रायपुर: पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को तिरंगा झंडा भेजा था. जिसे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में फहराया है. ऐसा दावा छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम कर रहे हैं. मोहन मरकाम ने संघ प्रमुख को खादी का तिरंगा झंडा गिफ्ट कर भेजा था. इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि "उनकी तरफ से भेजे गये खादी के झंडे को हेडगेवार भवन नागपुर में फहराकर संघ प्रमुख ने एक रंग के ध्वज को छोड़कर तीन रंग वाले तिरंगे ध्वज पर अपनी आस्था जताई है".
सोशल मीडिया से मिली थी जानकारी: मोहन मरकाम ने कहा कि " एक ओर जहां पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. पूरे देश की जनता राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा अपने घरों में फहराने का काम कर रही है. वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया में यह जानकारी प्राप्त हुई कि संघ मुख्यालय के हेडगेवार भवन में तिरंगा नहीं फहराया गया और आरएसएस ने ट्विटर हैंडल एवं संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अपनी डीपी में तिरंगा नहीं लगाया था. जबकि देश के प्रधानमंत्री मोदी जो खुद एक स्वयं सेवक थे. उनके निवेदन को भी संघ ने नकार दिया था. तिरंगे के इस अपमान को देखकर कुछ दिन पूर्व खादी निर्मित तिरंगा झंडा संघ मुख्यालय कोरियर के माध्यम से भेजा गया और तिरंगे को फहराने का अनुरोध भी संघ प्रमुख मोहन भागवत से किया था. इसके बाद संघ मुख्यालय में तिरंगा झंडा फहराया गया है.
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मोहन मरकाम ने की आरएसएस प्रमुख की तारीफ: मोहन मरकाम ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तिरंगा झंडा पर अपनी आस्था प्रकट की है. इसका अर्थ है कि वह देश के संविधान में अपनी आस्था रखते हैं. संघ इसके जरिए हिन्दू राष्ट्र और एक रंग के ध्वज की बातों को दरकिनार कर रही है. अब संघ को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताये हुये अहिंसा के मार्ग में चलना चाहिये. संघ को यह भी मान लेना चाहिये कि भारत देश सभी धर्म जाति संप्रदाय के लोगों का है. जिसकी परिकल्पना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी. आरएसएस को भी इस बात को मान लेना चाहिये कि इस देश में सभी धर्मावलंबियों का बराबर और समानता का अधिकार है. मोहन मरकाम ने कहा कि उनके द्वारा भेजे गये खादी के झंडे को हेडगेवार भवन में फहराकर संघ प्रमुख ने एक रंग के ध्वज को छोड़कर तीन रंग के ध्वज तिरंगे पर अपनी आस्था जताई है. इसके लिये संघ प्रमुख को साधुवाद. हालांकि इसमें संघ को पूरे 75 साल लग गये जो कि दुर्भाग्यजनक है"