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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग - बांग्लादेश में ईश निंदा

बांग्लादेश सरकार से हर किसी की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून लागू करने मांग करते हुए देशभर में प्रदर्शनकारियों और विद्वानों ने हिंदू समुदाय पर भीड़ के हमलों और दुर्गा पूजा समारोहों के दौरान मंदिरों व प्रतिमाओं को तोड़े जाने की निंदा की.

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Published : Oct 20, 2021, 10:07 PM IST

ढाका : दुर्गा पूजा समारोहों के दौरान सोशल मीडिया पर कथित तौर पर ईश निंदा करने वाले एक पोस्ट पाये जाने के बाद पिछले बुधवार से बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले बढ़ गये.

रविवार देर रात भीड़ ने बांग्लादेश में हिंदुओं के 66 मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया और कम से कम 20 मकानों को आग के हवाले कर दिया.

ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक हिंदू समुदाय पर हमले की निंदा करते हुए प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को छठे दिन देशभर में प्रदर्शन किया.

खबर के मुताबिक, विभिन्न कार्यक्रमों में वक्ताओं ने हिंसा को अंजाम देने वालों को न्याय के दायरे में लाने तथा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए अन्य कदम उठाने की मांग की.

ढाका यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने मंदिरों और दुर्गा पूजा आयोजन स्थलों पर हुए हमले में शामिल लोगों को अनुकरणीय सजा देने की मांग की.

उसने हर किसी की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून लागू करने का भी सरकार से अनुरोध किया. ढाका विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के सैकड़ों शिक्षकों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और एक मानव श्रृंखला बनाई.

हिंसा की निंदा करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति एम अख्तरूज्जमान ने कहा, 'इस देश का दुर्गा पूजा समारोह पूरी दुनिया के लिए धर्मनिरपेक्षता का एक मॉडल है.

यह उत्सव सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला हुआ माना जाता है. हम सरकार से हिंसा को अंजाम देने वालों की फौरन पहचान करने और उन्हें न्याय के दायरे में लाने का अनुरोध करते हैं.

जगन्नाथ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मिजानुर रहमान ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने वाले अक्सर बगैर सजा के रह जाते हैं और इसे रोके जाने की जरूरत है. प्रोग्रेसिव स्टूडेंट अलायंस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं तथा खुलना यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने भी हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की निंदा की.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी मंगलवार को शाहबाग में नेशनल म्यूजियम के सामने रैली निकाली.

पढ़ें : बांग्लादेश में हिंदूओं के साथ हिंसा पर पीएम हसीना सख्त, दिए कार्रवाई के निर्देश

(पीटीआई-भाषा)

ढाका : दुर्गा पूजा समारोहों के दौरान सोशल मीडिया पर कथित तौर पर ईश निंदा करने वाले एक पोस्ट पाये जाने के बाद पिछले बुधवार से बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले बढ़ गये.

रविवार देर रात भीड़ ने बांग्लादेश में हिंदुओं के 66 मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया और कम से कम 20 मकानों को आग के हवाले कर दिया.

ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक हिंदू समुदाय पर हमले की निंदा करते हुए प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को छठे दिन देशभर में प्रदर्शन किया.

खबर के मुताबिक, विभिन्न कार्यक्रमों में वक्ताओं ने हिंसा को अंजाम देने वालों को न्याय के दायरे में लाने तथा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए अन्य कदम उठाने की मांग की.

ढाका यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने मंदिरों और दुर्गा पूजा आयोजन स्थलों पर हुए हमले में शामिल लोगों को अनुकरणीय सजा देने की मांग की.

उसने हर किसी की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून लागू करने का भी सरकार से अनुरोध किया. ढाका विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के सैकड़ों शिक्षकों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और एक मानव श्रृंखला बनाई.

हिंसा की निंदा करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति एम अख्तरूज्जमान ने कहा, 'इस देश का दुर्गा पूजा समारोह पूरी दुनिया के लिए धर्मनिरपेक्षता का एक मॉडल है.

यह उत्सव सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला हुआ माना जाता है. हम सरकार से हिंसा को अंजाम देने वालों की फौरन पहचान करने और उन्हें न्याय के दायरे में लाने का अनुरोध करते हैं.

जगन्नाथ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मिजानुर रहमान ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने वाले अक्सर बगैर सजा के रह जाते हैं और इसे रोके जाने की जरूरत है. प्रोग्रेसिव स्टूडेंट अलायंस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं तथा खुलना यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने भी हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की निंदा की.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी मंगलवार को शाहबाग में नेशनल म्यूजियम के सामने रैली निकाली.

पढ़ें : बांग्लादेश में हिंदूओं के साथ हिंसा पर पीएम हसीना सख्त, दिए कार्रवाई के निर्देश

(पीटीआई-भाषा)

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