नई दिल्ली : विभिन्न अल्पसंख्यक संगठनों के सदस्यों की एक तथ्य खोज दल (fact finding team) ने त्रिपुरा में हिंसा पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) की तीखी आलोचना की.
फैक्ट फाइंडिंग टीम ने यह भी मांग की है कि पुलिस विभाग विभागीय जांच करे और ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों का पता लगाए.
टीम ने कहा कि अलग-अलग आरोपों में दोषियों और हिंसा को नहीं रोकने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए. टीम ने कहा, दोषी अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई दिखाएगी कि पुलिस एक स्वतंत्र है और इसे किसी विशेष राजनीतिक दल के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
अखिल भारतीय मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत (एआईएमएमएम), जमात ए इस्लामी हिंद (जेआईएच), मरकजी जमीयत अहले हदीस के सदस्यों वाली तथ्य खोज टीम ने 31 अक्टूबर को त्रिपुरा का दौरा किया था.
बता दें कि 19 से 26 अक्टूबर तक राज्य में हिंसा हुई, जहां उग्र भीड़ ने कथित तौर पर दुकानों, धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की. त्रिपुरा में यह घटना तब हुई जब धार्मिक कट्टरपंथियों ने पड़ोसी बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़ की.
पढ़ें :- अमेरिका के सांसद ने बांग्लादेश, त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता व्यक्त की
पिछले महीने बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा के बाद, अखिल भारतीय इमाम परिषद और विश्व हिंदू परिषद सहित 50 से अधिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा करते हुए त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों में रैलियां आयोजित की थीं.
इन संगठनों ने अगरतला स्थित बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त से मुलाकात की और पड़ोसी देश की सरकार को संबोधित करते हुए ज्ञापन सौंपा.
त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार को त्रिपुरा में धार्मिक अल्पसंख्यकों से जुड़ी घटनाओं, (यदि कोई हो) पर 10 नवंबर तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
मीडिया रिपोटरें के अनुसार, दुर्गा पूजा स्थल पर कुरान के कथित अपमान के बारे में सोशल मीडिया पर अपुष्ट पोस्ट वायरल होने के बाद 13 अक्टूबर को कोमिला में हिंसा भड़क उठी थी, जिसके बाद हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई थी.