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अपने लाल के लिए खूनी सियार से भिड़ गई मां, जानें फिर क्या हुआ... - शिवपुरी जिले के ठकुरपुरा

मध्य प्रदेश में एक साहसी मां ने अपने पांच साल के बेटे को सियार के मुंह से बचाकर ले आई. यह घटना शिवपुरी जिले के ठकुरपुरा का है, जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है.

सियार से भिड़ गई मां
सियार से भिड़ गई मां
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Published : Dec 23, 2021, 12:31 PM IST

शिवपुरी : मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में एक मां ने अपने पांच साल के बच्चे को खूंखार सियार से बचाने का साहस दिखाया है. यह मामला अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. बहरहाल, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

जानकारी के मुताबिक, शिवपुरी जिले के ठकुरपुरा में एक पांच साल का बच्चा सियार का निवाला बनाता, उससे पहले ही मां की नजर अपने कलेजे के टुकड़े पर पड़ गई. फिर क्या था, मां अपने बच्चे को बचाने के लिए सियार से भिड़ (Mother fights with jackal to save son life) गई और मौत के मुंह से अपने लाल को सुरक्षित खींच लाई. सियार ने बच्चे पर जैसे ही हमला किया, मां की नजर उस पर पड़ गई और सियार पर पत्थर फेंकने लगी. जिसके बाद बच्चे को छोड़कर सियार वापस जंगल की ओर भाग गया.

गौरतलब है कि ठकुरपुरा क्षेत्र माधव नेशनल पार्क से सटा है. अक्सर यहां जंगल से कई जंगली जानवर शहरी क्षेत्र की ओर चले आते हैं. बुधवार को दोपहर के वक्त जब पांच साल का बच्चा आदित्य घर के बाहर खेल रहा था, उसी वक्त एक सियार वहां पहुंचा और उसपर झपट पड़ा. अपने बच्चे को सियार से बचाने के लिए आदित्य की मां अपनी जान पर खेल गई. यह देख घर के अन्य लोग भी वहां आ पहुंचे और तुरंत मां और बच्चे को इलाज के लिए शिवपुरी जिला अस्पताल ले गए, जहां बच्चे का इलाज हुआ.

बेटे को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई थीं किरण

पिछले महीने ही सीधी जिले में एक आदिवासी महिला किरण भी अपने आठ वर्षीय बेटे की जान बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई थी. जब तेंदुआ बच्चे को मुंह में दबाकर ले जा रहा था, तभी किरण की नजर पड़ी और अकेले ही बच्चे को बचाने के लिए तेंदुए के पीछे भागने लगी. उसके बाद तेंदुए के जबड़े से अपने बेटे को खींच लायी थी. दरअसल, महिला अपने तीन बच्चों के साथ अलाव जलाकर बैठी थी. तभी तेंदुआ दबे पांव वहां आकर बगल में बैठे आठ साल के बच्चे को उठा (leopard attacks child in sidhi) ले गया था. महिला ने तेंदुए का एक किलोमीटर तक पीछा किया और उससे भिड़ गई. महिला तेंदुए के हमले से घायल तो हो गई, लेकिन किसी तरह वह अपने बच्चे को मौत के मुंह से बचा लाई.

डेढ़ घंटे तक बाघ के सामने खड़ीं रही सुधा

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ रूपी मौत का सामना कर अपने साथियों की जान बचाने वाली महिला वनरक्षक सुधा धुर्वे के साहस की तो अभिनेत्री विद्या बालन ने भी खूब तारीफ की थी. झिरिया बीट की वनरक्षक सुधा धुर्वे ने करीब दो साल पहले बाघ से मुकाबला किया था. उस दौरान वह डेढ़ घंटे तक बाघ के सामने डटी रहीं. सुधा धुर्वे ने इस दौरान अपने दो वनरक्षक साथियों की जान भी बचाई थी. अभिनेत्री ने महिला वनरक्षक से लाइव बातचीत करते हुए पूरा घटनाक्रम सुना और कहा था कि आपने साथियों की जान बचाकर बहुत ज्यादा हिम्मत दिखाई है.

लड़कियों की प्रेरणा है रियल लाइफ शेरनी

मध्यप्रदेश की रियल लाइफ 'शेरनी' भारती ठाकरे (Bharti Thakrey) ऐसी इकलौती अफसर हैं, जो 28 सालों से वन विभाग में निडरता से नौकरी कर रही हैं. कई चुनौतियां आईं, मुश्किलों का सामना किया, लेकिन सब कुछ उन्होंने अपने अंदाज में, सरलता से और समन्वय से हल किया. उनका मानना है कि परिवार का सहयोग और जज्बा हो तो कोई भी नौकरी आसानी से की जा सकती है. पेंच टाइगर रिजर्व में तैनात भारती ठाकरे बतौर एसडीओ कार्य कर रही हैं, भारती उन लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो जंगल या वन विभाग की नौकरी करने से हिचकिचाती हैं. वह लड़कियों को हौसला देती हैं कि वे हर क्षेत्र की नौकरी न सिर्फ कर सकती हैं, बल्कि उन्हें जी भी सकती हैं.

