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MP Panchayat Election: जिंदा सरपंच प्रत्याशी को विपक्षियों ने मृत घोषित किया, रिटर्निंग ऑफिसर से महिला ने कहा- मैं जिंदा हूं - जिंदा सरपंच प्रत्याशी को विपक्षियों ने मृत घोषित किया

एमपी के पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) के चलते एक जिंदा सरपंच प्रत्याशी को विपक्षियों ने मृत घोषित कर दिया, जिसके बाद महिला प्रत्याशी रिटर्निंग ऑफिसर के पास पहुंची और खुद के जिंदा होने के सबूत पेश किए.

MP Panchayat Election sarpanch candidate declared dead by opposition in shivpuri
जिंदा सरपंच प्रत्याशी को विपक्षियों ने मृत घोषित किया
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Published : Jun 9, 2022, 11:04 PM IST

शिवपुरी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की विशादें बिछने लगी है प्रत्याशी चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिए साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन चुनावी रण में अपने प्रतिद्वंदी को मरा घोषित करने की एक शिकायत रिटर्निंग ऑफिसर के पास दर्ज कराई गई है.(MP Panchayat Election) शिकायतकर्ता का कहना है कि उसकी प्रतिद्वंदी सरपंची का चुनाव लड़ रही महिला की मौत तो 10 वर्ष पहले ही हो चुकी है, इसके बाद जो महिला प्रत्याशी के तौर पर सामने आई है वह महिला दूसरी है. वहीं मृत घोषित बताई जाने वाली महिला प्रत्याशी ने रिटर्निंग अधिकारी के पास पहुंच कर अपने जिंदा होने की सबूत पेश किए हैं.

जिंदा सरपंच प्रत्याशी को विपक्षियों ने मृत घोषित किया

दूसरे की पत्नी को लड़ा रहे चुनाव: शिवपुरी जिले के खनियाधाना तहसील के ग्राम पिपरोदा उबारी में अनुसूचित जनजाति सरपंच सीट आरक्षित है, जिस पर उत्तम आदिवासी की पत्नी दाखा आदिवासी ने नामांकन दाखिल किया है. लेकिन दाखा आदिवासी की प्रतिद्वंदी कपूरी आदिवासी ने दावा किया है कि दाखा की मृत्यु 10 साल पहले ही हो चुकी है और इसकी एक शिकायत शपथ पत्र के जरिए संपत पत्नी पूरम आदिवासी के द्वारा रिटर्निंग अधिकारी से की है. रिटर्निंग अधिकारी से की गई शिकायत में दाखा को ग्राम पिपरोदा उबारी की निवासी बताते हुएकहा गया कि चुनाव लड़ रही दाखा खनियाधाना के मसूरी गांव की रहने वाली है, साथ ही वह राकेश आदिवासी की पत्नी है.

मृत किया घोषित लेकिन जरूर लडूंगी चुनाव: दाखा आदिवासी जब इस बात की सूचना लगी कि उसे 10 वर्ष पहले ही मृत बताए जाने की साजिश रची जा रही है तो दाखा खनियाधाना में पहुंचकर रिटर्निंग अधिकारी के सामने पेश हुईं. दाखा ने अपने जीवित होने के दस्तावेजों को रिटर्निंग ऑफिसर को दिखाते हुए कहा कि, मैं जिंदा हूं, और सामने वाले ने मुझे 10 साल पहले मरा घोषित कर दिया है. लेकिन फिर भी मैं इस बार अपने गांव से सरपंची का चुनाव जरूर लडूंगी."

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दूसरी शादी हुई, लेकिन नहीं बदले दस्तावेज: दाखा आदिवासी ने बताया कि उसके पति उत्तम की मृत्यु 8 वर्ष पहले हो चुकी है, जिसके बाद उसने खनियाधाना के ग्राम मसूरी के रहने वाले राकेश आदिवासी से दूसरी शादी कर ली थी. जिसके बाद दोनों पति-पत्नी कुछ दिन मसूरी रहते थे तो कुछ दिन अपने गांव पिपरोदा उबारी में, लेकिन उसके सभी दस्तावेज पिपलोदा उबारी गांव के नाम से ही बने हुए हैं. फिलहाल वह इसी गांव की मूल निवासी है. दाखा ने बताया कि उसने दूसरे पति के गांव मसूरी में अपना नाम ना ही राशन कार्ड में जुड़वाया है और ना ही वोटर लिस्ट में, इसके बावजूद उसकी प्रतिद्वंदी कपूरी ने उसके झूठे दस्तावेज बनाकर उसकी शिकायत की है, जिससे वह चुनाव ना लड़ सके.

