ETV Bharat / bharat

हिमंत की 'मिया' संबंधी टिप्पणी : राज्यसभा सदस्य ने सीएम हिमंत पर दर्ज कराई एफआईआर, तृणमूल ने सीजेआई को लिखा पत्र - हिमंत बिस्वा सरमा

फिलहाल 'मिया विवाद असम की राजनीति में छाया हुआ है. मियाओं को लेकर सांसद बदरुद्दीन अजमल और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बीच जुबानी जंग ने पहले ही राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. अब राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां ने दिसपुर पुलिस स्टेशन में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

Assam Chief Minister
हिमंत बिस्वा सरमा
author img

By

Published : Jul 17, 2023, 8:47 PM IST

गुवाहाटी: राज्यसभा के एक निर्दलीय सदस्य ने सोमवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने एक दिन पहले 'मिया समुदाय' के खिलाफ 'घृणास्पद भाषण' दिया है.

वहीं, तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर 'मिया' समुदाय के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर शर्मा के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई का अनुरोध किया है.

असम के बांग्ला भाषी मुसलमानों के लिए 'मिया' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. सरमा ने पिछले हफ्ते गुवाहाटी में सब्जियों की ऊंची कीमत पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा था, 'गांवों में सब्जियों की कीमत इतनी अधिक नहीं है. यहां मिया दुकानदार हमसे अधिक कीमत लेते हैं. अगर वे असमिया होते तो सब्जियां बेचते, अपने ही लोगों को लूटते नहीं.'

उन्होंने कथित तौर पर कहा था, 'मैं गुवाहाटी के सभी फुटपाथों को साफ कर दूंगा, मैं अपने असमिया लोगों से आग्रह करता हूं कि वे आगे आएं और अपना व्यवसाय शुरू करें.'

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) पार्टी के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी से 'मिया आहत' हुए हैं. वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आशंका जताई कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 'सांप्रदायिक राजनीति' में भाजपा और एआईयूडीएफ की मिलीभगत है.

'मिया' मूल रूप से असम में बांग्ला भाषी मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है. हाल के वर्षों में, समुदाय के लोगों ने इस शब्द का इस्तेमाल अनादर को प्रकट करने के लिए किया है.

असम से राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य अजीत भुइयां ने बताया कि यहां दिसपुर थाने में उन्होंने 'राज्य के संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा दिए गए कुछ बयानों के संबंध में, जो स्पष्ट रूप से एक विशेष समुदाय के विरुद्ध घृणास्पद भाषण हैं’’ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

भुइयां ने दावा किया कि इस तरह की टिप्पणियों का उद्देश्य राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच विभाजन पैदा करना है और यह राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक है.

उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री के बयान को कुछ मंत्रियों और विधायक ने भी दोहराया है. भुइयां ने कहा कि बयान पर बारीकी से नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि इसका उद्देश्य धर्म और नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना है.

भुइयां ने यह भी कहा कि 'जिस तरह उन्होंने पहले कांग्रेस और फिर सर्बानंद सोनोवाल पर वार किया, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह भविष्य में इसे दोबारा नहीं दोहराएंगे. हिमंत ने अजित भुइयां को हराने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं से 200 करोड़ रुपये की मांग की थी. सबसे असमिया समाज का एक अत्यंत हानिकारक व्यक्ति मुख्यमंत्री बन गया. ये झूठ बोलने में नंबर 1 हैं. हिमंत बिस्वा सरमा झूठ का भंडार हैं.'

दूसरी ओर, सांसद ने पूछा कि संविधान की शपथ लेने वाले और मुख्यमंत्री बनने वाले हिमंत बिस्वा सरमा एक विशेष समुदाय को क्यों निशाना बना रहे हैं. मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की मांग करते हुए सांसद अजीत कुमार भुइयां ने आगे कहा, 'हिमंत बिस्वा सरमा ने बीजेपी में आकर नफरत फैलाई है. उन्हें मिया समुदाय के खिलाफ टिप्पणी करने का अधिकार किसने दिया!'

उच्चतम न्यायालय द्वारा घृणा फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ मामलों में दिए गए हालिया निर्देश का उल्लेख करते हुए, भुइयां ने भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करने और 'जांच कर कार्रवाई करने' की मांग की.

हालांकि सूत्रों ने ये भी बताया कि दिसपुर पुलिस को शिकायत मिली है, लेकिन उसने अभी तक मुख्यमंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.

सीजेआई को लिखा पत्र : तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में ‘मिया’ समुदाय के खिलाफ दिए गए 'घृणास्पद भाषण' के लिए सरमा के खिलाफ कार्रवाई करने और असम सरकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने दावा किया कि सरमा का बयान 'न केवल लोगों के एक वर्ग को भड़का सकता है बल्कि सांप्रदायिक घृणा भी पैदा सकता है.'

