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जामा मस्जिद के पास मिलता है मोहब्बत का 'शरबत', क्या आपने स्वाद चखा

जामा मस्जिद के पास शरबत की दुकान पर भीड़ जरूर नजर आती है. शरबत भी कोई ऐसा वैसा नहीं. भई! मोहब्बत का शरबत. दरअसल शरबत बेचने वाले सद्दाम का कहना है कि उनकी दुकान पर दो तरह के शरबत मिलते हैं. एक तो मोहब्बत का शरबत और दूसरा नफरत का शरबत.

mohabbat ka sharbat
मोहब्बत का 'शरबत
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Published : Apr 30, 2022, 5:50 PM IST

नई दिल्ली : पवित्र रमजान महीने में एक तरफ मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ नजर आ रही है तो बाजारों में भी खरीदारों की रौनक देखने को मिल रही है. भीषण गर्मी के इस मौसम में घर से निकलते ही गला सूखने लगता है. ऐसे में ठंडे पानी की जरूरत महसूस होती है. अगर बाजार में नींबू पानी मिल जाए तो क्या कहने. ऐसे में जामा मस्जिद के पास शरबत की दुकान पर भीड़ जरूर नजर आती है. शरबत भी कोई ऐसा वैसा नहीं. भई! मोहब्बत का शरबत है.

जामा मस्जिद के पास मिलता है मोहब्बत का 'शरबत'

दरअसल, शरबत बेचने वाले सद्दाम का कहना है कि उनकी दुकान पर दो तरह के शरबत मिलते हैं. एक तो मोहब्बत का शरबत और दूसरा नफरत का शरबत. सद्दाम के शरबत जैसी चाशनी उनकी बातों में भी टपकती है, जिसे सुनकर लोग खुद-ब-खुद खिंचे चले आते हैं. 15 रुपये और 30 रुपये की शरबत पीकर लोग प्यास बुझाने के साथ ही तसल्ली भी पाते हैं. सद्दाम के शरबत से अलग इनके शरबत बेचने का अंदाज भी लोगों को खूब भाता है. मोहब्बत का शरबत..मोहब्बत का शरबत.. की आवाज़ लगाकर दिनभर में सद्दाम 5 से 6 हजार रुपये का धंधा कर लेते हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन में कपड़े का धंधा चौपट हो गया था, जिसके बाद कुछ महीने पहले शरबत का काम शुरू किया. इस कमाई से घर आराम से चल जाता है.

जामा मस्जिद मार्केट कभी बंद ही नहीं होता है. यहां लोग खरीदारी करने के लिए दूरदराज इलाकों से पहुंचते हैं. हालांकि अभी रमजान का महीना चल रहा है, लिहाजा यहां कुछ ज्यादा ही रौनक है. इफ्तारी के लिए पहुंचे लोग इस मार्केट में खरीदारी भी करते हैं. नॉनवेज के लिए मशहूर इस इलाके को एक और पहचान अब मोहब्बत के शरबत ने बख्शी है. एक नुक्कड़ पर सजी सद्दाम की शरबत वाली दुकान के बाहर शरबत पीने वालों की अलग ही भीड़ नजर आती है. इसमें ज्यादातर नौजवानों की तादाद ही नजर आती है.

मार्केट में शरबत की 50 से ज्यादा दुकानें हैं. कोई इसे मीठा पानी बोलकर बेच रहा है तो सद्दाम इसे मोहब्बत का शरबत कहकर बेच रहे हैं. सद्दाम के पास शरबत की दो वैरायटी है. एक तो अगर किसी का दिल टूटा हो तो उसके लिए नफरत का शरबत है, और दूसरा किसी को नया-नया प्यार हुआ हो उसके लिए मोहब्बत का 'शरबत' है. दावा है कि जवानी में ये शरबत पीते ही बचपन की मोहब्बत जाग जाती है.

इसे भी पढ़ें- गुजरात पोर्ट के पास 450 करोड़ की हेरोइन पकड़ी गई

सद्दाम बताते हैं कि उनकी मोहब्बत का शरबत पीने के लिए लोग दूर-दराज इलाकों से आते हैं. इस शरबत को बनाने में उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है. क्वालिटी का काफी ध्यान रखना पड़ता है. उनकी टैग लाइन ही है.. 'यह मोहब्बत की शरबत है, जनाब एक बार पियोगे तो बार-बार मांगोगे. अगर पसंद नहीं आए तो पैसे हम से लेकर जाओगे'. सद्दाम बताते हैं कि मोहब्बत का शरबत बनाने में वह अमूल गोल्ड दूध का इस्तेमाल करते हैं, जोकि टेट्रा पैक में आता है. इसमें किसी प्रकार का मिलावट नहीं किया जाता है. इसमें चाशनी और तरबूज़ का घोल मिलाया जाता है. इसकी खुशबू और लज्जत ऐसी है कि लोग एक बार पीने के बाद बार-बार पीना चाहते हैं.