शिवपुरी : मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में एक मां ने अपने पांच साल के बच्चे को खूंखार सियार से बचाने का साहस दिखाया है. यह मामला अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. बहरहाल, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

जानकारी के मुताबिक, शिवपुरी जिले के ठकुरपुरा में एक पांच साल का बच्चा सियार का निवाला बनाता, उससे पहले ही मां की नजर अपने कलेजे के टुकड़े पर पड़ गई. फिर क्या था, मां अपने बच्चे को बचाने के लिए सियार से भिड़ (Mother fights with jackal to save son life) गई और मौत के मुंह से अपने लाल को सुरक्षित खींच लाई. सियार ने बच्चे पर जैसे ही हमला किया, मां की नजर उस पर पड़ गई और सियार पर पत्थर फेंकने लगी. जिसके बाद बच्चे को छोड़कर सियार वापस जंगल की ओर भाग गया.

गौरतलब है कि ठकुरपुरा क्षेत्र माधव नेशनल पार्क से सटा है. अक्सर यहां जंगल से कई जंगली जानवर शहरी क्षेत्र की ओर चले आते हैं. बुधवार को दोपहर के वक्त जब पांच साल का बच्चा आदित्य घर के बाहर खेल रहा था, उसी वक्त एक सियार वहां पहुंचा और उसपर झपट पड़ा. अपने बच्चे को सियार से बचाने के लिए आदित्य की मां अपनी जान पर खेल गई. यह देख घर के अन्य लोग भी वहां आ पहुंचे और तुरंत मां और बच्चे को इलाज के लिए शिवपुरी जिला अस्पताल ले गए, जहां बच्चे का इलाज हुआ.

बेटे को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई थीं किरण

पिछले महीने ही सीधी जिले में एक आदिवासी महिला किरण भी अपने आठ वर्षीय बेटे की जान बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई थी. जब तेंदुआ बच्चे को मुंह में दबाकर ले जा रहा था, तभी किरण की नजर पड़ी और अकेले ही बच्चे को बचाने के लिए तेंदुए के पीछे भागने लगी. उसके बाद तेंदुए के जबड़े से अपने बेटे को खींच लायी थी. दरअसल, महिला अपने तीन बच्चों के साथ अलाव जलाकर बैठी थी. तभी तेंदुआ दबे पांव वहां आकर बगल में बैठे आठ साल के बच्चे को उठा (leopard attacks child in sidhi) ले गया था. महिला ने तेंदुए का एक किलोमीटर तक पीछा किया और उससे भिड़ गई. महिला तेंदुए के हमले से घायल तो हो गई, लेकिन किसी तरह वह अपने बच्चे को मौत के मुंह से बचा लाई.

डेढ़ घंटे तक बाघ के सामने खड़ीं रही सुधा

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ रूपी मौत का सामना कर अपने साथियों की जान बचाने वाली महिला वनरक्षक सुधा धुर्वे के साहस की तो अभिनेत्री विद्या बालन ने भी खूब तारीफ की थी. झिरिया बीट की वनरक्षक सुधा धुर्वे ने करीब दो साल पहले बाघ से मुकाबला किया था. उस दौरान वह डेढ़ घंटे तक बाघ के सामने डटी रहीं. सुधा धुर्वे ने इस दौरान अपने दो वनरक्षक साथियों की जान भी बचाई थी. अभिनेत्री ने महिला वनरक्षक से लाइव बातचीत करते हुए पूरा घटनाक्रम सुना और कहा था कि आपने साथियों की जान बचाकर बहुत ज्यादा हिम्मत दिखाई है.

लड़कियों की प्रेरणा है रियल लाइफ शेरनी

मध्यप्रदेश की रियल लाइफ 'शेरनी' भारती ठाकरे (Bharti Thakrey) ऐसी इकलौती अफसर हैं, जो 28 सालों से वन विभाग में निडरता से नौकरी कर रही हैं. कई चुनौतियां आईं, मुश्किलों का सामना किया, लेकिन सब कुछ उन्होंने अपने अंदाज में, सरलता से और समन्वय से हल किया. उनका मानना है कि परिवार का सहयोग और जज्बा हो तो कोई भी नौकरी आसानी से की जा सकती है. पेंच टाइगर रिजर्व में तैनात भारती ठाकरे बतौर एसडीओ कार्य कर रही हैं, भारती उन लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो जंगल या वन विभाग की नौकरी करने से हिचकिचाती हैं. वह लड़कियों को हौसला देती हैं कि वे हर क्षेत्र की नौकरी न सिर्फ कर सकती हैं, बल्कि उन्हें जी भी सकती हैं.

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