मुरैना। आजादी के 75 साल बाद भी जिले के कई गांवों में पक्के रास्ते नहीं हैं. ऐसा ही एक गांव कुथियाना पंचायत का नीवरीपुरा है. अनुसूचित जाति वर्ग की 500 की आबादी वाले इस गांव में पहुंचने का 2 किमी का रास्ता पूरी तरह से कच्चा है. स्थानीय ग्रामीणों ने इस रोड को पक्का करने के लिए जनप्रतिनिधियों, अफसरों से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की. गांव के लोगों ने सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की लेकिन, कोई हल नहीं निकला,अंतत: गांव के युवाओं ने एकत्रित होकर तय किया कि हम अपनी सड़क खुद ही बनाएंगे.
ग्रामीणों ने उठाए फावड़ा-तसला: ग्रामीणों ने पूरे गांव से पैसा एकत्रित किया और उसके बाद सड़क का निर्माण करना शुरू कर दिया. निर्माण कार्य के दौरान देखने को मिला कि छोटे-छोटे बच्चे भी फावड़े और तसला लेकर मिट्टी डालने में जुटे हुए हैं. अंबाह मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर स्थित नीबरीपुरा गांव बारिश के सीजन में चंबल में आने वाली बाढ़ से घिर जाता है. इस गांव के लोगों का संपर्क ब्लॉक मुख्यालय से पूरी तरह कट जाता है और वह घरों में कैद हो जाते हैं. इसलिए ग्रामीणों ने खुद के लिए उम्दा सड़क बनाने का काम श्रमदान के जरिए शुरू कर दिया है.
कई बार लगा चुके हैं विकास की गुहार: कहते हैं कि जहां चाह, वहां राह कुथियाना पंचायत के नीबरीपुरा गांव के लोगों ने भी यह कहावत सही करके दिखा दी है. दरअसल रडुआपुरा से नीबरीपुरा गांव का 2 किमी लंबा रास्ता कच्चा व मिट्टी और कीचड़ से बंद हो जाता है. जिससे लोगों को आवागमन में दिक्कत होती है. ग्रामीणों ने अपने नेताओं, स्थानीय विधायक और अफसरों से कई बार इस कच्चे रोड को पक्का बनाने की मांग रखी. इसके साथ ही ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी सड़क बनवाने के लिए आवेदन दिए, लेकिन जब सालों तक उनकी सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने खुद ही रोड बनाने का फैसला किया. वहीं महिलाओं का कहना है कि "शिवराज सिंह हम को बहन मानते हैं तो लाडली बहना योजना के पैसे बंद कर दें और हमारी जो मूलभूत सुविधाओं को ठीक कर दें. कई महिलाएं तो रो-रो कर मीडिया से भी शिवराज सिंह चौहान से गांव के विकास कार्यों के बारे में गुहार लगा रही हैं.
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ग्रामीणों ने किया वोट का बहिष्कार: ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इसके लिए जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियों तक गुहार लगाई है. हमने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, विधायक रविंद्र सिंह तोमर सहित कलेक्टर से भी सड़क बनवाने की गुहार लगवाई, लेकिन हमारी नहीं सुनी. सीएम हेल्पलाइन से भी कोई समाधान नहीं हुआ है. नेता सिर्फ वोट लेने आते हैं, इसलिए हम खुद ही सड़क बना रहे हैं. हमने तय किया है कि जब मजदूरी खुद करें, पैसा खुद खर्च करें तो वोट काहे को दें. इसलिए हम विधानसभा व लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों की मानें तो उन्होंने जब से होश संभाला है तब से ही भाजपा, कांग्रेस और बसपा को वोट दिए हैं. विधायक बनने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि उनकी गांव की ओर मुड़ कर भी नहीं देखता.
क्या बोले अधिकारी: मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना का कहना है कि "नेवरी पुरा की शिकायत मिली है. जल्द ही अधिकारियों को भेज कर पूरे मामले की जांच करा कर ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं का लाभ दिलाया जाएगा. सड़क निर्माण की बात है तो जिला पंचायत के अधिकारियों को गांव में भेजकर जल्द ही सड़क का निर्माण कार्य भी कराए जाएगा."