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Millionaire Candidates Of MP: इन्होंने बनाया खेती किसानी को लाभ का धंधा...जानिए कौन हैं करोड़पति किसान प्रत्याशी

Candidate Became Millionaire From Farming: देश में खेती किसानी लाख का धंधा बनता जा रहा है. कृषि को फायदे का धंधा बनाने से ही किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. मध्य प्रदेश में कई नेता ऐसे हैं जिनकी आय का जरिया खेती किसानी ही है. चुनावी मैदान में उतरे कई प्रत्याशियों को खेती किसानी ने करोड़पति बना दिया है. पढ़िए ईटीवी भारत के भोपाल से संवाददाता बृजेंद्र पटेरिया की खास रिपोर्ट...

millionaire candidates in mp election
एमपी में खेती बनी लाभ का धंधा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 28, 2023, 4:39 PM IST

Updated : Oct 28, 2023, 10:52 PM IST

एमपी में खेती बनी लाभ का धंधा

भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों की आय भले ही दोगुनी न हो पाई हो, लेकिन चुनाव मैदान में उतरे कई माननीय खेती की आय से ही करोड़पति हो गए. मध्यप्रदेश में बीजेपी की शिवराज सरकार 2008 से प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती रही है. किसानों की आय भले ही दोगुनी न हुई हो, लेकिन किसानों के मुकाबले नेताओं की आय जरूर खेती से दोगुनी हो गई. विधानसभा चुनाव के लिए दाखिल किए गए नामांकन पत्र के साथ पेश किए गए आय-व्यय के ब्यौरे से पता चलता है कि कई माननियों की खेती से आय हर साल बढ़ती गई. प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल की खेती से आय एक साल में दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई. जबकि केन्द्र सरकार के आंकड़ों को देखें तो प्रदेश का किसान हर माह सिर्फ 8 हजार 339 रुपए ही कमाता है यानी साल में सिर्फ 1 लाख रुपए.

कृषि मंत्री की आय दोगुनी से ज्यादा बढ़ी: मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री को ही लीजिए. उन्होंने अपने शपथ पत्र में अपनी आय का जरिया खेती और किराया बताया है. उनकी खेती से आय हर साल बढ़ती जा रही है. साल 2021-22 में सिर्फ खेती से 10 लाख 57 हजार की आय हुई थी, जबकि 2022-23 में खेती की आय बढ़कर 28 लाख हो गई, यानी दोगुनी से भी ज्यादा. लेकिन उनकी पत्नी की खेती की आय उतनी नहीं बढ़ी. 2021-22 में खेती से आय 11 लाख रुपए थी, जबकि 2022-23 में उन्हें खेती से 16 लाख 87 हजार की आय हुई. कमल पटेल के पास 2.75 करोड़ जबकि पत्नी के नाम 5 करोड़ 69 लाख की भूमि और भवन हैं. कमल पटेल के पास 1.75 करोड़ और पत्नी के पास 3.41 करोड़ की चल संपत्ति है.

