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Monsoon Session 2023 : अधीर रंजन ने सदन में कहा- लोकसभा अध्यक्ष 'संरक्षक' हैं, हम उन्हें आसन पर देखना चाहते हैं - Monsoon Session 2023

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (lok sabha Speaker om birla) के दूसरे दिन भी कार्यवाही में शामिल नहीं होने पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury) ने उनके आसन पर आने की अपील की. इस पर पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि उनकी बात लोकसभा अध्यक्ष तक पहुंचा दी जाएगी.

Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी
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Published : Aug 3, 2023, 5:12 PM IST

नई दिल्ली : संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही लोकसभा में मणिपुर मुद्दे पर लगातार हो रहे हंगामे और कामकाज बाधित होने से अप्रसन्न लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (lok sabha Speaker om birla) गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए, जिस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury) ने उनके आसन पर आने की अपील की. लोकसभा की बैठक शुरू होने पर सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल से कहा कि सदस्य लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को आसन पर देखना चाहते हैं.

चौधरी ने कहा, 'अध्यक्ष महोदय हमारे संरक्षक हैं. हम अपनी बात उनके समक्ष रख सकते हैं. हम उन्हें पीठ पर देखना चाहते हैं.' कांग्रेस नेता ने कहा, 'सर, कृपया लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह करें कि वह आसन पर लौटें. जो भी मतभेद हैं, उन्हें हम सुलझा लेंगे.' इस पर अग्रवाल ने कहा कि उनकी बात लोकसभा अध्यक्ष तक पहुंचा दी जाएगी. मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित होने पर चौधरी के साथ कांग्रेस नेता गौरव गोगोई, आरएसपी सांसद एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत राय, राकांपा नेता सुप्रिया सुले, द्रमुक सांसद कनिमोझी के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा अध्यक्ष से उनके कक्ष में भेंट की और सदन की मर्यादा को बनाए रखने में सहयोग का भरोसा दिलाया.

समझा जाता है कि मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर लगातार हो रहे हंगामे और कामकाज बाधित होने से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अप्रसन्न हैं और उन्होंने बुधवार को संसद भवन में मौजूद होने के बावजूद सदन में आकर कार्यवाही का संचालन नहीं किया था. गुरुवार को भी कार्यवाही शुरू होते समय वह आसन पर नहीं आए.

संघीय ढांचे से छेड़छाड़ की जाती रही तो देश तबाह हो जाएगा: कांग्रेस

वहीं कांग्रेस ने दिल्ली में 'समूह-ए' के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के प्रावधान वाले विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए गुरुवार को कहा कि यह देश के संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ है और ऐसा किया जाता रहा तो हिंदुस्तान तबाह हो जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 को लोकसभा में चर्चा और पारित कराने के लिए रखा.

यह विधेयक इस संबंध में केंद्र द्वारा कुछ महीने पहले लागू अध्यादेश की जगह लेने के लिए लाया गया है. चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार दिल्ली के साथ बार-बार छेड़छाड़ कर रही है. उन्होंने कहा, 'यह दिल्ली है, दिल्ली हमारा दिल है...दिल्ली के साथ बार-बार छेड़छाड़ क्यों की जा रही है?' चौधरी ने कहा, 'अगर आप (सरकार) दिल्ली में इस तरह की छेड़छाड़ करेंगे तो आगे दूसरे राज्यों में भी ऐसा करेंगे...संघीय ढांचे के साथ इसी तरह छेड़छाड़ होती रही तो हिंदुस्तान तबाह हो जाएगा.'

उन्होंने दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल की शक्तियों के दायरे को निर्धारित करने वाले उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत की मई में छुट्टियां शुरू होने के समय ही अध्यादेश लाया गया. कांग्रेस नेता ने सवाल किया, 'इस अध्यादेश को लाने में जल्दबाजी क्यों की गई? अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी? क्या ऐसी अप्रत्याशित स्थिति आ गई थी कि यह अध्यादेश लाना पड़ा?' उनका कहना था कि सरकार सीधे विधेयक ला सकते थी. चौधरी ने कहा कि अगर संढीय ढांचे की रक्षा नहीं की गई तो देश नहीं बचेगा.

उन्होंने कहा कि विधानसभा के सदस्यों को जनता चुनती है, तो क्या उससे कानून बनाने का अधिकार छीन लिया जाएगा? कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या सब कुछ नौकरशाही चलाएगी? चौधरी ने दावा किया कि नयी व्यवस्था में दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्तियां सीमित कर दी जाएंगी. उन्होंने कहा, 'इस अध्यादेश के चलते 50 से अधिक संस्थाएं केंद्र के अधीन चली जाएंगी. इनमें से ज्यादातर संस्थाएं लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए बनी हैं.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को मनमाने ढंग से विधेयक नहीं लाना चाहिए था और जांच-परख एवं संतुलन की व्यवस्था नहीं बिगड़नी चाहिए. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चौधरी पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस नेता ने पंजाब और दिल्ली के अपने नेताओं से बात की है? इस पर चौधरी ने कहा, 'आप हमारे बीच दरार डालने की कोशिश मत करिए.'