प्रस्तावक पर प्रतिद्वंदियों किया हमला: दाखा आदिवासी ने बताया कि उसके प्रस्तावक बने अरुण प्रताप सिंह (22 साल) निवासी पिपरोदा उबारी पर भी प्रतिद्वंदियों ने फरसे से वार कर उसे घायल कर दिया है, जिसके बाद उसके प्रस्ताव को शिवपुरी के जिला अस्पताल में भर्ती है. जिसकी भी शिकायत मायापुर थाने में दर्ज कराई गई है, मायापुर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

शिवपुरी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की विशादें बिछने लगी है प्रत्याशी चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिए साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन चुनावी रण में अपने प्रतिद्वंदी को मरा घोषित करने की एक शिकायत रिटर्निंग ऑफिसर के पास दर्ज कराई गई है.(MP Panchayat Election) शिकायतकर्ता का कहना है कि उसकी प्रतिद्वंदी सरपंची का चुनाव लड़ रही महिला की मौत तो 10 वर्ष पहले ही हो चुकी है, इसके बाद जो महिला प्रत्याशी के तौर पर सामने आई है वह महिला दूसरी है. वहीं मृत घोषित बताई जाने वाली महिला प्रत्याशी ने रिटर्निंग अधिकारी के पास पहुंच कर अपने जिंदा होने की सबूत पेश किए हैं.

जिंदा सरपंच प्रत्याशी को विपक्षियों ने मृत घोषित किया

दूसरे की पत्नी को लड़ा रहे चुनाव: शिवपुरी जिले के खनियाधाना तहसील के ग्राम पिपरोदा उबारी में अनुसूचित जनजाति सरपंच सीट आरक्षित है, जिस पर उत्तम आदिवासी की पत्नी दाखा आदिवासी ने नामांकन दाखिल किया है. लेकिन दाखा आदिवासी की प्रतिद्वंदी कपूरी आदिवासी ने दावा किया है कि दाखा की मृत्यु 10 साल पहले ही हो चुकी है और इसकी एक शिकायत शपथ पत्र के जरिए संपत पत्नी पूरम आदिवासी के द्वारा रिटर्निंग अधिकारी से की है. रिटर्निंग अधिकारी से की गई शिकायत में दाखा को ग्राम पिपरोदा उबारी की निवासी बताते हुएकहा गया कि चुनाव लड़ रही दाखा खनियाधाना के मसूरी गांव की रहने वाली है, साथ ही वह राकेश आदिवासी की पत्नी है.

मृत किया घोषित लेकिन जरूर लडूंगी चुनाव: दाखा आदिवासी जब इस बात की सूचना लगी कि उसे 10 वर्ष पहले ही मृत बताए जाने की साजिश रची जा रही है तो दाखा खनियाधाना में पहुंचकर रिटर्निंग अधिकारी के सामने पेश हुईं. दाखा ने अपने जीवित होने के दस्तावेजों को रिटर्निंग ऑफिसर को दिखाते हुए कहा कि, मैं जिंदा हूं, और सामने वाले ने मुझे 10 साल पहले मरा घोषित कर दिया है. लेकिन फिर भी मैं इस बार अपने गांव से सरपंची का चुनाव जरूर लडूंगी."

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दूसरी शादी हुई, लेकिन नहीं बदले दस्तावेज: दाखा आदिवासी ने बताया कि उसके पति उत्तम की मृत्यु 8 वर्ष पहले हो चुकी है, जिसके बाद उसने खनियाधाना के ग्राम मसूरी के रहने वाले राकेश आदिवासी से दूसरी शादी कर ली थी. जिसके बाद दोनों पति-पत्नी कुछ दिन मसूरी रहते थे तो कुछ दिन अपने गांव पिपरोदा उबारी में, लेकिन उसके सभी दस्तावेज पिपलोदा उबारी गांव के नाम से ही बने हुए हैं. फिलहाल वह इसी गांव की मूल निवासी है. दाखा ने बताया कि उसने दूसरे पति के गांव मसूरी में अपना नाम ना ही राशन कार्ड में जुड़वाया है और ना ही वोटर लिस्ट में, इसके बावजूद उसकी प्रतिद्वंदी कपूरी ने उसके झूठे दस्तावेज बनाकर उसकी शिकायत की है, जिससे वह चुनाव ना लड़ सके.

प्रस्तावक पर प्रतिद्वंदियों किया हमला: दाखा आदिवासी ने बताया कि उसके प्रस्तावक बने अरुण प्रताप सिंह (22 साल) निवासी पिपरोदा उबारी पर भी प्रतिद्वंदियों ने फरसे से वार कर उसे घायल कर दिया है, जिसके बाद उसके प्रस्ताव को शिवपुरी के जिला अस्पताल में भर्ती है. जिसकी भी शिकायत मायापुर थाने में दर्ज कराई गई है, मायापुर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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