  1. बीजेपी के दिग्गज नेता और सरकार में गृहमंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा भी किसान हैं. शपथ पत्र में आय का जरिया कृषि कार्य बताया गया है, पत्नी गृहणी हैं. उनकी साल 2022-23 में 27 लाख 97 हजार की आय दर्शाई गई है, जबकि 2020-21 में यह 8 लाख रुपए थी. पत्नी की आय भी साल 2022-23 में 3 लाख 84 हजार रुपए बताई गई है. नरोत्तम मिश्रा 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे. उनके नाम एक करोड़ से ज्यादा की जमीन है, जबकि पत्नी के नाम 3 करोड़ का आवासीय भवन है.
  2. सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट का आय का जरिया खेती और किराया है. उन्होंने अपने घोषणा पत्र में साल 2023-24 में आय 8 लाख 63 हजार है, जबकि 2021-22 में आय 1 करोड 19 हजार थी. उनकी पत्नी की आय साल 2022-23 में 3 लाख थी, जो इस साल बढ़कर 5 लाख 33 हजार हो गई है. तुलसी सिलावट की चल संपत्ति 1.15 करोड़, जबकि पत्नी की संपत्ति 1.21 करोड़ है. जबकि 7.61 करोड़ की भूमि भवन उनके पास है, जबकि पत्नी के पास 4 करोड़ 48 लाख की अचल संपत्ति है.
  3. सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे प्रभुराम चौधरी की आय का जरिया खेती और पेट्रोल पंप है. हालांकि उनकी आय साल दर साल कम होती गई. 2019-20 में उनकी सालाना आय 8.40 लाख थी, जो साल 2022-23 में 4 लाख हो गई. उनकी चल संपत्ति 4 करोड़, जबकि स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर पत्नी की आय 1 करोड 44 लाख है. प्रभुराम चौधरी की अचल संपत्ति 3.76 करोड़ है.
  4. बीजेपी के सीनियर लीडर और मंत्री रहे गोपाल भार्गव की आय का जरिया खेती है. उनकी साल 2022-23 में आय 22 लाख, जबकि इस साल 25 लाख हुई है. उनकी चल संपत्ति 2.72 करोड़ है, जबकि पत्नी की संपत्ति 28 लाख रुपए है. उनके पास मकान, खेती की भूमि की कीमत 2 करोड़ रुपए है.
  5. अब कांग्रेस की 15 माह की कमलनाथ सरकार में विधि मंत्री रहे पीसी शर्मा को ही लीजिए. उन्होंने अपने शपथ पत्र में बताया है कि उनकी और पत्नी की आय खेती से दो गुनी हो गई है. 2020-21 में पीसी शर्मा को खेती से आय 2 लाख रुपए हुई थी, जबकि उनकी पत्नी विभा शर्मा को डेढ़ लाख हुई थी, जो 2022-23 में बढ़कर 4 लाख रुपए सालाना हो गई है. पीसी शर्मा की कुल संपत्ति 1 करोड़ 82 लाख है, जबकि पत्नी विभा शर्मा की आय 4 करोड़ 7 लाख बताई गई है.
  6. कमलनाथ सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे जीतू पटवारी भी किसान हैं. लेकिन बीजेपी के किसान नेता के मुकाबले उनकी खेती से आय घट गई. 2021-22 उनकी खेती से आय 45 लाख रुपए थी, जबकि 2022-23 में घटकर 19 लाख रुपए हो गई. उनकी पत्नी को भी 2022-23 में खेती से आय 8 लाख 98 हजार रुपए हुई है. हालांकि वे करोडपति किसान है. उनके पास 9.69 करोड़ और पत्नी के पास 8.43 करोड़ की अचल संपत्ति है.

प्रदेश का किसान हर साल कमाता है सिर्फ 1 लाख: विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की दिमनी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस साल 2 फरवरी को राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि किसानों की राष्ट्रीय औसत आय 10 हजार 218 रुपए है. मध्यप्रदेश के किसानों की औसत मासिक आय 8339 रुपए है. इस साल यदि प्रदेश के किसानों की सालाना आय निकाली जाए तो यह मुश्किल से 1 लाख रुपए ही होती है.

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प्रदेश में 5 साल में 1226 किसानों ने की आत्महत्याएं: उधर भोपाल से लगे खजूरी इलाके में खेती करने वाले मिश्रीलाल राजपूत कहते हैं कि ''खेती करना आसान काम नहीं है, हर साल खेती की लागत बढ़ रही है, खेती से बड़ा जुआ कोई नहीं. फसल पककर घर आ जाए, तब इसे अपना मानना. मैंने खेती में खूब प्रयोग किए, इसके लिए मुझे कई अवार्ड भी मिले, लेकिन खेती से करोड़पति हो जाऊं ऐसा मुमकिन नहीं लगता. नेता कैसे हो जाते हैं, भगवान ही जानें.'' उधर देखा जाए तो प्रदेश में किसानों की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. मध्यप्रदेश किसानों की आत्महत्याओं के मामले में देश में चौथे नंबर पर है. राज्य सभा में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा इस साल 3 फरवरी को दिए गए जवाब में बताया गया कि मध्यप्रदेश में 2017 से लेकर पांच सालों के दौरान 1226 किसानों ने आत्महत्या की है.

क्या सिर्फ आय छुपाने के लिए दिखाते हैं खेती: उधर वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल कहते हैं कि ''जिनके पास जरूरत से ज्यादा आय है वह खेती को आय इसलिए बताते हैं, क्योंकि इस पर आयकर नहीं लगता. इसलिए अधिकांश लोग आय छुपाने के लिए खेती का सहारा लेते हैं. हम अच्छी तरह जानते हैं कि इनमें से अधिकांश लोग खेती किसानी नहीं करते, यदि करते भी हैं तो नौकर के तौर पर खेतीहर मजदूर काम करते हैं. इन्हें तथाकथित किसान कहें तो बेहतर होगा. नेता तो सिर्फ नाममात्र के ही किसान हैं. बड़ा सवाल तो यह है कि जब यह राजनीति में आए थे, तब और अबमें इनकी आय में जमीन आसमान का अंतर कैसे आ गया.