ये भी पढ़ें - दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, संसद को इससे संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार : शाह

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही लोकसभा में मणिपुर मुद्दे पर लगातार हो रहे हंगामे और कामकाज बाधित होने से अप्रसन्न लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (lok sabha Speaker om birla) गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए, जिस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury) ने उनके आसन पर आने की अपील की. लोकसभा की बैठक शुरू होने पर सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल से कहा कि सदस्य लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को आसन पर देखना चाहते हैं.

चौधरी ने कहा, 'अध्यक्ष महोदय हमारे संरक्षक हैं. हम अपनी बात उनके समक्ष रख सकते हैं. हम उन्हें पीठ पर देखना चाहते हैं.' कांग्रेस नेता ने कहा, 'सर, कृपया लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह करें कि वह आसन पर लौटें. जो भी मतभेद हैं, उन्हें हम सुलझा लेंगे.' इस पर अग्रवाल ने कहा कि उनकी बात लोकसभा अध्यक्ष तक पहुंचा दी जाएगी. मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित होने पर चौधरी के साथ कांग्रेस नेता गौरव गोगोई, आरएसपी सांसद एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत राय, राकांपा नेता सुप्रिया सुले, द्रमुक सांसद कनिमोझी के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा अध्यक्ष से उनके कक्ष में भेंट की और सदन की मर्यादा को बनाए रखने में सहयोग का भरोसा दिलाया.

समझा जाता है कि मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर लगातार हो रहे हंगामे और कामकाज बाधित होने से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अप्रसन्न हैं और उन्होंने बुधवार को संसद भवन में मौजूद होने के बावजूद सदन में आकर कार्यवाही का संचालन नहीं किया था. गुरुवार को भी कार्यवाही शुरू होते समय वह आसन पर नहीं आए.

संघीय ढांचे से छेड़छाड़ की जाती रही तो देश तबाह हो जाएगा: कांग्रेस

वहीं कांग्रेस ने दिल्ली में 'समूह-ए' के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के प्रावधान वाले विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए गुरुवार को कहा कि यह देश के संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ है और ऐसा किया जाता रहा तो हिंदुस्तान तबाह हो जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 को लोकसभा में चर्चा और पारित कराने के लिए रखा.

यह विधेयक इस संबंध में केंद्र द्वारा कुछ महीने पहले लागू अध्यादेश की जगह लेने के लिए लाया गया है. चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार दिल्ली के साथ बार-बार छेड़छाड़ कर रही है. उन्होंने कहा, 'यह दिल्ली है, दिल्ली हमारा दिल है...दिल्ली के साथ बार-बार छेड़छाड़ क्यों की जा रही है?' चौधरी ने कहा, 'अगर आप (सरकार) दिल्ली में इस तरह की छेड़छाड़ करेंगे तो आगे दूसरे राज्यों में भी ऐसा करेंगे...संघीय ढांचे के साथ इसी तरह छेड़छाड़ होती रही तो हिंदुस्तान तबाह हो जाएगा.'

उन्होंने दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल की शक्तियों के दायरे को निर्धारित करने वाले उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत की मई में छुट्टियां शुरू होने के समय ही अध्यादेश लाया गया. कांग्रेस नेता ने सवाल किया, 'इस अध्यादेश को लाने में जल्दबाजी क्यों की गई? अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी? क्या ऐसी अप्रत्याशित स्थिति आ गई थी कि यह अध्यादेश लाना पड़ा?' उनका कहना था कि सरकार सीधे विधेयक ला सकते थी. चौधरी ने कहा कि अगर संढीय ढांचे की रक्षा नहीं की गई तो देश नहीं बचेगा.

उन्होंने कहा कि विधानसभा के सदस्यों को जनता चुनती है, तो क्या उससे कानून बनाने का अधिकार छीन लिया जाएगा? कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या सब कुछ नौकरशाही चलाएगी? चौधरी ने दावा किया कि नयी व्यवस्था में दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्तियां सीमित कर दी जाएंगी. उन्होंने कहा, 'इस अध्यादेश के चलते 50 से अधिक संस्थाएं केंद्र के अधीन चली जाएंगी. इनमें से ज्यादातर संस्थाएं लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए बनी हैं.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को मनमाने ढंग से विधेयक नहीं लाना चाहिए था और जांच-परख एवं संतुलन की व्यवस्था नहीं बिगड़नी चाहिए. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चौधरी पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस नेता ने पंजाब और दिल्ली के अपने नेताओं से बात की है? इस पर चौधरी ने कहा, 'आप हमारे बीच दरार डालने की कोशिश मत करिए.'

ये भी पढ़ें - दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, संसद को इससे संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार : शाह

(पीटीआई-भाषा)

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