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आर्थिक, सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में योगदान के लिए तत्पर हूं : विदेश राज्यमंत्री

पूर्वी मोर्चा मोदी सरकार (Modi govt) में हमेशा से सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है. डॉ. राजकुमार रंजन सिंह (Dr Rajkumar Ranjan Singh) को विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने उनसे खास बातचीत की. जानिए डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने क्या कहा. खास रिपोर्ट.

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह
डॉ. राजकुमार रंजन सिंह
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Published : Jul 13, 2021, 10:41 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री (एमओएस) डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि, 'भारत, उत्तरी सीमा पर चीन, पूर्वोत्तर में बर्मा (म्यांमार) और बांग्लादेश से घिरा है. मैं दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वोत्तर से निकटता से संबंधित हूं, यही वजह है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के त्रिकोणीय मोड़ को देखते हुए, मुझे इन पड़ोसी देशों से संबंधों को लेकर जिम्मा सौंपा जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी का सिद्धांत है कि पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध हों.

उन्होंने कहा, 'मुझे बहुत खुशी हो रही है क्योंकि दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) के अधिकांश जातीय समुदायों की भाषाएं भी पूर्वोत्तर की भाषाओं से मिलती-जुलती हैं और यह पोर्टफोलियो बहुत दिलचस्प है और बड़ी जिम्मेदारियों वाला है. मैं आर्थिक, सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय राजनीति और विशेष रूप से दक्षिण एशिया (South Asia) और सार्क (SAARC) देशों को लेकर राष्ट्रीय एजेंडे के तहत अपना योगदान देने के लिए तत्पर हूं.'

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह से खास बातचीत

'पूर्व की ओर देखो' नीति पर ये बोले
'पूर्व की ओर देखो नीति' (Look East policy) पर बात करते हुए सिंह ने कहा, 'भारत पूर्व की ओर सांस्कृतिक और आर्थिक संभावनाओं को देख रहा है. इस आधुनिक युग के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को फिर से मजबूत कर रहा है. उदाहरण के लिए, भारत बौद्ध धर्म का मूल है और यहां तक ​​कि बर्मा या म्यांमार भी एक बौद्ध देश है जिसके बाद लाओ, इंडोनेशिया आदि आते हैं. इसलिए यदि हम धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बौद्ध धर्म के पारंपरिक जुड़ाव के माध्यम से 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' बनाते हैं और अपनी आर्थिक गतिविधियों के लिए इन दो प्लेटफार्मों का उपयोग करते हैं, तो यह एक सफल एक्ट ईस्ट पॉलिसी (act east policy) होगी.'

2019 में मणिपुर सीट से जीता था चुनाव

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह लोकसभा सांसद हैं. 2019 में उन्होंने इनर मणिपुर सीट से चुनाव जीता था. एक सितंबर, 1952 को इम्फाल के पूर्वी जिले कोंगबा माखा नंदीबाम लीकाई (Kongba Makha Nandeibam Leikai) में जन्में सिंह ने 1970 में धनमंज्यूरी कॉलेज ( Dhanamanjury College) इंफाल से स्नातक किया. 1972 में
गौहाटी विश्वविद्यालय (Gauhati University) से भूगोल में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की.

उनकी पढ़ाई और राजनीति के सफर को एकजुटता के सूत्रधार के रूप में देखा जाता है. एक बार के सांसद राजकुमार 2013 में भाजपा में शामिल हुए और अगले ही साल लोकसभा चुनाव लड़ा. हालांकि उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही, वह 2019 में एमपी की सीट हासिल करने में सफल रहे.

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह पूर्वोत्तर से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलने से भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' को मजबूती से बनाए रखने की उम्मीद है. मोदी प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से पूर्वी मोर्चा सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है.

पढ़ें- मीनाक्षी लेखी बनीं विदेश राज्य मंत्री, इन्होंने बदलवा दिया था प्रधानमंत्री निवास का नाम

नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री (एमओएस) डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि, 'भारत, उत्तरी सीमा पर चीन, पूर्वोत्तर में बर्मा (म्यांमार) और बांग्लादेश से घिरा है. मैं दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वोत्तर से निकटता से संबंधित हूं, यही वजह है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के त्रिकोणीय मोड़ को देखते हुए, मुझे इन पड़ोसी देशों से संबंधों को लेकर जिम्मा सौंपा जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी का सिद्धांत है कि पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध हों.

उन्होंने कहा, 'मुझे बहुत खुशी हो रही है क्योंकि दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) के अधिकांश जातीय समुदायों की भाषाएं भी पूर्वोत्तर की भाषाओं से मिलती-जुलती हैं और यह पोर्टफोलियो बहुत दिलचस्प है और बड़ी जिम्मेदारियों वाला है. मैं आर्थिक, सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय राजनीति और विशेष रूप से दक्षिण एशिया (South Asia) और सार्क (SAARC) देशों को लेकर राष्ट्रीय एजेंडे के तहत अपना योगदान देने के लिए तत्पर हूं.'

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह से खास बातचीत

'पूर्व की ओर देखो' नीति पर ये बोले
'पूर्व की ओर देखो नीति' (Look East policy) पर बात करते हुए सिंह ने कहा, 'भारत पूर्व की ओर सांस्कृतिक और आर्थिक संभावनाओं को देख रहा है. इस आधुनिक युग के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को फिर से मजबूत कर रहा है. उदाहरण के लिए, भारत बौद्ध धर्म का मूल है और यहां तक ​​कि बर्मा या म्यांमार भी एक बौद्ध देश है जिसके बाद लाओ, इंडोनेशिया आदि आते हैं. इसलिए यदि हम धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बौद्ध धर्म के पारंपरिक जुड़ाव के माध्यम से 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' बनाते हैं और अपनी आर्थिक गतिविधियों के लिए इन दो प्लेटफार्मों का उपयोग करते हैं, तो यह एक सफल एक्ट ईस्ट पॉलिसी (act east policy) होगी.'

2019 में मणिपुर सीट से जीता था चुनाव

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह लोकसभा सांसद हैं. 2019 में उन्होंने इनर मणिपुर सीट से चुनाव जीता था. एक सितंबर, 1952 को इम्फाल के पूर्वी जिले कोंगबा माखा नंदीबाम लीकाई (Kongba Makha Nandeibam Leikai) में जन्में सिंह ने 1970 में धनमंज्यूरी कॉलेज ( Dhanamanjury College) इंफाल से स्नातक किया. 1972 में
गौहाटी विश्वविद्यालय (Gauhati University) से भूगोल में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की.

उनकी पढ़ाई और राजनीति के सफर को एकजुटता के सूत्रधार के रूप में देखा जाता है. एक बार के सांसद राजकुमार 2013 में भाजपा में शामिल हुए और अगले ही साल लोकसभा चुनाव लड़ा. हालांकि उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही, वह 2019 में एमपी की सीट हासिल करने में सफल रहे.

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह पूर्वोत्तर से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलने से भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' को मजबूती से बनाए रखने की उम्मीद है. मोदी प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से पूर्वी मोर्चा सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है.

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