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MP का एक गांव हुआ चोरी! ग्रामीणों का आरोप- तलाशने पर भी नहीं मिला, जानिए पूरा मामला...

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Published : Dec 23, 2022, 1:02 PM IST

Updated : Dec 23, 2022, 7:04 PM IST

गुना जिले का एक गांव चोरी हो गया है. ग्रामीण अपने गांव को इधर-उधर खोज रहे हैं लेकिन नहीं मिल रहा. हम बात कर रहे हैं गुना जिले के उदयपुरा गांव (MP Guna of Udaipura village) की. इसकी कहानी कुछ अलग है. लगभग 300 की आबादी वाला उदयपुरा गांव न किसी पंचायत में दर्ज है और न ही नगरीय क्षेत्र में. गांव का नाम कहीं भी दर्ज न होने से किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. स्कूली बच्चों का भविष्य भी अंधकार में है.

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मध्य प्रदेश में गांव हुआ चोरी

गुना। उदयपुरा गांव के लोगों का कहना है कि हमारा गांव चोरी हो गया है. हमारा गांव शासन के लेखा-जोखा में नहीं है. उदयपुरा गांव पहले तोरई ग्राम पंचायत में था. जैसे ही मधुसूदनगढ़ नगर परिषद का गठन हुआ तो तोरई ग्राम पंचायत मधुसूदनगढ़ नगर परिषद में जुड़ गई. पर उदयपुरा गांव को मधुसूदनगढ़ नगर परिषद से नहीं जोड़ा गया. यही कारण है कि उदयपुरा गांव में रहने वाले लोगों का ना तो कोई सरकारी काम हो पा रहा है और ना ही शासन से मिलने वाली योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है.

एक साल से परेशान हैं ग्रामीण : गांव के छोटे-छोटे बच्चों के स्कूल में एडमिशन तक नहीं हो पा रहे हैं. गांव के लोग पिछले 1 साल से परेशान हैं. उदयपुर गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि हमारा गांव चोरी हो गया है. ग्रामीण बताते हैं कि उदयपुरा गांव सरकारी रिकॉर्ड में नहीं बचा है. गांव में रहने वाले लोगों का दर्द लालफीताशाही में दब कर रह गया है. उदयपुरा गांव के एक शिक्षक ने बताया कि गांव के बच्चों का शिक्षा पोर्टल पर नाम भी दर्ज नहीं हो पा रहा है, क्योंकि बच्चों का नाम समग्र आईडी में नहीं जुड़ पा रहा है.

MP अजब है: सीधी में चोरी हो गई 1 किलोमीटर की सड़क, गांव वालों ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत

अधिसूचना जारी, इंतजार अब तक : इस गांव का नाम दूसरी पंचायत में जोड़ने के लिए अधिसूचना 8 महीने पहले जारी की गई थी. लेकिन लालफीताशाही के चलते गांव का नाम दर्ज करने की प्रक्रिया 8 माह से फाइलों में दबी हुई है. मधुसूदनगढ़ नगर परिषद के गठन में तोरई पंचायत को शामिल किया लेकिन उदयपुर को छोड़ दिया गया. ग्रामीण सौदान गुर्जर, पुरुषोत्तम का कहना है कि इस गांव का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.

गांव को लेकर हुई गड़बड़ी का होगा सुधार: गांव को लेकर जब जिला कलेक्टर फ्रेंक नोबल से बातचीत की गई. कलेक्टर का कहना है कि, 'इस गांव की मैपिंग करते समय तकनीकी त्रुटि के चलते गड़बड़ी हुई है. हालांकि इस गांव को सिस्टम से जल्द से जल्द कनेक्ट कर लिया जाएगा. प्रशासन की कोशिश है कि गांव किसी भी सूरत में विकास में पिछड़ ना जाए. जहां तक समग्र ID का सवाल है वो भी बच्चों को जल्द जारी किया जाएगा. इसके साथ ही मैपिंग समेत सभी प्रशासनिक खामियों को 20 से 25 दिन में दूर कर लिया जाएगा.'