एमपी में खेती बनी लाभ का धंधा

भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों की आय भले ही दोगुनी न हो पाई हो, लेकिन चुनाव मैदान में उतरे कई माननीय खेती की आय से ही करोड़पति हो गए. मध्यप्रदेश में बीजेपी की शिवराज सरकार 2008 से प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती रही है. किसानों की आय भले ही दोगुनी न हुई हो, लेकिन किसानों के मुकाबले नेताओं की आय जरूर खेती से दोगुनी हो गई. विधानसभा चुनाव के लिए दाखिल किए गए नामांकन पत्र के साथ पेश किए गए आय-व्यय के ब्यौरे से पता चलता है कि कई माननियों की खेती से आय हर साल बढ़ती गई. प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल की खेती से आय एक साल में दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई. जबकि केन्द्र सरकार के आंकड़ों को देखें तो प्रदेश का किसान हर माह सिर्फ 8 हजार 339 रुपए ही कमाता है यानी साल में सिर्फ 1 लाख रुपए.

कृषि मंत्री की आय दोगुनी से ज्यादा बढ़ी: मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री को ही लीजिए. उन्होंने अपने शपथ पत्र में अपनी आय का जरिया खेती और किराया बताया है. उनकी खेती से आय हर साल बढ़ती जा रही है. साल 2021-22 में सिर्फ खेती से 10 लाख 57 हजार की आय हुई थी, जबकि 2022-23 में खेती की आय बढ़कर 28 लाख हो गई, यानी दोगुनी से भी ज्यादा. लेकिन उनकी पत्नी की खेती की आय उतनी नहीं बढ़ी. 2021-22 में खेती से आय 11 लाख रुपए थी, जबकि 2022-23 में उन्हें खेती से 16 लाख 87 हजार की आय हुई. कमल पटेल के पास 2.75 करोड़ जबकि पत्नी के नाम 5 करोड़ 69 लाख की भूमि और भवन हैं. कमल पटेल के पास 1.75 करोड़ और पत्नी के पास 3.41 करोड़ की चल संपत्ति है.

  1. बीजेपी के दिग्गज नेता और सरकार में गृहमंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा भी किसान हैं. शपथ पत्र में आय का जरिया कृषि कार्य बताया गया है, पत्नी गृहणी हैं. उनकी साल 2022-23 में 27 लाख 97 हजार की आय दर्शाई गई है, जबकि 2020-21 में यह 8 लाख रुपए थी. पत्नी की आय भी साल 2022-23 में 3 लाख 84 हजार रुपए बताई गई है. नरोत्तम मिश्रा 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे. उनके नाम एक करोड़ से ज्यादा की जमीन है, जबकि पत्नी के नाम 3 करोड़ का आवासीय भवन है.
  2. सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट का आय का जरिया खेती और किराया है. उन्होंने अपने घोषणा पत्र में साल 2023-24 में आय 8 लाख 63 हजार है, जबकि 2021-22 में आय 1 करोड 19 हजार थी. उनकी पत्नी की आय साल 2022-23 में 3 लाख थी, जो इस साल बढ़कर 5 लाख 33 हजार हो गई है. तुलसी सिलावट की चल संपत्ति 1.15 करोड़, जबकि पत्नी की संपत्ति 1.21 करोड़ है. जबकि 7.61 करोड़ की भूमि भवन उनके पास है, जबकि पत्नी के पास 4 करोड़ 48 लाख की अचल संपत्ति है.
  3. सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे प्रभुराम चौधरी की आय का जरिया खेती और पेट्रोल पंप है. हालांकि उनकी आय साल दर साल कम होती गई. 2019-20 में उनकी सालाना आय 8.40 लाख थी, जो साल 2022-23 में 4 लाख हो गई. उनकी चल संपत्ति 4 करोड़, जबकि स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर पत्नी की आय 1 करोड 44 लाख है. प्रभुराम चौधरी की अचल संपत्ति 3.76 करोड़ है.
  4. बीजेपी के सीनियर लीडर और मंत्री रहे गोपाल भार्गव की आय का जरिया खेती है. उनकी साल 2022-23 में आय 22 लाख, जबकि इस साल 25 लाख हुई है. उनकी चल संपत्ति 2.72 करोड़ है, जबकि पत्नी की संपत्ति 28 लाख रुपए है. उनके पास मकान, खेती की भूमि की कीमत 2 करोड़ रुपए है.
  5. अब कांग्रेस की 15 माह की कमलनाथ सरकार में विधि मंत्री रहे पीसी शर्मा को ही लीजिए. उन्होंने अपने शपथ पत्र में बताया है कि उनकी और पत्नी की आय खेती से दो गुनी हो गई है. 2020-21 में पीसी शर्मा को खेती से आय 2 लाख रुपए हुई थी, जबकि उनकी पत्नी विभा शर्मा को डेढ़ लाख हुई थी, जो 2022-23 में बढ़कर 4 लाख रुपए सालाना हो गई है. पीसी शर्मा की कुल संपत्ति 1 करोड़ 82 लाख है, जबकि पत्नी विभा शर्मा की आय 4 करोड़ 7 लाख बताई गई है.
  6. कमलनाथ सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे जीतू पटवारी भी किसान हैं. लेकिन बीजेपी के किसान नेता के मुकाबले उनकी खेती से आय घट गई. 2021-22 उनकी खेती से आय 45 लाख रुपए थी, जबकि 2022-23 में घटकर 19 लाख रुपए हो गई. उनकी पत्नी को भी 2022-23 में खेती से आय 8 लाख 98 हजार रुपए हुई है. हालांकि वे करोडपति किसान है. उनके पास 9.69 करोड़ और पत्नी के पास 8.43 करोड़ की अचल संपत्ति है.

