नई दिल्ली: भारत में करीब 19 लाख से अधिक बच्चों ने कोविड-19 महामारी के चलते अपने माता-पिता या देखभाल करने वाले को खो दिया है. इस बात का जिक्र द लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित 20 देशों के एक मॉडलिंग रिसर्च में पाया गया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, COVID-19 के परिणामस्वरूप माता-पिता या देखभाल करने वाले की मृत्यु का सामना करने वाले बच्चों की संख्या 5.2 मिलियन से अधिक हो गई है.
रिसर्च के मुताबिक महामारी के पहले 14 महीनों के बाद की संख्या की तुलना में 1 मई, 2021 से 31 अक्टूबर, 2021 तक छह महीनों में COVID-19 से अनाथ और देखभाल करने वाले की मृत्यु से प्रभावित बच्चों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. विश्व स्तर पर नए अध्ययन से पता चलता है कि COVID-19 से अनाथ हुए तीन में से दो बच्चे 10 से 17 वर्ष की आयु के किशोर हैं. इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूके के प्रमुख लेखक जूलियट अनविन के अनुसार अफसोस की बात है कि अनाथ और देखभाल करने वालों की मौतों के आंकड़े हमारे अनुमान से अधिक हैं, उन्हें कम करके आंका जाने की संभावना है और हम उम्मीद करते हैं कि ये संख्या बढ़ेगी क्योंकि COVID-19 मौतों पर अधिक वैश्विक डेटा उपलब्ध हो जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि रियल-टाइम अपडेटेड डेटा से पता चलता है कि यह आंकड़ा जनवरी 2022 तक सही कुल 6.7 मिलियन बच्चों तक पहुंच गया, जबकि हमारे वर्तमान अध्ययन ने अक्टूबर 2021 के अनुमानों को देखा, महामारी अभी भी दुनियाभर में व्याप्त है, जिसका अर्थ है कि कोविड-19 से संबंधित अनाथता भी बढ़ती रहेगी. शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन किए गए 20 देशों में प्रभावित बच्चों की संख्या जर्मनी में 2,400 से लेकर भारत में 19 लाख से अधिक थी.
उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति अनुमानित अनाथता के मामलों की गणना से पता चला है कि पेरू और दक्षिण अफ्रीका में सबसे अधिक दर थी, प्रत्येक 1,000 बच्चों में से 8 और 7 प्रभावित थे. अध्ययन में पाया गया कि सभी देशों में माता को खोने की तुलना में तीन गुने से अधिक बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. निष्कर्षों के अनुसार, सभी देशों में अनाथ बच्चों की तुलना में किशोरों का अनुपात कहीं अधिक है.
अध्ययन के प्रमुख लेखक सुसान हिलिस ने कहा हम अनुमान लगाते हैं कि COVID-19 महामारी के परिणामस्वरूप मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए, एक बच्चा अनाथ हो जाता है या देखभाल करने वाले को खो देता है. हिलिस ने कहा, यह हर छह सेकंड में एक बच्चे के बराबर है, जो आजीवन प्रतिकूलताओं के बढ़ते जोखिम का सामना करता है, जब तक कि समय पर उचित समर्थन नहीं दिया जाता है. अनाथ बच्चों के लिए उस समर्थन को तुरंत हर राष्ट्रीय COVID-19 प्रतिक्रिया योजना में एकीकृत किया जाना चाहिए.
पढ़ें: देश टीकाकरण कार्यक्रम की वजह से कोरोना की तीसरी लहर से निपट सका : मंडाविया
शोधकर्ताओं ने कहा कि भविष्य की महामारी प्रतिक्रियाओं में प्रत्येक माता-पिता और देखभाल करने वाले की मृत्यु से प्रभावित बच्चों की संख्या की निगरानी के लिए निगरानी प्रणाली शामिल होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसका उपयोग सेवाओं की जरूरतों को ट्रैक करने और रेफरल प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए किया जा सकता है जो परिवारों को उचित समर्थन की ओर इशारा करते हैं.