भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक आयोजित की गई. बैठक में कैबिनेट ने धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 पास किया. विधेयक को संशोधित बिंदुओं के साथ मंजूरी मिल गई है. इसके बाद विधेयक को विधानसभा में पेश किया जाएगा. इसमें अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना लगेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित कैबिनेट के प्रमुख सदस्य इस बैठक में वर्चुअली शामिल हुए.
धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक
धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक को कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है,अब यह विधेयक विधानसभा में पेश किया जाएगा. विधेयक को संशोधित बिंदुओ के साथ मंजूरी मिली है. प्रस्ताव के मुताबिक गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा और कम से कम 10 साल तक की सजा का प्रावधान रहेगा. वहीं एक लाख रुपए का जुर्माना भी होगा. लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा. उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी. वहीं शादी के लिए धर्मांतरण कराने वालों को भी सजा देने का प्रावधान इस कानून में रहेगा.
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताए विधेयक के प्रावधान
- बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा.
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्रवाई की जाएगी.
- धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा.
- बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान होगा.
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा.
- धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है.
- जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा.
धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक में क्या
प्रस्तावित 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक' में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानून की तर्ज पर ही सजा का प्रावधान किया गया है. बहला-फुसलाकर या फिर जबरन धर्मांतरण और विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं और उन्हें वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के पंजीयन निरस्त होंगे. विधेयक का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा.
संस्थाओं पर होगी कार्रवाई
बैठक में यह भी तय हुआ था की, ऐसी गतिविधियों को संचालित करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. बगैर आवेदन धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरुओं को भी 5 साल की सजा होगी.
क्या होंगे शादी के नियम
धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह से 2 माह पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा. कलेक्टर दोनों पक्षों और उनके परिजनों को नोटिस देकर तलब करेगा और उनसे लिखित बयान लिए जाएंगे, की विवाह या धर्मांतरण जोर जबरदस्ती से तो नहीं किया जा रहा है. इसके बाद ही कलेक्टर द्वारा अनुमति दी जाएगी. यदि बिना आवेदन प्रस्तुत किए, किसी काजी, मौलवी या पादरी द्वारा धर्म परिवर्तन और विवाह कराया जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
यूपी में भी लाया गया है अध्यादेश
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ बनाए कानून को अध्यादेश के जरिए 24 नवंबर को लागू किया है. इसमें गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज करने और 10 साल की कठोरतम सजा का प्रावधान है.