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MP Online Fraud: सोशल मीडिया पर हो रही इंडियन बैंक खातों की नीलामी, खरीदार हैं पाकिस्तानी, टेरर फंडिंग की आशंका

सरकार ने आम जनता की सुविधा के लिए जनधन खाते खुलवाए. कायदे में इनका इस्तेमाल तो होना था कि लोग इसमें धन रखे, लेकिन अब इन्हीं खातों की सोशल मीडिया पर नीलामी हो रही है. इसके लिए साइबर ठग स्टूडेंटस और बेरोजगारों को निशाना बना रहे हैं. गंभीर बात यह है कि इन खातों का इस्तेमाल पाकिस्तानी कर रहे हैं और इंडियन काे ठग रहे हैं.

MP Online Fraud
इंडियन बैंक खातों की नीलामी
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Published : Jul 26, 2023, 10:57 PM IST

भोपाल। एमपी में जिन खातों का उपयोग पाकिस्तानी साइबर ठगी के लिए कर रहे हैं, उनका इस्तेमाल लंबे समय से नहीं हुआ है. साइबर पुलिस के अनुसार साइबर ठगी में इस्तेमाल किए गए. सभी खाते मजदूरों के नाम से खुलवाए गए थे. यह खुलासा अप्रैल में पकड़े गए गैंग से पूछताछ में हुआ. इस गैंग का सरगना आलोक कुमार यादव है. उसने अपने बयान में इस बात को स्वीकार किया और उसके द्वारा की गई व्हाटसएप चैटिंग से भी इसकी पुष्टि हो गई है.

आलोक ने 200 से ज्यादा सिमकार्ड का किया इस्तेमाल: आलोक इस पूरे काम को अंजाम देने के लिए 200 से अधिक सिमकार्ड का इस्तेमाल करता था. उसने करीब 25 जीमेल अकाउंट बनाए हैं. उसके पास से करीब 120 बैंक खातों की डिटेल पुलिस को मिली है. उसने पुलिस को बताया कि वह इस काम के लिए कॉलेज स्टूडेंटस और बेरोजगारों को निशाना बनाते हैं. इन लोगों को तगड़ी रकम का लालच दिया जाता है. जब स्टूडेंट्स और बेरोजगार युवक इस काम के लिए तैयार हो जाते हैं तो उनके नाम से एक असली खाता खुलावाया जाता है. इसका एक्सेस साइबर ठगों के पास रहता है. वे ठगी के बाद अमाउंट इसी अकाउंट में ट्रांसफर करवाते हैं. इसके बदले में कुछ हिस्सा वे बैंक अकाउंट मालिक को देते हैं, लेकिन इसके पहले नीलामी में ही इन खातों की अच्छी खासी कीमत मिल जाती है.

पाकिस्तान में बैठे ठग करते हैं भुगतान: आलोक के अनुसार पाकिस्तान में बैठे साइबर ठग 50 हजार रुपए तक एक खाते के बदले में भुगतान करते हैं. इस मामले में डीसीपी साइबर क्राइम श्रुतकीर्ति सोमवंशी से बात की तो उन्होंने बताया कि "इन बैंक अकाउंटस में जो राशि आती है, उसे क्रिप्टोकरंसी के जरिए एक्सचेंज करके फॉरेन अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है. सोमवंशी ने इस पूरे रैकेट को टेरर फंडिग से जुड़े होने से इंकार नहीं किया है."

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ऐसे होती है नीलामी: स्टूडेंट के बैंक अकाउंटस की नीलामी सोशल मीडिया पर होती है. इसमें फेसबुक का मैसेंजर, व्हाट्सएप और टेलीग्राम का यूज किया जाता है. पुलिस के अनुसार अब तक 8 हजार लोगों के नेटवर्क का पता चला है और करीब 150 लोगों की डिटेल हाथ लगी है. नीलामी में दो तरह की बातें की जाती है. पहली यह कि एकमुश्त रकम दे दी जाए और दूसरी कि इन खातों को किश्त पर लिया जाता है. हर महीने करीब 4 से 5 हजार रुपए मिलते हैं और बदले में बैंक अकाउंट, पासबुक, एटीएम, पिन नंबर देने होते हैं. कई बार यह लोग बैंक में सिबिल स्कोर अच्छा बनाने के नाम पर भी फंसाते हैं. पुलिस को इस पूरे नेक्सेस के नेटवर्क में एमपी के गोटेगांव, बिहार स्टेट के पटना, यूपी के गोरखपुर में बैंक अकाउंटस की डिटेल मिली है, लेकिन हैरत की बात यह है कि इन्हीं खातों और जीमेल अकाउंट का इस्तेमाल पाकिस्तान के कराची में भी किया जा रहा है. जिस आलोक को पकड़ने के बाद यह खुलासा हुआ, उसके खिलाफ तेलंगाना, पंजाब और यूपी स्टेट में भी साइबर ठगी के कई केस दर्ज हैं.

