पर भगवान शिव का बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है. पिछले कुछ सालों से राम दरबार मंदिर में परंपरा है कि सावन सोमवार के अवसर पर सवा लाख बेलपत्र से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. सवा लाख बेलपत्र इकट्ठा करने के लिए कई दिनों पहले से तैयारियां करनी पड़ती हैं.
शिव अभिषेक के लिए एकत्र किये 21 ट्राली बेलपत्र: मंदिर आयोजन समिति से जुड़े अभिषेक गौर बताते हैं कि ''राम दरबार मंदिर में हुए भगवान शिव के अभिषेक की तैयारी 10 दिन पहले शुरू हो गई थी. सबसे पहले जिले भर से 21 ट्राली बेलपत्र को इकट्ठा किया गया. फिर 7 दिनों तक बेलपत्र की छटाई का काम चला. भगवान शिव के अभिषेक में अर्पित होने वाला बेलपत्र खंडित नहीं होना चाहिए. इसलिए करीब चार दिन बेल पत्रों की छटाई की गयी. हर साल की तरह सवा लाख बेलपत्र से भगवान शिव के अभिषेक के लक्ष्य पूरा करने 2 दिन बेलपत्र की गिनती का काम चला और सवा लाख की जगह दो लाख 17 हजार बेलपत्र भगवान शिव के अभिषेक के लिए इकट्ठा हो गए.''
बेलपत्र से अभिषेक विशेष फलदाई: पंडित केशवगिरि महाराज ने बताया कि ''पवित्र श्रावण माह में सवा लाख बेलपत्र चढ़ाने का शास्त्रों में विशेष ही महत्व वर्णित है. भगवान शिव कल्याण के देवता है और जो भी मनुष्य भगवान शिव की श्रद्धा और विश्वास के साथ आराधना करता है, वह 84 लाख योनियों में फिर नहीं भटकता. महाकाल को चढ़ाई गयी एक बेलपत्र अकाल मृत्यु का हरण करती है. जो मनुष्य भगवान को बेलपत्र से पूजन करता है, उस मनुष्य को देखकर सारे देवी देवता प्रसन्न होते हैं. इसीलिए श्रद्धा स्वरूप देवी पार्वती और विश्वास स्वरूप भगवान शंकर का श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन करना विशेष फलदायी होता है.''
क्या कहते हैं प्रकृति प्रेमी: पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय रहने वाले महेश प्रसाद तिवारी (प्रकृति प्रेमी) कहते हैं कि ''धार्मिक अनुष्ठान परंपराओं और शास्त्रों से जुड़ी बातों पर मैं सवाल करना उचित नहीं समझता हूं. लेकिन प्रकृति और पर्यावरण को लेकर मानना है कि इस विशेष अनुष्ठान के लिए प्रकृति से हमने उसका जो कुछ भी लिया है, उसे वापस करें. अनुष्ठान के साथ हमें यह भी संकल्प लेना चाहिए कि हम पौधे लगाएं और उन्हें वृक्ष बनने तक उनकी सेवा करें. तब ऐसे विशेष धार्मिक अनुष्ठान की आहुति मानी जाएगी. कोई भी अनुष्ठान संकल्प और आहुति के बिना पूरा नहीं होता है.''