इस मामले में गुना जिले के CEO प्रथम कौशिक का कहना है कि, 'गांव की मैनुअल तरीके से मनरेगा और समग्र से जुड़े डेटा को एकत्र कर दुरस्त कर लिया गया है. नए साल की शुरुआत से सामान्य गांव की तरह यह भी मुख्यधारा से जुड़ जाएगा. सा ही कहां गड़बड़ी हुई है उसकी भी जांच कराई जा रही है.' प्रशासन ने बताया कि उदयपुर गांव का नाम किसी पंचायत में शामिल नहीं किया गया था. सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं. मनरेगा, पंचायत दर्पण, और समग्र पोर्टल पर गांव का नाम दर्ज करवा दिया गया है. जल्द ही शिक्षा पोर्टल पर भी गांव को दर्ज कराया जाएगा. गलती को सुधारा जाएगा जिससे ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके.

मध्य प्रदेश में गांव हुआ चोरी

गुना। उदयपुरा गांव के लोगों का कहना है कि हमारा गांव चोरी हो गया है. हमारा गांव शासन के लेखा-जोखा में नहीं है. उदयपुरा गांव पहले तोरई ग्राम पंचायत में था. जैसे ही मधुसूदनगढ़ नगर परिषद का गठन हुआ तो तोरई ग्राम पंचायत मधुसूदनगढ़ नगर परिषद में जुड़ गई. पर उदयपुरा गांव को मधुसूदनगढ़ नगर परिषद से नहीं जोड़ा गया. यही कारण है कि उदयपुरा गांव में रहने वाले लोगों का ना तो कोई सरकारी काम हो पा रहा है और ना ही शासन से मिलने वाली योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है.

एक साल से परेशान हैं ग्रामीण : गांव के छोटे-छोटे बच्चों के स्कूल में एडमिशन तक नहीं हो पा रहे हैं. गांव के लोग पिछले 1 साल से परेशान हैं. उदयपुर गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि हमारा गांव चोरी हो गया है. ग्रामीण बताते हैं कि उदयपुरा गांव सरकारी रिकॉर्ड में नहीं बचा है. गांव में रहने वाले लोगों का दर्द लालफीताशाही में दब कर रह गया है. उदयपुरा गांव के एक शिक्षक ने बताया कि गांव के बच्चों का शिक्षा पोर्टल पर नाम भी दर्ज नहीं हो पा रहा है, क्योंकि बच्चों का नाम समग्र आईडी में नहीं जुड़ पा रहा है.

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अधिसूचना जारी, इंतजार अब तक : इस गांव का नाम दूसरी पंचायत में जोड़ने के लिए अधिसूचना 8 महीने पहले जारी की गई थी. लेकिन लालफीताशाही के चलते गांव का नाम दर्ज करने की प्रक्रिया 8 माह से फाइलों में दबी हुई है. मधुसूदनगढ़ नगर परिषद के गठन में तोरई पंचायत को शामिल किया लेकिन उदयपुर को छोड़ दिया गया. ग्रामीण सौदान गुर्जर, पुरुषोत्तम का कहना है कि इस गांव का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है.

गांव को लेकर हुई गड़बड़ी का होगा सुधार: गांव को लेकर जब जिला कलेक्टर फ्रेंक नोबल से बातचीत की गई. कलेक्टर का कहना है कि, 'इस गांव की मैपिंग करते समय तकनीकी त्रुटि के चलते गड़बड़ी हुई है. हालांकि इस गांव को सिस्टम से जल्द से जल्द कनेक्ट कर लिया जाएगा. प्रशासन की कोशिश है कि गांव किसी भी सूरत में विकास में पिछड़ ना जाए. जहां तक समग्र ID का सवाल है वो भी बच्चों को जल्द जारी किया जाएगा. इसके साथ ही मैपिंग समेत सभी प्रशासनिक खामियों को 20 से 25 दिन में दूर कर लिया जाएगा.'

इस मामले में गुना जिले के CEO प्रथम कौशिक का कहना है कि, 'गांव की मैनुअल तरीके से मनरेगा और समग्र से जुड़े डेटा को एकत्र कर दुरस्त कर लिया गया है. नए साल की शुरुआत से सामान्य गांव की तरह यह भी मुख्यधारा से जुड़ जाएगा. सा ही कहां गड़बड़ी हुई है उसकी भी जांच कराई जा रही है.' प्रशासन ने बताया कि उदयपुर गांव का नाम किसी पंचायत में शामिल नहीं किया गया था. सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं. मनरेगा, पंचायत दर्पण, और समग्र पोर्टल पर गांव का नाम दर्ज करवा दिया गया है. जल्द ही शिक्षा पोर्टल पर भी गांव को दर्ज कराया जाएगा. गलती को सुधारा जाएगा जिससे ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके.

Last Updated : Dec 23, 2022, 7:04 PM IST
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