मोरबी : गुजरात के मोरबी शहर की एक अदालत ने पिछले साल एक पुल गिरने से संबंधित मामले में शनिवार को ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल की नियमित जमानत की अर्जी खारिज कर दी. ओरेवा ग्रुप ब्रिटिश काल के ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था, जो पिछले साल 30 अक्टूबर को टूटकर गिर गया था. इस दुर्घटना में 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी. सी. जोशी ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पटेल ने उन घटनाक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिनके कारण यह त्रासदी हुई.
पीड़ितों के वकील एन.आर. जडेजा ने पत्रकारों को बताया कि अदालत ने कहा है कि ओरेवा समूह ने पुल के नवीनीकरण का काम एक ऐसी कंपनी को दिया था, जिसे आवश्यक तकनीकी ज्ञान नहीं था। साथ ही आम लोगों के लिए पुल खोलने से पहले कोई परीक्षण या विशेषज्ञ सलाह नहीं ली गई थी. मोरबी जिले के जेलर डीएम गोहेल ने मीडिया को बताएं कि नियमित जांच के दौरान, जेल के डॉक्टर ने पाया कि पटेल का रक्तचाप उच्च था. उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें आगे की जांच के लिए अस्पताल ले जाया जाए. इसलिए पटेल को आज (शनिवार को) दोपहर अस्पताल ले जाया गया.
लेकिन चेक-अप के बाद, उन्हें वापस जेल लाया गया. पटेल के वकील रितुराज नानावती ने शनिवार को कहा कि सत्र अदालत ने मुख्य रूप से पटेल के मुख्य आरोपी होने और अपराध की गंभीरता को देखते हुए अन्य नौ सह-आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था, इस आधार पर कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी है. मामले में गिरफ्तार किए गए पटेल और नौ अन्य आरोपी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में मोरबी उप-जेल में बंद हैं. प्रधान सत्र न्यायाधीश पी.सी. जोशी की अदालत ने शनिवार को जमानत याचिका खारिज कर दी. इस याचिका पर पहली बार 29 मार्च को सुनवाई हुई थी. इस मामले में और समता के सिद्धांत के आधार पर, अन्य नौ अभियुक्तों को सत्र न्यायालय ने जमानत देने से इनकार कर दिया है.
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(पीटीआई-भाषा)