नई दिल्ली : पवित्र रमजान महीने में एक तरफ मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ नजर आ रही है तो बाजारों में भी खरीदारों की रौनक देखने को मिल रही है. भीषण गर्मी के इस मौसम में घर से निकलते ही गला सूखने लगता है. ऐसे में ठंडे पानी की जरूरत महसूस होती है. अगर बाजार में नींबू पानी मिल जाए तो क्या कहने. ऐसे में जामा मस्जिद के पास शरबत की दुकान पर भीड़ जरूर नजर आती है. शरबत भी कोई ऐसा वैसा नहीं. भई! मोहब्बत का शरबत है.

जामा मस्जिद के पास मिलता है मोहब्बत का 'शरबत'

दरअसल, शरबत बेचने वाले सद्दाम का कहना है कि उनकी दुकान पर दो तरह के शरबत मिलते हैं. एक तो मोहब्बत का शरबत और दूसरा नफरत का शरबत. सद्दाम के शरबत जैसी चाशनी उनकी बातों में भी टपकती है, जिसे सुनकर लोग खुद-ब-खुद खिंचे चले आते हैं. 15 रुपये और 30 रुपये की शरबत पीकर लोग प्यास बुझाने के साथ ही तसल्ली भी पाते हैं. सद्दाम के शरबत से अलग इनके शरबत बेचने का अंदाज भी लोगों को खूब भाता है. मोहब्बत का शरबत..मोहब्बत का शरबत.. की आवाज़ लगाकर दिनभर में सद्दाम 5 से 6 हजार रुपये का धंधा कर लेते हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन में कपड़े का धंधा चौपट हो गया था, जिसके बाद कुछ महीने पहले शरबत का काम शुरू किया. इस कमाई से घर आराम से चल जाता है.

जामा मस्जिद मार्केट कभी बंद ही नहीं होता है. यहां लोग खरीदारी करने के लिए दूरदराज इलाकों से पहुंचते हैं. हालांकि अभी रमजान का महीना चल रहा है, लिहाजा यहां कुछ ज्यादा ही रौनक है. इफ्तारी के लिए पहुंचे लोग इस मार्केट में खरीदारी भी करते हैं. नॉनवेज के लिए मशहूर इस इलाके को एक और पहचान अब मोहब्बत के शरबत ने बख्शी है. एक नुक्कड़ पर सजी सद्दाम की शरबत वाली दुकान के बाहर शरबत पीने वालों की अलग ही भीड़ नजर आती है. इसमें ज्यादातर नौजवानों की तादाद ही नजर आती है.

मार्केट में शरबत की 50 से ज्यादा दुकानें हैं. कोई इसे मीठा पानी बोलकर बेच रहा है तो सद्दाम इसे मोहब्बत का शरबत कहकर बेच रहे हैं. सद्दाम के पास शरबत की दो वैरायटी है. एक तो अगर किसी का दिल टूटा हो तो उसके लिए नफरत का शरबत है, और दूसरा किसी को नया-नया प्यार हुआ हो उसके लिए मोहब्बत का 'शरबत' है. दावा है कि जवानी में ये शरबत पीते ही बचपन की मोहब्बत जाग जाती है.

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सद्दाम बताते हैं कि उनकी मोहब्बत का शरबत पीने के लिए लोग दूर-दराज इलाकों से आते हैं. इस शरबत को बनाने में उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है. क्वालिटी का काफी ध्यान रखना पड़ता है. उनकी टैग लाइन ही है.. 'यह मोहब्बत की शरबत है, जनाब एक बार पियोगे तो बार-बार मांगोगे. अगर पसंद नहीं आए तो पैसे हम से लेकर जाओगे'. सद्दाम बताते हैं कि मोहब्बत का शरबत बनाने में वह अमूल गोल्ड दूध का इस्तेमाल करते हैं, जोकि टेट्रा पैक में आता है. इसमें किसी प्रकार का मिलावट नहीं किया जाता है. इसमें चाशनी और तरबूज़ का घोल मिलाया जाता है. इसकी खुशबू और लज्जत ऐसी है कि लोग एक बार पीने के बाद बार-बार पीना चाहते हैं.

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