मोरबी (गुजरात): गुजरात के मोरबी में केबल पुल हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार नौ लोगों में से चार लोगों को एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को पुलिस हिरासत में जबकि अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. अदालत ने पुल की मरम्मत के लिए जिम्मेदार कंपनी ओरेवा ग्रुप के दो प्रबंधकों और दो सब-कांट्रैक्टर को शनिवार, 5 नवंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. अभियोजक एचएस पांचाल ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान ने सुरक्षा गार्ड और टिकट बुक करने वाले क्लर्क सहित गिरफ्तार पांच लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है क्योंकि पुलिस ने उनकी हिरासत नहीं मांगी थी.
-
Gujarat | One of the two managers of Oreva company (that have been arrested) told the court that it is an 'Act of God': Adv HS Panchal, Additional Public Prosecutor, Morbi on #MorbiBridgeCollapse pic.twitter.com/jFKtohbIh4
— ANI (@ANI) November 2, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Gujarat | One of the two managers of Oreva company (that have been arrested) told the court that it is an 'Act of God': Adv HS Panchal, Additional Public Prosecutor, Morbi on #MorbiBridgeCollapse pic.twitter.com/jFKtohbIh4
— ANI (@ANI) November 2, 2022Gujarat | One of the two managers of Oreva company (that have been arrested) told the court that it is an 'Act of God': Adv HS Panchal, Additional Public Prosecutor, Morbi on #MorbiBridgeCollapse pic.twitter.com/jFKtohbIh4
— ANI (@ANI) November 2, 2022
पढ़ें: मोरबी हादसे की व्यापक जांच कर इससे जुड़े सबक को अमल में लाया जाए : मोदी
इस संबंध में अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को अदालत को बताया कि मोरबी के केबल पुल की मरम्मत का काम जिन ठेकेदारों ने किया, उनके पास इसको करने की योग्यता नहीं थी. रविवार की शाम में यह पुल गिरने से अभी तक 135 लोगों की मौत हुई है. फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुल की फ्लोरिंग को बदल दिया गया था लेकिन उसके तार नहीं बदले गए थे और वह (पुराने तार) नई फ्लोरिंग का वजन नहीं उठा सके.
पढ़ें: मोरबी हादसा : न्यायिक जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल
पुलिस ने सोमवार को नौ लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में मामला दर्ज किया. अदालत ने जिन चार लोगों को पुलिस हिरासत में भेजा है उनमें ओरेवा के प्रबंधक दीपक पारेख और दिनेश दवे, मरम्मत का काम करने वाले ठेकेदार प्रकाश परमार और देवांग परमार शामिल हैं. वहीं, फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पांचाल ने अदालत को बताया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों का मानना है कि नयी फ्लोरिंग के वजन के कारण पुल का मुख्य तार टूट गया.
पढ़ें: मोरबी हादसा: पीएम के दौरे से पहले इंतज़ाम की फ़ोटो जारी कर आप और कांग्रेस ने जताया एतराज
पांचाल ने पत्रकारों को बताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट हालांकि सीलबंद लिफाफे में पेश की गई थी, लेकिन रिमांड अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह कहा गया कि मरम्मत के दौरान पुल के तार नहीं बदले गए थे और सिर्फ फ्लोरिंग बदली गई थी... फ्लोरिंग में चार परत एल्यूमिनियम की चादर लगाने के कारण पुल का वजन बढ़ गया और वजन के कारण तार टूट गया. अदालत को यह भी बताया गया कि मरम्मत का काम कर रहे दोनों ठेकेदार इस काम को करने की योग्यता नहीं रखते थे.
पढ़ें: मोरबी हादसा: गुजरात सरकार ने 2 नवंबर को पूरे राज्य में शोक की घोषणा की
अभियोजक ने कहा कि इसके बावजूद, ठेकेदारों को 2007 में और फिर 2022 में पुल की मरम्मत का काम सौंप दिया गया. इसलिए आरोपियों की हिरासत आवश्यक है क्योंकि यह पता लगाने की जरूरत है कि उन्हें क्यों चुना गया और किसके कहने पर उन्हें चुना गया.
पढ़ें: Gujarat bridge collapse: ब्रिज से लटक कर नीचे गिर रहे थे लोग: चश्मदीद