ग्वालियर। मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद पार्टी में लगातार मंथन जारी है. ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी को हारने के बाद अब सबसे ज्यादा टेंशन प्रशासनिक अधिकारियों को हो रही है, क्योंकि लगातार सरकार के द्वारा निकाय चुनाव हारने का ठीकरा प्रशासन, अधिकारियों और पर फोड़ा जा रहा है. यही कारण है कि अब बीजेपी के कई बड़े नेता, अधिकारियों को हारने का दोषी ठहरा रहे हैं. ऐसे में अब प्रशासन अधिकारियों को डर सताने लगा है कि, वह कभी भी ट्रांसफर का शिकार हो सकते हैं. इसके साथ ही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि, सरकार जल्द ही ग्वालियर चंबल अंचल में बैठे बड़े अधिकारियों का ट्रांसफर करने की लिस्ट तैयार कर रही है.
ग्वालियर चंबल अंचल में प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी: गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी के गढ़ ग्वालियर और मुरैना को बीजेपी बुरी तरह हारी है. इतिहास में पहली बार देखने को मिला है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर का यह गढ़ कांग्रेस ने पूरी तरह ढहा दिया है. ऐसे में कई बड़े नेता हार का दोषी प्रशासन को ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि चुनाव में वोटिंग परसेंट कम होने के कारण उन्हें हार मिली है और इसकी वजह प्रशासन की अनदेखी है. इसलिए अब लगातार सोशल मीडिया पर खबर चल रही है कि, जल्द ही ग्वालियर और मुरैना में बड़े अधिकारियों की सर्जरी होने वाली है.
बीजेपी मान रही प्रशासन को हार का जिम्मेदार: ग्वालियर और मुरैना सीट हारने के बाद शिवराज सरकार अधिकारियों से नाराज हैं, ऐसा माना जा रहा है. क्योंकि ग्वालियर और मुरैना दोनों ही सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती हैं, लेकिन इस बार निकाय चुनाव में भारी अंतर से बीजेपी को करारी हार मिली है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि, 'निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली है. मतदान के दौरान मत पत्रों की पर्चियों में भारी गड़बड़ियां देखने को मिली. इसलिए वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की मांग है कि, ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए'. इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता आर पी सिंह का कहना है कि, 'ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी के बीच गुटबाजी हावी है और दोनों ही बीजेपी के दिग्गज नेता कहे जाने वाली तोमर और सिंधिया के बीच आपसी लड़ाई बीजेपी की हार का नतीजा है. ऐसे में प्रशासन को जिम्मेदार ठहराना गलत है'.