भोपाल। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में टाइगर की शिफ्टिंग के पहले ही एक बाघिन लापता हो गई है. दरअसल पन्ना नेशनल पार्क से 2 बाघ और 1 बाघिन को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में शिफ्ट किया जा रहा था, इन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज माधव नेशनल पार्क में आज छोड़ने वाले थे, लेकिन बाघिन के लापता होने के चलते अब सिर्फ दो बाघ ही छोड़े जाएंगे. उधर पिछले 2 दिन से बाघिन की वन विभाग के अधिकारियों को लोकेशन नहीं मिल रही है.
आखिरी समय में गायब हुई बाघिन: पन्ना के नेशनल पार्क से 2 बाघ और 1 बाघिन को शिफ्ट किया जाना था, पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक बिजेंन्द्र झा के मुताबिक "2 बाघों को तो पहले ही ट्रेंकुलाइज कर लिया गया था, लेकिन बाघिन को आखिरी समय ट्रेंकुलाइज करने की रणनीति बनाई गई थी. इस बाघिन पर लगातार निगाह रखी जा रही थी, इसे 8 मार्च को ट्रेंकुलाइज करने के लिए जैसे ही कहा गया तो पता चला कि बाघिन गायब हो गई. वन विभाग अमले ने बाघिन को ढूंढने में खूब पसीना भी बहाया, लेकिन पिछले 2 दिनों से बाघिन का कोई पता नहीं चल सका है." वन विभाग के अधिकारियों का कहना ये भी है कि बाघिन की तलाश में टीम जुटी हुई है, हालांकि इस मामले को लेकर बाकी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. बताया जा रहा है कि बाघिन के लापता होने से शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में दो टाइगर को ही छोड़ा जाएगा.
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27 साल बाद गूंजेगी टाइगर की दहाड़: शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में करीबन 27 साल बाद बाघां की दहाड़ गूंजेगी, इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. फिलहाल इन बाघों को अलग-अलग बाडों में रखा जाएगा, माहौल में ढलने के बाद कुछ दिन बाद इन्हें जंगल में छोड़ जाएगा. इसके लिए यहां 3 बडे बाडे बनाए गए हैं, शिफ्ट किए जा रहे बाघ में एक वही बाघ है, जिसे पिछले दिनों भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौघोगिकी संस्थान के पास से पकड़ा गया था. बता दें कि माधव नेशनल पार्क में आखिरी बार 1996 में बाघ को देखा गया था, उसके बाद से यह बाघों के मामले में वीरान हो गया था. अब यह एक बार फिर बाघों से आबाद होगा, माधव नेशनल पार्क करीबन 375 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है.
अधूरा रह जाएगा सिंधिया का सपना: बता दें कि गुरुवार को ग्वालियर के महाराज और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि "मेरे पिता माधवराव सिंधिया को वन्यप्राणियों से विशेष प्रेम था, उनका सपना था कि माधव नेशनल पार्क में टाइगर को बसाया जाए. इसके लिए उन्होंने उस समय हर जोर प्रयास भी किए, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई. पिता के सपने को आज उनका बेटा उनके जन्मदिन के मौके पर साकार करेगा."