छिंदवाड़ा। क्रिएटिविटी ऐसी जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाएगा. देखने में हुबहू युद्ध का टैंक लगने वाला ये मॉडल कबाड़ के जुगाड़ से तैयार किया गया है. कबाड़ से क्रिएशन की अपनी तरह की मिसाल होगी. इसमें फैब्रिकेटर ने छतों की पुरानी टीन लोहे की शटर कार के पुराने हिस्सों को जोड़कर हुबहू युद्ध टैंक बना डाला है. यह कारनाम करने वाला शख्स कोई इंजीनियर और बहुत पढ़ा-लिखा नहीं है, बल्कि कारीगर रोहित वर्मा है, जो महज आठवीं क्लास तक पढ़े हैं.
आठवीं तक पढ़े कारीगर ने यूट्यूब देखकर बनाया: युद्ध टैंक को हूबहू आकार देने वाले कारीगर रोहित वर्मा ने बताया कि वह आठवीं क्लास तक पढ़े हैं. उन्हें जैसे ही उनके दुकान मालिक ने युद्ध टैंक बनाने के लिए कहा कारीगर ने सबसे पहले यूट्यूब का सहारा लेते हुए युद्ध टैंक बनाने की तकनीक सीखी और फिर युद्ध टैंक तैयार कर दिया. इस युद्ध टैंक को बनाने में 1 महीने का समय लगा है.
कबाड़ को इकट्ठा कर बनाया युद्ध टैंक मॉडल: फैब्रिकेटर की दुकान चलाने वाले राजेश दुफारे बताते हैं कि वे एक बार राजस्थान घूमने गए थे. वहां पर उन्होंने ऐसा ही एक टैंक शो पीस में रखा देखा. तभी उनके मन में विचार आया था कि वे भी अपनी दुकान से ऐसा टैंक तैयार करेंगे और फिर उन्होंने सबसे पहले कबाड़ जुगाड़ना शुरू किया. इसको बनाने के लिए कार के पहियों के डिस्क पुराने लोहे की चादर, दुकानों में लगने वाला पुराना सटर तेल के डिब्बे, कबाड़ में पड़ा टेलीफोन, पुराने सीसीटीवी कैमरे, कंप्यूटर का पुराना मॉनिटर और कई सारा ई वेस्ट मटेरियल उपयोग किया गया है.
स्वच्छता के लिए जागरूक करने चौराहे पर रखा जाएगा टैंक: कबाड़ की मदद से बनाए गए इस टैंक को अब नगर निगम छिंदवाड़ा एक चौराहे पर रखकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संदेश देगा. इसके माध्यम से बताया जाएगा कि घर से निकलने वाला कबाड़ भी अच्छे तरीके से उपयोग किया जा सकता है. इस मॉडल को चौराहे पर रखने का एक मकसद यह भी है कि लोगों को देशभक्ति की भावनाओं से जोड़ सकें.
1 महीने की मेहनत और करीब ढाई लाख रुपए की लागत: युद्ध टैंक के मॉडल को तैयार करने में करीब 1 महीने का समय लगा है. फैब्रिकेटर ने बताया कि कबाड़ का जुगाड़ करने के बाद लगातार एक महीने तक इसमें मेहनत की गई और फिर हूबहू शक्ल देने का प्रयास किया गया है. इसमें करीब ढाई लाख रुपए का खर्च आया है. अगर यही सारा सामान नया खरीदा जाता तो 10 से 15 लाख रुपए का खर्च टैंक को बनाने में आ सकता था.
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क्या होता है युद्ध टैंक: युद्ध टैंक एक प्रकार का सेना का स्वचालित कवच होता है, जो अपना रास्ता बनाने में व युद्ध काम आता है. जिससे गोलीबारी भी की जा सकती है. युद्ध क्षेत्र में शत्रु की गोलीबारी के बीच यह बिना रुकावट आगे बढ़ता हुआ, किसी भी समय व स्थान पर शत्रु पर गोलीबारी कर सकता है. कवच रहित होने के कारण यह स्वयं सुरक्षित होता है, क्योंकि विशेष तौर से युद्ध में सेना के द्वारा गोले दागने के काम में लिया जाता है. टैंक विशेष तौर से अपनी एक ट्रैक पर चलता है. वह कभी भी जमीन से सीधे संपर्क में नहीं आते. जिससे हमेशा अपने ट्रकों पर ही चलते हैं. इस खास वजह से किसी भी प्रकार की बेहद दुर्गम जगह पर भी आसानी से चल सकता है. और अपनी जगह खड़े खड़े एक से दूसरी ओर मुड़ भी सकता है इसका खास एवं बेहद मजबूत बख्तर दुश्मन सेना की ओर से दागे गोले बारूद को सहन करने में सक्षम होता है. टैंक का प्रमुख काम गोले दागना होता है. इसे सेनाओं द्वारा युद्ध में दुश्मन पर विशेष तौर से बने कई प्रकार के गोले दागने इस पर लगी मशीन गन से गोली मारने व पैदल सेना को सहायता उपलब्ध कराने के लिए भेजा जाता है. टैंक का उपयोग प्रथम विश्व युद्ध में सबसे पहले ब्रिटिश सेना द्वारा किया गया था. तब से ही इसकी उपयोगिता की वजह से इस में लगातार बदलाव कर एक के बाद एक उन्नत प्रकार की विश्व की सेनाओं द्वारा काम में लाया जा रहा है.