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Amarkantak Rang Mahala temple 40 साल बाद फिर शुरू होगी पूजा, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मांगी थी अनुमति, कोर्ट ने दिया आदेश

बीते 40 साल से पूजा से वंचित हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र अमरकंटक स्थित प्राचीन रंग महला मंदिर में कोर्ट के आदेश के बाद अब होगी विधिविधान से पूजा होगी. नर्मदा मंदिर के सामने स्थित प्राचीन विष्णु, शिव और सत्यनारायण भगवान का मंदिर पूजा-अर्चना से वंचित है. ये मामला कोर्ट में चल रहा था. सात साल बाद इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है. इस मामले को लेकर शंकराचार्य द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर स्वर्गीय स्वामी स्वरूपानंद जी ने याचिका दर्ज करवाई थी. Amarkantak Rang Mahala temple, Court Order worship start, Worship start after 40 years

Amarkantak Rang Mahala temple
रंग महला मंदिर में शुरू होगी पूजा
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Published : Sep 19, 2022, 5:05 PM IST

अनूपपुर। जिले की पवित्र नगरी अमरकंटक में मां नर्मदा मंदिर के सामने प्राचीन कलचुरी कालीन रंग महला मंदिर की भव्यता व सुंदरता देखने ही बनती है. ये कल्चुरीकालीन सैकड़ों साल प्राचीन मंदिर है. यहां विष्णु, पातालेश्वर शिव, सतनारायण भगवान विराजे हैं. इन मंदिरों में पूजा-पाठ लगभग 40 सालों से बंद थी. मंदिर परिसर को पुरातत्व विभाग ने अधिग्रहण कर लिया था और पूजा पाठ पर प्रतिबंध लगा दिया था. शंकराचार्य द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वर्गीय स्वामी स्वरूपानंद जी ने भारत सरकार पुरातत्व विभाग स्टेट गवर्नमेंट के खिलाफ पूजा- पाठ की अनुमति की मांग को लेकर 7 साल पहले 2015 में अपर सत्र न्यायालय राजेंद्रग्राम में याचिका दर्ज करवाई थी.

रंग महला मंदिर में शुरू होगी पूजा

कोर्ट ने सुनाया फैसला : इस मामले की जिरह शंकराचार्य जी के वकील मुरली धर शर्मा व श्रीधर शर्मा ने की थी. मंदिर परिसर क्षेत्र और मंदिरों की संपूर्ण देखरेख और पूजा- पाठ का उत्तरादायित्व द्वारिका शारदा पीठ का है. इस वाद को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने द्वारिका शारदा पीठ के पक्ष में फैसला देते हुए मंदिरों पर पीठ द्वारा देखरेख व पूजा पाठ करने की अनुमति प्रदान की. इसके साथ ही राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग व जिला कलेक्टर को आदेश की प्रतिलिपि भेजी गई. हिंदू आस्था के अनुसार और अमरकंटक पुजारियों के बताए अनुसार किंवंदती है कि रंग महला मंदिर के अंदर विराजे पातालेश्वर मंदिर में श्रवण मास में खुद गंगा मां मंदिर में आती हैं और शिव का अभिषेक करती हैं.

क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर : आस्था के इस बड़े केंद्र मंदिर को पूजा- पाठ से वंचित कर कहीं न कही क्षेत्रवासियो के अंदर रोष था. आदेश के आने के बाद क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. प्राचीन मंदिर जहां पहले से लोग जाते थे, वहां पूजा करते थे. आराधना करते थे. अमरकंटक वासियों का आस्था का केंद्र ये मंदिर बिना पूजा- पाठ के जर्जर स्थिति में था. सिविल कोर्ट पुष्पराजगढ़ के आदेश के बाद अब वहां पूजा पाठ होगी. सभी मंदिरों में पुजारी भी नियुक्त किए जाएंगे. शंकराचार्य द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद ने पूजा- पाठ को लेकर भारत सरकार के आदेश के विरुद्ध पूजा रोकने के खिलाफ केस दर्ज करवाया था.