भोपाल। एमपी में जिन खातों का उपयोग पाकिस्तानी साइबर ठगी के लिए कर रहे हैं, उनका इस्तेमाल लंबे समय से नहीं हुआ है. साइबर पुलिस के अनुसार साइबर ठगी में इस्तेमाल किए गए. सभी खाते मजदूरों के नाम से खुलवाए गए थे. यह खुलासा अप्रैल में पकड़े गए गैंग से पूछताछ में हुआ. इस गैंग का सरगना आलोक कुमार यादव है. उसने अपने बयान में इस बात को स्वीकार किया और उसके द्वारा की गई व्हाटसएप चैटिंग से भी इसकी पुष्टि हो गई है.

आलोक ने 200 से ज्यादा सिमकार्ड का किया इस्तेमाल: आलोक इस पूरे काम को अंजाम देने के लिए 200 से अधिक सिमकार्ड का इस्तेमाल करता था. उसने करीब 25 जीमेल अकाउंट बनाए हैं. उसके पास से करीब 120 बैंक खातों की डिटेल पुलिस को मिली है. उसने पुलिस को बताया कि वह इस काम के लिए कॉलेज स्टूडेंटस और बेरोजगारों को निशाना बनाते हैं. इन लोगों को तगड़ी रकम का लालच दिया जाता है. जब स्टूडेंट्स और बेरोजगार युवक इस काम के लिए तैयार हो जाते हैं तो उनके नाम से एक असली खाता खुलावाया जाता है. इसका एक्सेस साइबर ठगों के पास रहता है. वे ठगी के बाद अमाउंट इसी अकाउंट में ट्रांसफर करवाते हैं. इसके बदले में कुछ हिस्सा वे बैंक अकाउंट मालिक को देते हैं, लेकिन इसके पहले नीलामी में ही इन खातों की अच्छी खासी कीमत मिल जाती है.

पाकिस्तान में बैठे ठग करते हैं भुगतान: आलोक के अनुसार पाकिस्तान में बैठे साइबर ठग 50 हजार रुपए तक एक खाते के बदले में भुगतान करते हैं. इस मामले में डीसीपी साइबर क्राइम श्रुतकीर्ति सोमवंशी से बात की तो उन्होंने बताया कि "इन बैंक अकाउंटस में जो राशि आती है, उसे क्रिप्टोकरंसी के जरिए एक्सचेंज करके फॉरेन अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है. सोमवंशी ने इस पूरे रैकेट को टेरर फंडिग से जुड़े होने से इंकार नहीं किया है."

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ऐसे होती है नीलामी: स्टूडेंट के बैंक अकाउंटस की नीलामी सोशल मीडिया पर होती है. इसमें फेसबुक का मैसेंजर, व्हाट्सएप और टेलीग्राम का यूज किया जाता है. पुलिस के अनुसार अब तक 8 हजार लोगों के नेटवर्क का पता चला है और करीब 150 लोगों की डिटेल हाथ लगी है. नीलामी में दो तरह की बातें की जाती है. पहली यह कि एकमुश्त रकम दे दी जाए और दूसरी कि इन खातों को किश्त पर लिया जाता है. हर महीने करीब 4 से 5 हजार रुपए मिलते हैं और बदले में बैंक अकाउंट, पासबुक, एटीएम, पिन नंबर देने होते हैं. कई बार यह लोग बैंक में सिबिल स्कोर अच्छा बनाने के नाम पर भी फंसाते हैं. पुलिस को इस पूरे नेक्सेस के नेटवर्क में एमपी के गोटेगांव, बिहार स्टेट के पटना, यूपी के गोरखपुर में बैंक अकाउंटस की डिटेल मिली है, लेकिन हैरत की बात यह है कि इन्हीं खातों और जीमेल अकाउंट का इस्तेमाल पाकिस्तान के कराची में भी किया जा रहा है. जिस आलोक को पकड़ने के बाद यह खुलासा हुआ, उसके खिलाफ तेलंगाना, पंजाब और यूपी स्टेट में भी साइबर ठगी के कई केस दर्ज हैं.

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