भोपाल। संजीवनी घोटाले को लेकर तीन साल बाद मध्यप्रदेश का गृह विभाग अचानक सक्रिय हो गया है. इसकी जांच के लिए सीबीआई को सिफारिश की गई है. ईटीवी भारत के पास मौजूद गृह विभाग के सेक्रेटरी और आईपीएस अफसर गौरव राजपूत की तरफ से जारी किए गए नोटिफिकेशन की प्रति मौजूद है. इसमें साफ लिखा है कि मध्यप्रदेश के तीन थानों में संजीवनी घोटाले के मामले दर्ज हैं. एमपी में तीनों मुकदमे 2020 में दर्ज हुए थे. उस समय मल्टी स्टेट सोसाइटी की स्थानीय ब्रांच के मैनेजर, स्टाफ, एजेंट के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी.
घोटाले की फाइलें पुलिस थाने में : वहीं, इंदौर के एमआईजी थाने में दर्ज केस की जांच करने वाले अफसरों ने अनौपचारिक रूप से बताया कि असल में इतने साल से यह जांच धीमी गति से चल रही थी. अचानक बीते माह वरिष्ठ अधिकारियों ने इस केस में गुड्स एक्ट (अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019) की धारा जोड़ने के निर्देश दिए. इसके बाद यह धारा जोड़ी गई. वहीं, जानकार बताते हैं कि यह धारा लगने का मतलब है कि इस मामले में एक से अधिक राज्य शामिल हैं. जब 1 से अधिक राज्य का मामला होता है तो इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने का प्रावधान है. इसके बाद 27 मार्च को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसमें बताया गया कि इस मामले की जांच की सिफारिश सीबीआई को कर दी गई है. हालांकि अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली है. सूत्रों का कहना है कि अभी संबंधित थानों में ही केस की फाइलें है. इस मामले को लेकर जब गृह विभाग के सचिव गौरव राजपूत से जब पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि "अभी हमने प्रस्ताव भेजा है, सहमति नहीं मिली है."
इन तीन थानों में दर्ज हैं केस : संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी के मामले में गृह विभाग के सचिव गौरव राजपूत की ओर से केंद्र को भेजी गई सिफारिश के बाद जारी नोटिफिकेशन में एमपी में संजीवनी के खिलाफ तीन थानों में एफआईआर का जिक्र है. इनमें धार जिले के थाना कुक्षी में अधिनियम 2019 की धारा 3, धारा 420, 406, 34 आईपीसी, धारा 6(1) के तहत मामला दर्ज है. इसी प्रकार इंदौर के पुलिस स्टेशन एरोड्रम में धारा 420, 467, 468, 471, 120-बी, 34 आईपीसी के तहत दर्ज किया गया है. इंदौर के ही एमआईजी थाने में भी मामला दर्ज किया गया है. अनुमान है कि मध्यप्रदेश में संजीवनी के तहत कई शहरों में ब्रांच बनाई गईं. इनमें 10 से 12 करोड़ रुपए जमा हुए हैं.
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क्या है संजीवनी घोटाला : राजस्थान सोसायटी एक्ट के तहत 2008 के तहत संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी को रजिस्टर्ड कराया गया था. इसके बाद 2010 में इसे मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी के रूप में बदल दिया गया. लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया और बड़ी संख्या में निवेशक मिलना शुरू हो गए. ठीक इसी तर्ज पर गुजरात और फिर मध्यप्रदेश में भी इसे शुरू किया गया. मध्यप्रदेश में इसका पंजीयन अलग है. वहीं, यह भी बता दें कि किसी केस को सीबीआई को सौंपने की प्रक्रिया 1946 में बने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम के अनुसार होती है. राज्य सरकार की ओर से सीबीआई जांच की सिफारिश होने पर केंद्र एजेंसी से टिप्पणी मांगता है. सीबीआई को केस जांच के लिए उपयुक्त लगता है तो ही केंद्र इसकी अधिसूचना जारी करता है. केवल हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले को सीधे सीबीआई को सौंपने का अधिकार है.