भगवान ने जीता हाईकोर्ट में केस, प्राचीन माता बसैया मंदिर की चल अचल संपत्ति देवता के हवाले

सात साल बाद आया फैसला : सात साल बाद इस मामले में फैसला आया है. कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसके उपरांत सम्मानित कोर्ट ने मामले को रजिस्टर्ड कर आदेश जारी किया एवं पुरातत्व विभाग स्टेट गवर्नमेंट जिला कलेक्टर को इसकी प्रतिलिपि भेजी है कि प्राचीन रंग महला मंदिर का पूर्ण अधिकार द्वारका शारदा पीठ को है और पूर्णरूपेण पूजा का अधिकार प्राप्त है. विदित हो कि 7 दिन पहले ही द्वारिका शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरवस्ती जी का दुखद निधन हो गया, जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज द्वारिकाशारदा पीठ के शंकराचार्य बनाए गए और उन्होंने इसे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वर्गीय स्वरूपानंद सरस्वती जी की जीत बताई और खुशी व्यक्त की है.

अनूपपुर। जिले की पवित्र नगरी अमरकंटक में मां नर्मदा मंदिर के सामने प्राचीन कलचुरी कालीन रंग महला मंदिर की भव्यता व सुंदरता देखने ही बनती है. ये कल्चुरीकालीन सैकड़ों साल प्राचीन मंदिर है. यहां विष्णु, पातालेश्वर शिव, सतनारायण भगवान विराजे हैं. इन मंदिरों में पूजा-पाठ लगभग 40 सालों से बंद थी. मंदिर परिसर को पुरातत्व विभाग ने अधिग्रहण कर लिया था और पूजा पाठ पर प्रतिबंध लगा दिया था. शंकराचार्य द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वर्गीय स्वामी स्वरूपानंद जी ने भारत सरकार पुरातत्व विभाग स्टेट गवर्नमेंट के खिलाफ पूजा- पाठ की अनुमति की मांग को लेकर 7 साल पहले 2015 में अपर सत्र न्यायालय राजेंद्रग्राम में याचिका दर्ज करवाई थी.

रंग महला मंदिर में शुरू होगी पूजा

कोर्ट ने सुनाया फैसला : इस मामले की जिरह शंकराचार्य जी के वकील मुरली धर शर्मा व श्रीधर शर्मा ने की थी. मंदिर परिसर क्षेत्र और मंदिरों की संपूर्ण देखरेख और पूजा- पाठ का उत्तरादायित्व द्वारिका शारदा पीठ का है. इस वाद को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने द्वारिका शारदा पीठ के पक्ष में फैसला देते हुए मंदिरों पर पीठ द्वारा देखरेख व पूजा पाठ करने की अनुमति प्रदान की. इसके साथ ही राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग व जिला कलेक्टर को आदेश की प्रतिलिपि भेजी गई. हिंदू आस्था के अनुसार और अमरकंटक पुजारियों के बताए अनुसार किंवंदती है कि रंग महला मंदिर के अंदर विराजे पातालेश्वर मंदिर में श्रवण मास में खुद गंगा मां मंदिर में आती हैं और शिव का अभिषेक करती हैं.

क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर : आस्था के इस बड़े केंद्र मंदिर को पूजा- पाठ से वंचित कर कहीं न कही क्षेत्रवासियो के अंदर रोष था. आदेश के आने के बाद क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. प्राचीन मंदिर जहां पहले से लोग जाते थे, वहां पूजा करते थे. आराधना करते थे. अमरकंटक वासियों का आस्था का केंद्र ये मंदिर बिना पूजा- पाठ के जर्जर स्थिति में था. सिविल कोर्ट पुष्पराजगढ़ के आदेश के बाद अब वहां पूजा पाठ होगी. सभी मंदिरों में पुजारी भी नियुक्त किए जाएंगे. शंकराचार्य द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद ने पूजा- पाठ को लेकर भारत सरकार के आदेश के विरुद्ध पूजा रोकने के खिलाफ केस दर्ज करवाया था.

भगवान ने जीता हाईकोर्ट में केस, प्राचीन माता बसैया मंदिर की चल अचल संपत्ति देवता के हवाले

सात साल बाद आया फैसला : सात साल बाद इस मामले में फैसला आया है. कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसके उपरांत सम्मानित कोर्ट ने मामले को रजिस्टर्ड कर आदेश जारी किया एवं पुरातत्व विभाग स्टेट गवर्नमेंट जिला कलेक्टर को इसकी प्रतिलिपि भेजी है कि प्राचीन रंग महला मंदिर का पूर्ण अधिकार द्वारका शारदा पीठ को है और पूर्णरूपेण पूजा का अधिकार प्राप्त है. विदित हो कि 7 दिन पहले ही द्वारिका शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरवस्ती जी का दुखद निधन हो गया, जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज द्वारिकाशारदा पीठ के शंकराचार्य बनाए गए और उन्होंने इसे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वर्गीय स्वरूपानंद सरस्वती जी की जीत बताई और खुशी व्यक्त की है.

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