प्रदेश का किसान हर साल कमाता है सिर्फ 1 लाख: विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की दिमनी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस साल 2 फरवरी को राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि किसानों की राष्ट्रीय औसत आय 10 हजार 218 रुपए है. मध्यप्रदेश के किसानों की औसत मासिक आय 8339 रुपए है. इस साल यदि प्रदेश के किसानों की सालाना आय निकाली जाए तो यह मुश्किल से 1 लाख रुपए ही होती है.

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प्रदेश में 5 साल में 1226 किसानों ने की आत्महत्याएं: उधर भोपाल से लगे खजूरी इलाके में खेती करने वाले मिश्रीलाल राजपूत कहते हैं कि ''खेती करना आसान काम नहीं है, हर साल खेती की लागत बढ़ रही है, खेती से बड़ा जुआ कोई नहीं. फसल पककर घर आ जाए, तब इसे अपना मानना. मैंने खेती में खूब प्रयोग किए, इसके लिए मुझे कई अवार्ड भी मिले, लेकिन खेती से करोड़पति हो जाऊं ऐसा मुमकिन नहीं लगता. नेता कैसे हो जाते हैं, भगवान ही जानें.'' उधर देखा जाए तो प्रदेश में किसानों की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. मध्यप्रदेश किसानों की आत्महत्याओं के मामले में देश में चौथे नंबर पर है. राज्य सभा में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा इस साल 3 फरवरी को दिए गए जवाब में बताया गया कि मध्यप्रदेश में 2017 से लेकर पांच सालों के दौरान 1226 किसानों ने आत्महत्या की है.

क्या सिर्फ आय छुपाने के लिए दिखाते हैं खेती: उधर वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल कहते हैं कि ''जिनके पास जरूरत से ज्यादा आय है वह खेती को आय इसलिए बताते हैं, क्योंकि इस पर आयकर नहीं लगता. इसलिए अधिकांश लोग आय छुपाने के लिए खेती का सहारा लेते हैं. हम अच्छी तरह जानते हैं कि इनमें से अधिकांश लोग खेती किसानी नहीं करते, यदि करते भी हैं तो नौकर के तौर पर खेतीहर मजदूर काम करते हैं. इन्हें तथाकथित किसान कहें तो बेहतर होगा. नेता तो सिर्फ नाममात्र के ही किसान हैं. बड़ा सवाल तो यह है कि जब यह राजनीति में आए थे, तब और अबमें इनकी आय में जमीन आसमान का अंतर कैसे आ गया.

Last Updated : Oct 28, 2023, 10:52 PM IST
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