भोपाल। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जीत से उत्साहित कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार कर ली है. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव अभियान में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका तय की गई है. इसकी शुरूआत 12 जून को जबलपुर से होने जा रही है. जहां प्रियंका गांधी एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगी. इसमें पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस महिलाओं पर होगा. कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में पार्टी की जीत के पीछे प्रियंका गांधी की मेहनत और उनकी लोकप्रियता को अहम वजह माना गया है. लिहाजा अब उन्हें एमपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
कर्नाटक और हिमाचल में चला प्रियंका का जादू: कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में जीत के बाद लंबे समय बाद कांग्रेस के खेमे में खुशी लौटी है. इस खुशी का बड़ा श्रेय पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को दिया जा रहा है. प्रियंका गांधी ने कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में खूब पसीना बहाया है. कांग्रेस नेताओं के मुताबिक प्रियंका गांधी ने कर्नाटक में 36 रैलियां और रोड शो किए और उसका स्ट्राइक रेट 72 फीसदी रहा. प्रियंका की रैली का सबसे ज्यादा असर जनता दल यूनाइटेड के गढ़ में दिखाई दिया.
प्रियंका का अपना अलग चुनावी स्टाइल: कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा कहते हैं कि प्रियंका गांधी के प्रचार अभियान का अपना अलग स्टाइल है. वे जनता से सीधा कनेक्श बनाती हैं और उसमें सफल भी होती हैं. वे जब मध्यप्रदेश के चुनावी मैदान में उतरेंगी तो उनके आक्रमण का जवाब बीजेपी के किसी नेता के पास नहीं होगा. कर्नाटक चुनाव में हम यह देख चुके हैं, जहां प्रधानमंत्री मोदी के आंक्रमण का जवाब सीधे प्रियंका गांधी ने दिया था. कांग्रेस नेताओं के मुताबिक कर्नाटक में बीजेपी ने बजरंग दल के मुद्दे को खूब सियासी मुद्दा बनाकर मतदाताओं का रूख बदलने की कोशिश की, लेकिन यह प्रियंका गांधी का सियासी कौशल था कि उन्होंने इस मुद्दे की पूरी हवा निकाल दी.
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एमपी में महिलाओं पर फोकस: दरअसल बीजेपी विधानसभा चुनाव महिलाओं को फोकस कर लड़ने की रणनीति पर चल रही है. प्रियंका गांधी को चुनाव अभियान की बागडोर सौंपने को बीजेपी की रणनीति की काट माना जा रहा है. मध्यप्रदेश में कुल 5 करोड़ 7 लाख 80 हजार मतदाता हैं, जिसमें से महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 42 लाख है.
पिछले चुनाव में सिंधिया, अब प्रियंका: 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की बागडोर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संभाली थी, जिसके बाद पूरा चुनाव सिंधिया और शिवराज के बीच हो गया था. सिंधिया को लेकर बीजेपी ने कई नारे गढ़े थे, हालांकि बाद में सिंधिया अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में पहुंच गए. इस बार प्रदेश कांग्रेस के सामने चुनाव अभियान की बागडोर संभालने के लिए ऐसा कोई नेता नहीं, जिसकी पूरे प्रदेश में लोकप्रियता और पकड़ हो. इसलिए पार्टी ने अलग-अलग नेताओं की क्षेत्रवार समितियां गठित कर प्रचार की रणनीति बनाई हैं. वहीं चुनाव अभियान की बागडोर प्रियंका गांधी को सौंप दी गई है.