ये भी पढ़ें-

असमिया और मुसलमानों को बांटना चाहते हैं सीएम हिमंत बिस्वा: बदरुद्दीन अजमल

(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)

गुवाहाटी: राज्यसभा के एक निर्दलीय सदस्य ने सोमवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने एक दिन पहले 'मिया समुदाय' के खिलाफ 'घृणास्पद भाषण' दिया है.

वहीं, तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर 'मिया' समुदाय के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर शर्मा के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई का अनुरोध किया है.

असम के बांग्ला भाषी मुसलमानों के लिए 'मिया' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. सरमा ने पिछले हफ्ते गुवाहाटी में सब्जियों की ऊंची कीमत पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा था, 'गांवों में सब्जियों की कीमत इतनी अधिक नहीं है. यहां मिया दुकानदार हमसे अधिक कीमत लेते हैं. अगर वे असमिया होते तो सब्जियां बेचते, अपने ही लोगों को लूटते नहीं.'

उन्होंने कथित तौर पर कहा था, 'मैं गुवाहाटी के सभी फुटपाथों को साफ कर दूंगा, मैं अपने असमिया लोगों से आग्रह करता हूं कि वे आगे आएं और अपना व्यवसाय शुरू करें.'

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) पार्टी के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी से 'मिया आहत' हुए हैं. वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आशंका जताई कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 'सांप्रदायिक राजनीति' में भाजपा और एआईयूडीएफ की मिलीभगत है.

'मिया' मूल रूप से असम में बांग्ला भाषी मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है. हाल के वर्षों में, समुदाय के लोगों ने इस शब्द का इस्तेमाल अनादर को प्रकट करने के लिए किया है.

असम से राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य अजीत भुइयां ने बताया कि यहां दिसपुर थाने में उन्होंने 'राज्य के संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा दिए गए कुछ बयानों के संबंध में, जो स्पष्ट रूप से एक विशेष समुदाय के विरुद्ध घृणास्पद भाषण हैं’’ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

भुइयां ने दावा किया कि इस तरह की टिप्पणियों का उद्देश्य राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच विभाजन पैदा करना है और यह राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक है.

उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री के बयान को कुछ मंत्रियों और विधायक ने भी दोहराया है. भुइयां ने कहा कि बयान पर बारीकी से नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि इसका उद्देश्य धर्म और नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना है.

भुइयां ने यह भी कहा कि 'जिस तरह उन्होंने पहले कांग्रेस और फिर सर्बानंद सोनोवाल पर वार किया, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह भविष्य में इसे दोबारा नहीं दोहराएंगे. हिमंत ने अजित भुइयां को हराने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं से 200 करोड़ रुपये की मांग की थी. सबसे असमिया समाज का एक अत्यंत हानिकारक व्यक्ति मुख्यमंत्री बन गया. ये झूठ बोलने में नंबर 1 हैं. हिमंत बिस्वा सरमा झूठ का भंडार हैं.'

दूसरी ओर, सांसद ने पूछा कि संविधान की शपथ लेने वाले और मुख्यमंत्री बनने वाले हिमंत बिस्वा सरमा एक विशेष समुदाय को क्यों निशाना बना रहे हैं. मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की मांग करते हुए सांसद अजीत कुमार भुइयां ने आगे कहा, 'हिमंत बिस्वा सरमा ने बीजेपी में आकर नफरत फैलाई है. उन्हें मिया समुदाय के खिलाफ टिप्पणी करने का अधिकार किसने दिया!'

उच्चतम न्यायालय द्वारा घृणा फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ मामलों में दिए गए हालिया निर्देश का उल्लेख करते हुए, भुइयां ने भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करने और 'जांच कर कार्रवाई करने' की मांग की.

हालांकि सूत्रों ने ये भी बताया कि दिसपुर पुलिस को शिकायत मिली है, लेकिन उसने अभी तक मुख्यमंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.

सीजेआई को लिखा पत्र : तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में ‘मिया’ समुदाय के खिलाफ दिए गए 'घृणास्पद भाषण' के लिए सरमा के खिलाफ कार्रवाई करने और असम सरकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने दावा किया कि सरमा का बयान 'न केवल लोगों के एक वर्ग को भड़का सकता है बल्कि सांप्रदायिक घृणा भी पैदा सकता है.'

ये भी पढ़ें-

असमिया और मुसलमानों को बांटना चाहते हैं सीएम हिमंत बिस्वा: बदरुद्दीन अजमल

(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.